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तालिबान सरकार ने तैयार कर दिया अफगानिस्‍तान का खौफनाक चेहरा

    • अनु रॉय
    • Updated: 10 सितम्बर, 2021 11:53 AM
  • 10 सितम्बर, 2021 11:53 AM
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तालिबान के हाथों में आने के बाद हर बीतते दिन के साथ अफगानिस्तान की स्थिति बद से बदतर हो रही है. चाहे एक मोस्ट वांटेड आतंकी का अफगानिस्तान का गृहमंत्री बनना हो या फिर वहां के शिक्षा मंत्री का बयान कहना गलत नहीं है कि जल्द ही अफगानिस्तान गर्त के अंधेरों की भेंट चढ़ जाएगा.

तालिबानी सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर ने कहा है कि पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है. मुल्लाओं और सत्ता में शामिल तालिबानी नेताओं के पास भी ये डिग्रियां नहीं हैं, यहां तक कि उनके पास तो हाईस्कूल की डिग्री भी नहीं है, लेकिन फिर भी वे ताकतवर हैं. इधर भारत में तालिबान के फ्रेंड पत्रकार अलग लेवल का चरस बो रहे हैं. एक फ़ोटो शेयर की जा रही हैं जहां यूनिवर्सिटी में पर्दा लगा कर क्लास चल रही है और आलम ये है कि परदे के इस तरफ़ बैठी ख़ातूने बुर्क़े में हैं. एक अन्य पत्रकार हैं. उन्हें इस बात को लेकर आपत्ति हो रही है कि तालिबान सरकार को आतंकी सरकार कैसे बोल दिया? ये तालिबान गुड तालिबान है. इसकी तारीफ़ होनी चाहिए.

उधर तालिबान में सरकार का गठन हो चुका है. सिराजुद्दीन हक्कानी गृह मंत्री बनाए गए हैं. गौर फ़रमाइए ज़रा, आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन अमेरिका की आतंकी लिस्ट में मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल हैं. अमेरिका ने उन पर करीब 37 करोड़ रुपए का इनाम रखा हुआ है. माशाअल्लाह! माशाअल्लाह.

अब इसे विडंबना कहें या कुछ और तालिबान के गृहमंत्री के ऊपर खुद अमेरिका ने इनाम रखा हुआ है

आतंकवादी होम मिनिस्टर बनें हैं और तालिबान सरकार को आतंकी सरकार बोलने पर लोगों का दिल दुःख रहा है. जावेद अख़्तर जिन्हें RSS वाले हिंदू तालिबानी लग रहे हैं उनसे पूछे कोई कि क्या उनको अफ़ग़ानिस्तान में यही आज़ादी मिलेगी कि वो सिराजुद्दीन साहेब के ख़िलाफ़ कुछ बोल पाएं? और औरतों की बात तो क्या ही करें. तालिबान ने जिस सरकार का गठन किया है उसमें 33 मंत्री शामिल हैं और ख़ुशी की बात ये है कि इसमें एक भी स्त्री शामिल नहीं है. ताल‍िबान ने तो खुले तौर पर कह दिया है क‍ि महिलाएं मंत्री बनने के काबिल नहीं...

तालिबानी सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर ने कहा है कि पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है. मुल्लाओं और सत्ता में शामिल तालिबानी नेताओं के पास भी ये डिग्रियां नहीं हैं, यहां तक कि उनके पास तो हाईस्कूल की डिग्री भी नहीं है, लेकिन फिर भी वे ताकतवर हैं. इधर भारत में तालिबान के फ्रेंड पत्रकार अलग लेवल का चरस बो रहे हैं. एक फ़ोटो शेयर की जा रही हैं जहां यूनिवर्सिटी में पर्दा लगा कर क्लास चल रही है और आलम ये है कि परदे के इस तरफ़ बैठी ख़ातूने बुर्क़े में हैं. एक अन्य पत्रकार हैं. उन्हें इस बात को लेकर आपत्ति हो रही है कि तालिबान सरकार को आतंकी सरकार कैसे बोल दिया? ये तालिबान गुड तालिबान है. इसकी तारीफ़ होनी चाहिए.

उधर तालिबान में सरकार का गठन हो चुका है. सिराजुद्दीन हक्कानी गृह मंत्री बनाए गए हैं. गौर फ़रमाइए ज़रा, आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन अमेरिका की आतंकी लिस्ट में मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल हैं. अमेरिका ने उन पर करीब 37 करोड़ रुपए का इनाम रखा हुआ है. माशाअल्लाह! माशाअल्लाह.

अब इसे विडंबना कहें या कुछ और तालिबान के गृहमंत्री के ऊपर खुद अमेरिका ने इनाम रखा हुआ है

आतंकवादी होम मिनिस्टर बनें हैं और तालिबान सरकार को आतंकी सरकार बोलने पर लोगों का दिल दुःख रहा है. जावेद अख़्तर जिन्हें RSS वाले हिंदू तालिबानी लग रहे हैं उनसे पूछे कोई कि क्या उनको अफ़ग़ानिस्तान में यही आज़ादी मिलेगी कि वो सिराजुद्दीन साहेब के ख़िलाफ़ कुछ बोल पाएं? और औरतों की बात तो क्या ही करें. तालिबान ने जिस सरकार का गठन किया है उसमें 33 मंत्री शामिल हैं और ख़ुशी की बात ये है कि इसमें एक भी स्त्री शामिल नहीं है. ताल‍िबान ने तो खुले तौर पर कह दिया है क‍ि महिलाएं मंत्री बनने के काबिल नहीं होतीं. 

वैसे भी कल से काबुल में इन तालिबानियों के ख़िलाफ़ जो विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं उसमें दिख रहा है कि ये तालिबानी लोग किस क़दर औरतों के साथ पेश आ रहे हैं. इनकी बर्बरता साफ़-साफ़ दिख रही है कि कैसे ये लड़कियों और औरतों पर कोड़े बरसा रहे हैं और फिर भी कुछ लोग तालिबान प्रेम में अंधे हुए जा रहे हैं. जैसे कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला.

उन्होंने तालिबान का समर्थन करते हुए कहा है कि, 'मुझे उम्मीद है कि तालिबान अच्छी तरह सरकार चलाएगा. ये भी उम्मीद करते हैं कि तालिबानी सरकार अफगानिस्तान में इस्लाम के सिद्धांतों का पालन करेगी और मानवाधिकारों का ख्याल रखेगी. उन्हें सभी देशों से दोस्ताना रिश्ते बनाने की कोशिश करनी चाहिए.'

वल्लाह. ये है गुड तालिबान! ये है तालिबान का मानवाधिकार और ये है भारत के हिपोक्रेट्स का फ़ेवरेट तालिबान. पढ़िए और पहचानिए अपने आस-पास बैठे इंसान की शक्ल वाले भेड़िए को जिनको हिंदुस्तान तालिबान नज़र आता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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