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तीन तलाक के दो मामले जिसमें पतियों ने हराम और हलाल की नई परिभाषा लिख दी

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 16 अक्टूबर, 2019 07:46 PM
  • 16 अक्टूबर, 2019 07:46 PM
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तीन तलाक के दो मामले बताते हैं कि मुस्लिम समाज में महिलाओं को अगर खुश रहना है तो अपने पति के मुताबिक ही चलना होगा. यहां शराब पीना और बुर्का पहनना किसी के लिए हराम है तो किसी के लिए हलाल.

अभी अक्टूबर का महीना शुरू ही हुआ था कि बुलंदशहर के सिकंदराबाद से तीन तलाक की एक खबर आई. दहेज के मामले में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचे पति ने सबके सामने ये कहते हुए पत्नी को तीन तलीक दे दिया कि पत्नी घर में जींस और टी-शर्ट पहनती है और मोबाइल भी चलाती है. तीन तलाक देकर वो वहां से फरार हो गया.

बताइए, आज के जमाने में पत्नियां अगर मोबाइल चलाएंगी या घर में जींस और टी-शर्ट पहनेंगी तो इस्लाम मानने वाले एक सच्चे मुसलमान कैसे ऐसी पत्नी को तलाक नहीं देगा. समाज बदल रहा है वो अपनी जगह है लेकिन धर्म भी कोई चीज है. अगर इस्लाम में ये सब हराम है, तो है. और ऐसे में पति अपनी पत्नी को तीन तलाक दे सकता है (भले ही भारतीय कानून इसकी इजाजत न दे).

पत्नी पति के हिसाब से न चले तो- तीन तलाक

अब अक्टूबर के दूसरे हफ्ते बिहार की राजधानी पटना से तीन तलाक की एक खबर आई. महिला का आरोप है कि उसके पति ने उसे इसलिए तीन तलाक दे दिया क्योंकि वो नकाब में रहती है, छोटी ड्रेस नहीं पहनती, सिगरेट शराब नहीं पीती, पार्टियों में दोस्तों के साथ डांस नहीं करती.पत्नी B.Tech है और पति उसे 'गंवार' कहता है क्योंकि वो 'मॉर्डन' नहीं है. फिलहाल तीन तलाक देकर पति फरार है और पत्नी महिला आयोग के पास शिकायत लेकर गई है.

दोनों ही मामले तीन तलाक के हैं और दोनों में तलाक देने की वजह एकदम उलट. एक तरफ जहां महिलाओं का पर्दें में रहना सबसे जरूरी माना जाता है, सिगरेट-शराब को हराम माना जाता है, मोबाइल के इस्तेमाल को हराम कहा जाता है, उसे जहन्नुम में ले जाने वाला बताया जाता है. इसके चलते पत्नियों को तलाक दे दिया जाता है. वहीं एक पति जो बड़े शहर में रहता है वो अपनी पत्नी से यही सब चाहता है. वो चाहता है कि पत्नी नकाब में न रहे, छोटे कपड़े पहने, सिगरेट शराब पिए,...

अभी अक्टूबर का महीना शुरू ही हुआ था कि बुलंदशहर के सिकंदराबाद से तीन तलाक की एक खबर आई. दहेज के मामले में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचे पति ने सबके सामने ये कहते हुए पत्नी को तीन तलीक दे दिया कि पत्नी घर में जींस और टी-शर्ट पहनती है और मोबाइल भी चलाती है. तीन तलाक देकर वो वहां से फरार हो गया.

बताइए, आज के जमाने में पत्नियां अगर मोबाइल चलाएंगी या घर में जींस और टी-शर्ट पहनेंगी तो इस्लाम मानने वाले एक सच्चे मुसलमान कैसे ऐसी पत्नी को तलाक नहीं देगा. समाज बदल रहा है वो अपनी जगह है लेकिन धर्म भी कोई चीज है. अगर इस्लाम में ये सब हराम है, तो है. और ऐसे में पति अपनी पत्नी को तीन तलाक दे सकता है (भले ही भारतीय कानून इसकी इजाजत न दे).

पत्नी पति के हिसाब से न चले तो- तीन तलाक

अब अक्टूबर के दूसरे हफ्ते बिहार की राजधानी पटना से तीन तलाक की एक खबर आई. महिला का आरोप है कि उसके पति ने उसे इसलिए तीन तलाक दे दिया क्योंकि वो नकाब में रहती है, छोटी ड्रेस नहीं पहनती, सिगरेट शराब नहीं पीती, पार्टियों में दोस्तों के साथ डांस नहीं करती.पत्नी B.Tech है और पति उसे 'गंवार' कहता है क्योंकि वो 'मॉर्डन' नहीं है. फिलहाल तीन तलाक देकर पति फरार है और पत्नी महिला आयोग के पास शिकायत लेकर गई है.

दोनों ही मामले तीन तलाक के हैं और दोनों में तलाक देने की वजह एकदम उलट. एक तरफ जहां महिलाओं का पर्दें में रहना सबसे जरूरी माना जाता है, सिगरेट-शराब को हराम माना जाता है, मोबाइल के इस्तेमाल को हराम कहा जाता है, उसे जहन्नुम में ले जाने वाला बताया जाता है. इसके चलते पत्नियों को तलाक दे दिया जाता है. वहीं एक पति जो बड़े शहर में रहता है वो अपनी पत्नी से यही सब चाहता है. वो चाहता है कि पत्नी नकाब में न रहे, छोटे कपड़े पहने, सिगरेट शराब पिए, उसके दोस्तों के साथ डांस करे. और जो न करे तो इसके लिए उसे तलाक दे दिया जाता है.

अब किसे सही कहें और किसे गलत. क्या हराम है और क्या हलाल? यानी इस्लाम में एक चीज तो पक्के तौर पर सही है और वो है तीन-तलाक. पति अपनी पत्नी को अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी वजह से तलाक देने का अधिकार रखता है. लेकिन एक ही चीज है जिसपर अब भी विरोधाभास है कि इस्लाम में हलाल क्या और हराम क्या है. तो इसका जवाब ये है कि सबने अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से धर्म को अपनाया हुआ है. धर्म अगर आपको मनमर्जी करने की इजाजत देता है तो आपका धर्म सबसे ऊपर है, और अगर धर्म आपको आपके मन मुताबिक न चलने दे, या फिर उससे आपको परेशानी महसूस हो, तो आप अपने जीव में धर्म को अपने हिसाब से ही अहमियत देंगे.

ऐसा सिर्फ इस्लाम में नहीं है, बल्कि दूसरे धर्मों में भी देखने को मिलता है. अभी हाल ही की बात है एक पंजाबी परिवार था, उनके घर नॉनवेज भी खाया जाता था और शराब भी पी जाती थी. परिवार में कुछ समय से परेशानियां चल रही थीं तो उन्होंने एक बाबा को अपना गुरू बना लिया. गुरूजी ने कहा कि नॉनवेज न खाने से परेशानी कम हो जाएंगी. परिवार से ये न हो सका और उन्होंने गुरू बदल लिए. दूसरे गुरू ने भी उन्हें शराब न पीने के लिए कहा. परिवार से ये भी न हो सका और उन्हें लगा कि ये गुरूजी भी सही नहीं हैं. उन्होंने तीसरे गुरू बनाए. इन गुरुजी का कहना है कि नॉनवेज और शराब कुछ भी छोड़ने की जरूरत नहीं है, बस पूजा पाठ नियमित रूप से करते रहिए, सब अच्छा होगा. बस इस परिवार के लिए यही गुरू सबसे अच्छे थे. क्योंकि इन्होंने परिवार की मर्जी के मुताबिक ही बात कही.

यानी अपने-अपने हिसाब से हर कोई धार्मिक है. लेकिन धर्म आपकी सहूललियत के हिसाब से हो. इस्लाम में कहा जाता है कि मोबाइल हराम नहीं है, बल्कि उसका गलत इस्तेमाल हराम है. अब उसमें गेम खेलना गलत है या, चैटिंग करना गलत है, या महिलाओं का इस्तेमाल करना गलत है ये अपनी-अपनी सोच पर निर्भर करता है.

जब से सरकार तीन तलाक के खिलाफ कानून लाई है तब से तीन तलाक के मामलों में काफी कमी आई है. ऐसा नहीं है कि ये मामले बंद हो गए हैं, लेकिन हां अब तलाक के तरीकों में बदलाव देखने मिल रहा है, यानी अब महिलाओं को खुद ही मजबूर किया जा रहा है कि वो ही पति को छोड़कर चली जाएं. जैसा कि पटना के इस मामले में हुआ पति पढ़ा-लिखा है, जानता है कि तीन तलाक अब अपराध है, लिहाजा पत्नी के साथ मार-पीट कर रहा था और उसे खुद ही छोड़कर चले जाने के लिए कह रहा था. लेकिन जो वजह इस व्यक्ति ने दी उसने तीन तलाक और इस्लाम से जुड़ी मान्यताओं की पोल खोलकर रख दी है. ये मामला बताता है कि मुस्लिम समाज में महिलाओं को अगर खुश रहना है तो अपने पति के मुताबिक चलना होगा. और सिर्फ मुस्लिम समाज ही नहीं पितृसत्ता तो हर जगह है बस कहीं ज्यादा और कहीं कम है.

लेकिन एक बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि धार्मिक मान्यताएं, रीति-रिवाज ये सब ईश्वर ने नहीं बनाए, बल्कि इंसान ही है जो अपने मुताबिक इन सभी चीजों में बदलाव करता आया है. हराम और हलाल हो, वेज और नॉनवेज हो, अच्छा या बुरा हो, गंवार या मॉर्डन हो, हर चीज हर व्यक्ति अपने हिसाब से सही करना चाहता है बस. पटना की इस महिला को बचपन से जो सही बताया गया था वो शादी के बाद उसके पति ने गलत साबित कर दिया. दोषी कौन ये खुद निर्णय लें, लेकिन नुक्सान में सिर्फ एक महिला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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