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क्राइम को संस्कृति बताने का चलन कब खत्म होगा?

    • आईचौक
    • Updated: 29 अगस्त, 2016 09:43 PM
  • 29 अगस्त, 2016 09:43 PM
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महेश शर्मा ने जो बातें कही हैं, उसमें कुछ नया तो है नहीं. दुनिया के तमाम दूसरे देश भारत आने वाले अपने नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करते हैं और उनमें वो बातें ही होती हैं जो मंत्री जी ने कहीं हैं...बेहतर होता महेश शर्मा भारत की उस 'इमेज' पर चोट करते..

पहले हम अपने लिए एडवायजरी जारी करते थे. अब दूसरों के लिए करने लगे हैं! हो सकता है कि महेश शर्मा ने जो कहा वो उनकी पर्यटकों के लिए चिंता हो. लेकिन जब देश के पर्यटन मंत्री के तौर पर कोई बात आप कह रहे हैं तो फिर पूरी दुनिया की नजरों में आ जाते हैं. और फिर सबसे बड़ी बात ये कि क्राइम को संस्कृति का नाम देने की कोशिश कैसे की जा सकती है?

किसी भी सैलानी के लिए अनजान देश में, अनजान सड़कों पर घूमना भारत क्या दुनिया के किसी भी देश में सुरक्षित नहीं होता. इससे आप सहमत हो या न हों, क्राइम दुनिया के हर शहर में है. लेकिन क्या इसे किसी मंत्री द्वारा कह कर साबित करने की जरूरत है? वो भी एक पर्यटन मंत्री द्वारा जिनके कंधे पर 'अतुल्य भारत' का झंडा बुलंद करने की जिम्मेदारी है.

संस्कृति के नाम पर महेश शर्मा जो एडवाइजरी जारी कर रहे हैं, क्या उससे बेहतर ये नहीं होता कि वे कोई नई बात करते. मसलन, विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है. क्योंकि उन्होंने जो बातें कहीं हैं, उसमें कुछ भी नया नहीं है. वे न कहते तो भी दुनिया जानती है. आप मानिए या नहीं..लेकिन महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर दुनिया में भारत की क्या छवि है, ये बात छिपी नहीं है.

यह भी पढ़ें- जब महामहिमों के इन बयानों पर मचा बवाल

अमेरिका दूसरे देश जाने वाले अपने सभी नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करता है. हर देश के लिए अलग-अलग गाइडलाइंस. भारत के लिए जो गाइडलाइन है उसमें यौन अपराध सहित और दूसरे अपराधों का जिक्र है. भारत के बारे में खासतौर पर कहा गया है कि यहां आने वाली अमेरिकी महिलाएं यहां के स्थानीय ड्रेस और परंपरा का सम्मान करें. बकायदा, इस बात का भी जिक्र है कि भारत में महिलाएं अपने कंधों और पैरों को ढक कर रखती हैं.

यही नहीं, इव-टीजिंग से लेकर बाजारों, स्टेशनों और बसों तक...

पहले हम अपने लिए एडवायजरी जारी करते थे. अब दूसरों के लिए करने लगे हैं! हो सकता है कि महेश शर्मा ने जो कहा वो उनकी पर्यटकों के लिए चिंता हो. लेकिन जब देश के पर्यटन मंत्री के तौर पर कोई बात आप कह रहे हैं तो फिर पूरी दुनिया की नजरों में आ जाते हैं. और फिर सबसे बड़ी बात ये कि क्राइम को संस्कृति का नाम देने की कोशिश कैसे की जा सकती है?

किसी भी सैलानी के लिए अनजान देश में, अनजान सड़कों पर घूमना भारत क्या दुनिया के किसी भी देश में सुरक्षित नहीं होता. इससे आप सहमत हो या न हों, क्राइम दुनिया के हर शहर में है. लेकिन क्या इसे किसी मंत्री द्वारा कह कर साबित करने की जरूरत है? वो भी एक पर्यटन मंत्री द्वारा जिनके कंधे पर 'अतुल्य भारत' का झंडा बुलंद करने की जिम्मेदारी है.

संस्कृति के नाम पर महेश शर्मा जो एडवाइजरी जारी कर रहे हैं, क्या उससे बेहतर ये नहीं होता कि वे कोई नई बात करते. मसलन, विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है. क्योंकि उन्होंने जो बातें कहीं हैं, उसमें कुछ भी नया नहीं है. वे न कहते तो भी दुनिया जानती है. आप मानिए या नहीं..लेकिन महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर दुनिया में भारत की क्या छवि है, ये बात छिपी नहीं है.

यह भी पढ़ें- जब महामहिमों के इन बयानों पर मचा बवाल

अमेरिका दूसरे देश जाने वाले अपने सभी नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करता है. हर देश के लिए अलग-अलग गाइडलाइंस. भारत के लिए जो गाइडलाइन है उसमें यौन अपराध सहित और दूसरे अपराधों का जिक्र है. भारत के बारे में खासतौर पर कहा गया है कि यहां आने वाली अमेरिकी महिलाएं यहां के स्थानीय ड्रेस और परंपरा का सम्मान करें. बकायदा, इस बात का भी जिक्र है कि भारत में महिलाएं अपने कंधों और पैरों को ढक कर रखती हैं.

यही नहीं, इव-टीजिंग से लेकर बाजारों, स्टेशनों और बसों तक में सावधान रहने की नसीहत अमेरिकी सरकार ने अपने नागरिकों को दी है. इस नसीहत में दिल्ली में 2012 में हुए गैंगरेप का भी जिक्र है और ये भी बताया गया है कि सैलानी खासकर महिलाएं शाम होने के बाद विशेष सावधानी बरतें. महिलाएं अकेले कहीं भी जाने से बचें. यहां तक कि होटलों में भी रहने से पहले ये सुनिश्चित करें कि रूम का दरवाजा अच्छे से लॉक होता हो, उसमें चेन हो इत्यादि. जितना संभव हो सके, अकेले घूमने से बचा जाए...

कहने का अर्थ ये कि महेश शर्मा बतौर मंत्री जो कह रहे हैं, उसे दुनिया जानती है. आप उसे और महिमामंडित मत कीजिए. क्योंकि ये बातें आपको और शर्मसार ही करेंगी.

विवाद के बाद महेश शर्मा की सफाई..

विवाद बढ़ने के बाद महेश शर्मी की सफाई है कि उन्होंने केवल धार्मिक जगहों पर भारतीय संस्कृति और लोगों की भावनाओं का ध्यान रखे जाने की बात कही थी. लेकिन सफाई से पहले सोशल मीडिया पर तो रायता फैल ही चुका था. इसलिए, उम्मीद कीजिए बात दूर तक गई होगी. सात समुंद्र पार भी उन सौलानियों के पास जो भारत की 'संस्कृति' देखने के लिए आने का मन बना रहे होंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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