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दूध पिलाती महिला का वीडियो बनाने और बदतमीजी करने पर यूपी पुलिस को शर्म आनी चाहिए !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2018 01:12 PM
  • 07 अक्टूबर, 2018 01:08 PM
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जिस पुलिस को देखते ही महिलाओं को लगना चाहिए कि अब कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता, यूपी में उसी पुलिस से महिलाओं को सबसे अधिक डर लगता है.

विवेक तिवारी हत्या के मामले ने यूपी पुलिस का दामन पहले ही दागदार कर दिया है. अभी इन आरोपों से पुलिस मुक्त नहीं हो पाई है और अब वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पुलिस की दबंगई का उदाहरण देखने को मिला है. यहां पुलिस वाले ने पहले एक महिला से बदतमीजी की और फिर उसका वीडियो भी बनाया. भगवान की पूजा के स्थान पर इस तरह की हरकत से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिला सुरक्षा के लिए यूपी की पुलिस कितनी तत्पर है. जिस पुलिस को देखते ही महिलाओं को लगना चाहिए कि अब कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता, यूपी में उसी पुलिस से महिलाओं को सबसे अधिक डर लगता है. जनता में इतना खराब छवि बनाने के लिए पुलिस को शर्म आनी चाहिए.

काशी विश्वनाथ मंदिर में एक महिला के साथ पुलिसवाले ने अभद्रता की है.

क्या है मामला?

नोएडा सेक्टर-56 की डॉक्टर सुनित्री सिंह अपने पति डॉक्टर परीक्षित चौहान और परिवार वालों के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के दर्शन करने गई थीं. उनके साथ एक दुधमुंहा बच्चा भी था. मंगलवार देर शाम को जब वह दर्शन के लिए लाइन में लगी थीं, उसी दौरान उनका बच्चा रोने लगा. उन्हें यह महसूस हो गया कि बच्चे को भूख लगी है और वह बच्चे को कंट्रोल रूम के बाहर रखी कुर्सी पर बैठ कर दूध पिलाने लगीं. तभी एक जवान आया और उन्हें भगाने लगा. महिला के पति ने दो मिनट रुकने को कहा तो वह मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने पर उतारू हो गया. यहां तक कि जब सीओ वहां पहुंचे तो वो भी महिला को भगाने लगे. ध्यान देने की बात तो ये है कि ये सब भगवान के मंदिर में हो रहा है और ऐसा करने वाला कोई आवारा बदमाश नहीं है, बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए हमारे ही टैक्स के पैसों से सैलरी पाने वाली पुलिस है.

खुद पुलिसवाले ने तोड़ा कानून

अपने साथ हुए अभद्रता के बारे में महिला ने परिवार के साथ मुख्य...

विवेक तिवारी हत्या के मामले ने यूपी पुलिस का दामन पहले ही दागदार कर दिया है. अभी इन आरोपों से पुलिस मुक्त नहीं हो पाई है और अब वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पुलिस की दबंगई का उदाहरण देखने को मिला है. यहां पुलिस वाले ने पहले एक महिला से बदतमीजी की और फिर उसका वीडियो भी बनाया. भगवान की पूजा के स्थान पर इस तरह की हरकत से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिला सुरक्षा के लिए यूपी की पुलिस कितनी तत्पर है. जिस पुलिस को देखते ही महिलाओं को लगना चाहिए कि अब कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता, यूपी में उसी पुलिस से महिलाओं को सबसे अधिक डर लगता है. जनता में इतना खराब छवि बनाने के लिए पुलिस को शर्म आनी चाहिए.

काशी विश्वनाथ मंदिर में एक महिला के साथ पुलिसवाले ने अभद्रता की है.

क्या है मामला?

नोएडा सेक्टर-56 की डॉक्टर सुनित्री सिंह अपने पति डॉक्टर परीक्षित चौहान और परिवार वालों के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के दर्शन करने गई थीं. उनके साथ एक दुधमुंहा बच्चा भी था. मंगलवार देर शाम को जब वह दर्शन के लिए लाइन में लगी थीं, उसी दौरान उनका बच्चा रोने लगा. उन्हें यह महसूस हो गया कि बच्चे को भूख लगी है और वह बच्चे को कंट्रोल रूम के बाहर रखी कुर्सी पर बैठ कर दूध पिलाने लगीं. तभी एक जवान आया और उन्हें भगाने लगा. महिला के पति ने दो मिनट रुकने को कहा तो वह मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने पर उतारू हो गया. यहां तक कि जब सीओ वहां पहुंचे तो वो भी महिला को भगाने लगे. ध्यान देने की बात तो ये है कि ये सब भगवान के मंदिर में हो रहा है और ऐसा करने वाला कोई आवारा बदमाश नहीं है, बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए हमारे ही टैक्स के पैसों से सैलरी पाने वाली पुलिस है.

खुद पुलिसवाले ने तोड़ा कानून

अपने साथ हुए अभद्रता के बारे में महिला ने परिवार के साथ मुख्य कार्यपालक विशाल सिंह के ऑफिस में जाकर लिखित शिकायत दी और कार्रवाई की मांग की. विशाल सिंह ने जांच के आदेश देते हुए कहा कि दरबार में आए भक्तों के साथ किसी प्रकार की अमानवीय घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आपको बता दें कि जिस क्षेत्र में पुलिसवाले ने वीडियो बनाने के लिए मोबाइल निकाल लिया था, वह रेड जोन है, जिसमें वीडियो बनाना कानूनी रूप से भी सही नहीं है. वरना हो सकता है कि पुलिसवाले की हरकत वहां मौजूद लोगों के कैमरों में ही कैद हो जाती. खैर, जांच के आदेश तो दे दिए गए हैं, लेकिन सिपाही का कुछ बिगड़ता है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.

महिला ने परिवार के साथ मुख्य कार्यपालक के ऑफिस में जाकर लिखित शिकायत दी.

महिलाओं के लिए खास सुविधा

एक महिला की शिकायत ने अन्य सभी महिलाओं की मुसीबतें आसान कर दी हैं. ऐसी जगहों पर अक्सर ही अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए महिलाओं को उचित स्थान नहीं मिलता है. लेकिन डॉक्टर सुनित्री की शिकायत के बाद अब मंदिर प्रशासन ने बच्चों को दूध पिलाने के लिए एक अलग कमरे का इंतजाम कर दिया है. इस कमरे में एक महिला साध्वी भी होगी, जो देख-रेख करेगी साथ ही अंदर गर्म और ठंडा पानी भी मिलेगा.

महिला की शिकायत के बाद स्तनपान के लिए अलग कमरा बना दिया गया है.

शिकायत के बाद तो इंतजाम ठीक हो गए, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर बिना किसी की शिकायत के सब कुछ सही क्यों नहीं रह सकता? ये पुलिस अपना काम ठीक से क्यों नहीं कर सकती? आखिर पुलिस उसी जनता की इज्जत क्यों नहीं करती है, जिसके टैक्स की बदौलत उसे सैलरी मिलती है, जिससे उसका घर चलता है? पुरुषों के साथ बदतमीजी की तो कोई शिकायत भी नहीं करता, लेकिन महिलाओं को भी सुरक्षा देने में यूपी पुलिस नाकाम क्यों साबित हो रही है? पुलिस को अपने दागदार दामन को साफ करना होगा और महिलाओं को ये भरोसा दिलाना होगा कि पुलिस उनकी रक्षा करेगी, तभी लोगों के मन में पुलिस के लिए इज्जत के भाव आएंगे और पुलिस की छवि बदलेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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