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जब पुलिस श्रद्धालु दिखने लगे तो उद्दंड कावड़िये डंडा चलाएंगे ही

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 09 अगस्त, 2018 03:41 PM
  • 09 अगस्त, 2018 03:41 PM
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अगर अनुशासन के लिए हाथों में डंडा लेकर चलने वाला पुलिस अधिकारी श्रद्धालु बनकर फूल बरसाने लगेगा, तो अनुशासन की धज्जियां कैसे उड़ती हैं, इसके उदाहरण तस्वीरों और वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

सावन आ चुका है और कांवड़िए अपनी पूजा-अर्चना के लिए घरों से निकल चुके हैं. इन दिनों हर ओर सड़कों के किनारे हर-हर महादेव के नारे लगाते कांवड़िए आपको दिख ही जाएंगे. लेकिन जिन सड़कों पर कांवड़िए चलते हैं, उन्हीं पर गाड़ियां भी चलती हैं. ऐसे में किसी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन भी कड़े इंतजाम करता है, जो इस बार भी हुए. ये इंतजाम सिर्फ इसलिए नहीं होते ताकि कांवड़ियों को किसी तरह की परेशानी ना हो, बल्कि इंतजाम इसलिए होते हैं जिससे कांवड़िए और जनता दोनों को ही एक दूसरे की वजह से कोई दिक्कत ना हो. लेकिन अगर अनुशासन के लिए हाथों में डंडा लेकर चलने वाला पुलिस अधिकारी श्रद्धालु बनकर फूल बरसाने लगेगा, तो अनुशासन की धज्जियां कैसे उड़ती हैं, इसके उदाहरण तस्वीरों और वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

पुलिस जिन पर फूल बरसा रही है, वो कांवड़िए जनता पर डंडे चला रहे हैं.

कांवड़िए हुए उद्दंड और पुलिस बनी श्रद्धालु

भले ही पूजा-पाठ हो या फिर सड़क का ट्रैफिक. नियम-कानून और अनुशासन का पालन हर जगह पर करना ही होता है. लेकिन पिछले दिनों कांवड़ियों ने सड़कों पर जो उद्दंडता दिखाई है, उससे ये साफ हो रहा है कि पुलिस किसी नाकारा की तरह खड़ी है और उसकी आंखों के सामने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. खुद युपी पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (मेरठ जोन) प्रशांत कुमार अनुशासन लागू करने के लिए डंडा छोड़कर फूल बरसा रहे हैं. वो भी हैलिकॉप्टर से. हैलिकॉप्टर दिया गया था सर्विलांस के लिए, ताकि ये देखा जा सके कि पूरे इलाके में पुलिस व्यवस्था सही है या नहीं, लेकिन प्रशांत कुमार तो कांवड़ियों को देखकर जैसे श्रद्धालु ही बन बैठे और हैलिकॉप्टर से ही फूलों की बारिश करने लगे. पता नहीं वो फूल किसी कांवड़िए पर गिरे भी या नहीं. कुमार के साथ हैलिकॉप्टर में मेरठ कमिश्नर अनीता मेशरम और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे, जो कांवड़ियों पर फूल बरसा रहे थे. ये वीडियो देख लीजिए खुद ही समझ जाएंगे-

सावन आ चुका है और कांवड़िए अपनी पूजा-अर्चना के लिए घरों से निकल चुके हैं. इन दिनों हर ओर सड़कों के किनारे हर-हर महादेव के नारे लगाते कांवड़िए आपको दिख ही जाएंगे. लेकिन जिन सड़कों पर कांवड़िए चलते हैं, उन्हीं पर गाड़ियां भी चलती हैं. ऐसे में किसी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन भी कड़े इंतजाम करता है, जो इस बार भी हुए. ये इंतजाम सिर्फ इसलिए नहीं होते ताकि कांवड़ियों को किसी तरह की परेशानी ना हो, बल्कि इंतजाम इसलिए होते हैं जिससे कांवड़िए और जनता दोनों को ही एक दूसरे की वजह से कोई दिक्कत ना हो. लेकिन अगर अनुशासन के लिए हाथों में डंडा लेकर चलने वाला पुलिस अधिकारी श्रद्धालु बनकर फूल बरसाने लगेगा, तो अनुशासन की धज्जियां कैसे उड़ती हैं, इसके उदाहरण तस्वीरों और वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

पुलिस जिन पर फूल बरसा रही है, वो कांवड़िए जनता पर डंडे चला रहे हैं.

कांवड़िए हुए उद्दंड और पुलिस बनी श्रद्धालु

भले ही पूजा-पाठ हो या फिर सड़क का ट्रैफिक. नियम-कानून और अनुशासन का पालन हर जगह पर करना ही होता है. लेकिन पिछले दिनों कांवड़ियों ने सड़कों पर जो उद्दंडता दिखाई है, उससे ये साफ हो रहा है कि पुलिस किसी नाकारा की तरह खड़ी है और उसकी आंखों के सामने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. खुद युपी पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (मेरठ जोन) प्रशांत कुमार अनुशासन लागू करने के लिए डंडा छोड़कर फूल बरसा रहे हैं. वो भी हैलिकॉप्टर से. हैलिकॉप्टर दिया गया था सर्विलांस के लिए, ताकि ये देखा जा सके कि पूरे इलाके में पुलिस व्यवस्था सही है या नहीं, लेकिन प्रशांत कुमार तो कांवड़ियों को देखकर जैसे श्रद्धालु ही बन बैठे और हैलिकॉप्टर से ही फूलों की बारिश करने लगे. पता नहीं वो फूल किसी कांवड़िए पर गिरे भी या नहीं. कुमार के साथ हैलिकॉप्टर में मेरठ कमिश्नर अनीता मेशरम और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे, जो कांवड़ियों पर फूल बरसा रहे थे. ये वीडियो देख लीजिए खुद ही समझ जाएंगे-

इधर यूपी पुलिस के एडीजीपी कांवड़ियों पर फूल बरसा रहे हैं, वहीं यूपी के ही बुलंदशहर में कांवड़िए पुलिस की ही गाड़ियां तोड़ रहे हैं. पुलिस वाले भी कम नहीं हैं, वो बोल रहे हैं कि ये गाड़ी हमारी नहीं सरकार की है. हमारा कोई नुकसान नहीं होगा. समझ नहीं आ रहा कि पुलिस वाले इतने मजबूर कैसे हो गए. 7 अगस्त की इस घटना को देखकर साफ होता है कि जब पुलिस डंडे छोड़कर हाथों में फूल लिए श्रद्धालु बनकर खड़ी हो जाएगी, तो कांवड़िए डंडा चलाएंगे ही. यहां बात सिर्फ कांवड़ियों की ही नहीं है, बल्कि जहां भी भीड़ होगी, वहां उसके उग्र होने और हिंसा का खतरा हमेशा बना रहता है. ऐसे में पुलिस को फूल बरसा कर चापलूसी करने के बजाए डंडा उठाकर अनुशासन का सख्ती से पालन करवाना चाहिए. देखिए यूपी के बुलंदशहर में कांवड़यों ने कैसे तोड़ी पुलिस की गाड़ी-

अभी एक दिन पहले ही यानी 8 अगस्त को दिल्ली के मोती नगर से भी कांवड़ियों के उत्पात मचाने की खबर सामने आई थी. यहां एक कार से किसी कांवड़िए को टक्कर लग गई, जिसके चलते उसका जल बिखकर गया. बस फिर क्या था, उसने उठाया डंडा और शुरू कर दिया कार को तोड़ना. कार में सवार लोग तो अपनी जान बचाकर भाग गए, लेकिन उस गाड़ी को बचाने वाला कोई नहीं था. पहले एक, फिर दो, फिर कुछ और और फिर कांवड़ियों का पूरा झुंड उस गाड़ी पर तोड़ दिया. गाड़ी पर इतने डंडे बरसाए की उसकी दुर्दशा देखकर ही आप समझ जाएंगे कि कांवड़िए कितने गुस्से में थे. शर्म की बात तो ये है कि कांवड़िए गाड़ी को तोड़ रहे थे और वहीं पर खड़े कुछ पुलिस वाले खड़े ये सब देख रहे थे. खैर, वो बेचारे करते भी क्या. डंडों की तो कांवड़ियों के पास कोई कमी थी नहीं. पुलिस के पास जो बंदूक थी, उसकी गोलियां भी कम पड़ जातीं अगर कांवड़िए उन पर हमला कर देते. बेचारगी भरी हालत में पुलिस वाले भी अपनी आंखों के सामने गाड़ी को टूटता हुआ देखते रहे. वीडियो में देखिए पूरा वाकया-

जहां एक ओर यूपी में योगी सरकार पुलिस की सख्ती की बात करती है, जोरों शोरों से एनकाउंटर होते हैं, यूं लगता है मानो अब तो यूपी से अपराधियों की छुट्टी हो जाएगी, लेकिन उसी सरकार की पुलिस कांवड़ियों से ही निपटने में लाचार है. कहीं पुलिस बेचारी सी खड़ी तमाशा देखती है तो कहीं पुलिस को भी कांवड़िए निशाना बना ले रहे हैं. कांवड़ियों के उत्पात की खबरें कोई पहली बार नहीं आ रही हैं, बल्कि पहले भी ऐसे मामले होते रहे हैं, हर साल होते हैं, हर बार होते हैं, लेकिन पहले पुलिस एक मूक दर्शन बनी रहती थी और अब तो श्रद्धालु बनकर फूल बरसाने लगी है. अगली बार कांवड़ियों की भीड़ में अगर पुलिस वाले भी हर-हर महादेव के नारे लगाते कांवड़ उठाए नजर आएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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