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आज ही के दिन पड़ी थी भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध की नींव

    • संतोष चौबे
    • Updated: 21 नवम्बर, 2016 02:50 PM
  • 21 नवम्बर, 2016 02:50 PM
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1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध यूँ तो 3 दिसंबर से 16 दिसंबर 1971 तक चला था, लेकिन इसकी नींव 21 नवम्बर 1971 को ही पड़ गई थी.

1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध यूँ तो 3 दिसंबर से 16 दिसंबर 1971 तक चला था, लेकिन इसकी नींव 21 नवम्बर 1971 को ही पड़ गई थी. इस दिन ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हुईं थीं जिन्होंने आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया की भूराजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया और पाकिस्तान को ऐसा नासूर दिया जो पाकिस्तान तब तक नहीं भुला सकता जब तक कि वहां के सैन्य और राजनितिक आकाओं को सद्बुद्धि ना आए. और ऐसा होना संभव नहीं लगता, कम से कम उस भविष्य में जिसका हम अनुमान कर सकते हैं, क्योंकि भारत विरोधी प्रोपेगंडा ही पाकिस्तान के सैन्य, राजनितिक और राज्य-पोषित आतंकवादी तत्वों की जीवन रेखा है.  21 नवंबर 1971 को बांग्लादेश आर्म्ड फोर्सेज का गठन हुआ था और बांग्लादेश हर वर्ष इसे आर्म्ड फोर्सेज डे के रूप में मनाता है. 21 नवम्बर 1971 को भारतीय सेना और बांग्लादेश आर्म्ड फोर्सेज (मुक्ति बाहिनी) ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अलायन्स बनाया था.  

1971 की सर्जिकल स्ट्राइक-

21 नवम्बर 1971 को भारतीय सेना ने मुक्ति बाहिनी के साथ तब के ईस्ट पाकिस्तान के 7 किमी अंदर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ग़रीबपुर गांव पर हमला बोला था. भारत की 14 पंजाब बटालियन और  स्क्वाड्रन 45 कैवेलरी की तोपें पाकिस्तानी सेना और उसकी तोपों के सामने थे. इस लड़ाई में पाकिस्तान के हवा-हवाई दावे हवा साबित हो गए थे. तब 23 नवंबर को ही भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी ने पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाते हुए गरीबपुर गांव को जीत लिया था. भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी के इस पराक्रम को अब बैटल ऑफ़ गरीबपुर के नाम से जाना जाता है.  अब इसके बाद तो इतिहास है. भारतीय सेना जो अब तक बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों की मदद कर रही थी वो खुल कर सामने आ गई और महज 13 दिनों में ही ईस्ट पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया. 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का उदय हुआ जब पाकिस्तान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को लगभग 93000 पाकिस्तानी ट्रुप्स और सिविलियन्स के साथ भारत के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने समर्पण करना पड़ा.  1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम  का मुख्य चरण इसीलिए 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नाम से जाना जाता है. 16 दिसंबर हर वर्ष बांग्लादेश और भारत में विजय दिवस के रूप...

1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध यूँ तो 3 दिसंबर से 16 दिसंबर 1971 तक चला था, लेकिन इसकी नींव 21 नवम्बर 1971 को ही पड़ गई थी. इस दिन ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हुईं थीं जिन्होंने आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया की भूराजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया और पाकिस्तान को ऐसा नासूर दिया जो पाकिस्तान तब तक नहीं भुला सकता जब तक कि वहां के सैन्य और राजनितिक आकाओं को सद्बुद्धि ना आए. और ऐसा होना संभव नहीं लगता, कम से कम उस भविष्य में जिसका हम अनुमान कर सकते हैं, क्योंकि भारत विरोधी प्रोपेगंडा ही पाकिस्तान के सैन्य, राजनितिक और राज्य-पोषित आतंकवादी तत्वों की जीवन रेखा है.  21 नवंबर 1971 को बांग्लादेश आर्म्ड फोर्सेज का गठन हुआ था और बांग्लादेश हर वर्ष इसे आर्म्ड फोर्सेज डे के रूप में मनाता है. 21 नवम्बर 1971 को भारतीय सेना और बांग्लादेश आर्म्ड फोर्सेज (मुक्ति बाहिनी) ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अलायन्स बनाया था.  

1971 की सर्जिकल स्ट्राइक-

21 नवम्बर 1971 को भारतीय सेना ने मुक्ति बाहिनी के साथ तब के ईस्ट पाकिस्तान के 7 किमी अंदर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ग़रीबपुर गांव पर हमला बोला था. भारत की 14 पंजाब बटालियन और  स्क्वाड्रन 45 कैवेलरी की तोपें पाकिस्तानी सेना और उसकी तोपों के सामने थे. इस लड़ाई में पाकिस्तान के हवा-हवाई दावे हवा साबित हो गए थे. तब 23 नवंबर को ही भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी ने पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाते हुए गरीबपुर गांव को जीत लिया था. भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी के इस पराक्रम को अब बैटल ऑफ़ गरीबपुर के नाम से जाना जाता है.  अब इसके बाद तो इतिहास है. भारतीय सेना जो अब तक बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों की मदद कर रही थी वो खुल कर सामने आ गई और महज 13 दिनों में ही ईस्ट पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया. 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का उदय हुआ जब पाकिस्तान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को लगभग 93000 पाकिस्तानी ट्रुप्स और सिविलियन्स के साथ भारत के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने समर्पण करना पड़ा.  1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम  का मुख्य चरण इसीलिए 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नाम से जाना जाता है. 16 दिसंबर हर वर्ष बांग्लादेश और भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है जबकि 26 मार्च को बांग्लादेश अपने स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है. जिस दिन इसने 1971 में  पाकिस्तान से आज़ादी की घोषणा की थी. इस वर्ष बांग्लादेश अपना 45वां स्वतंत्रता दिवस और विजय दिवस मना रहा है और 1971 के गरीबपुर युद्ध के वेटरन्स सहित भारतीय वॉर वेटरन्स को सम्मानित करने की योजना बना रहा है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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