• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

10वीं और 12वीं करने वाले हर बच्चे को मिलते हैं रिश्तेदारों से ऐसे सुझाव!

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 09 जून, 2018 03:41 PM
  • 09 जून, 2018 03:41 PM
offline
रिजल्ट का दौर चल रहा है और घबराए बच्चों के साथ बौखलाए रिश्तेदार भी घरों के चक्कर लगा रहे हैं. पर क्या आप जानते हैं कि ये रिश्तेदार घरों में आकर बच्चों को कैसे करियर के सुझाव देकर जाते हैं?

रिजल्ट का सीजन चल रहा है और इस समय 10वीं और 12वीं करने वाले हर बच्चे के मन में एक डर होता है. ये डर है कि आगे क्या होगा. रिश्तेदार भी कुछ कम नहीं होते जो गाहे-बगाहे ये सवाल पूछ ही लेते हैं कि आखिर आगे का क्या सोचा है. पर यहीं बात खत्म नहीं होती. ये रिश्तेदार बच्चों को नए-नए करियर ऑप्शन देकर जाते हैं जो यकीनन किसी भी बच्चे के लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं होते. क्योंकि, आखिर किसी फलानी बुआ ने सपना जो देखा है कि उनका भतीजा डॉक्टर बनेगा (वाक्य के व्यंग्य को समझिए). तो रिश्तेदार आखिर कैसी करियर एडवाइस देते हैं?

1. साइंस ले लो..

ये कोई करियर ऑप्शन नहीं होता और 10वीं के बाद ज्यादा सुनने को मिलता है. साइंस ले लो.. उसके बाद क्या करो ये किसी को पता नहीं होता. साइंस सब्जेक्ट इसलिए पढ़ों क्योंकि वो कठिन होता है और उसके बाद कई सारे करियर के ऑप्शन खुल जाते हैं. पर वो ऑप्शन क्या होते हैं ये भी ठीक-ठाक कोई रिश्तेदार नहीं बता पाता. साइंस लेकर डॉक्टर बनने के सपने मां-बाप को दिखा कर वो चले जाते हैं, लेकिन ये नहीं बता पाते कि जिस बच्चे को डॉक्टर बनना ही न हो उसके लिए साइंस के बाद क्या विकल्प होंगे ये नहीं पता.

2. मैथ्स ले लो.. इंजीनियरिंग में बहुत स्कोप है..

हिंदुस्तान के आधे बच्चों की जिंदगी इस एक सेंटेंस ने खराब कर रखी है. ये वो वाक्य है जिसके कारण हिंदुस्तान में जरूरत से ज्यादा इंजीनियर पास हो रहे हैं. भारत में कहा जाता है कि पहले यहां इंजीनियरिंग की जाती है फिर ये सोचा जाता है कि आखिर आगे क्या किया जाए. इस दुर्दशा में बच्चों का नहीं बल्कि रिश्तेदारों का ज्यादा हाथ होता है.

3. एमबीए कर लो..

अगर लड़कियां हैं तो उन्हें ये कहा जाएगा कि एमबीए कर लो आजकल लड़कों को स्मार्ट और एमबीए की हुई...

रिजल्ट का सीजन चल रहा है और इस समय 10वीं और 12वीं करने वाले हर बच्चे के मन में एक डर होता है. ये डर है कि आगे क्या होगा. रिश्तेदार भी कुछ कम नहीं होते जो गाहे-बगाहे ये सवाल पूछ ही लेते हैं कि आखिर आगे का क्या सोचा है. पर यहीं बात खत्म नहीं होती. ये रिश्तेदार बच्चों को नए-नए करियर ऑप्शन देकर जाते हैं जो यकीनन किसी भी बच्चे के लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं होते. क्योंकि, आखिर किसी फलानी बुआ ने सपना जो देखा है कि उनका भतीजा डॉक्टर बनेगा (वाक्य के व्यंग्य को समझिए). तो रिश्तेदार आखिर कैसी करियर एडवाइस देते हैं?

1. साइंस ले लो..

ये कोई करियर ऑप्शन नहीं होता और 10वीं के बाद ज्यादा सुनने को मिलता है. साइंस ले लो.. उसके बाद क्या करो ये किसी को पता नहीं होता. साइंस सब्जेक्ट इसलिए पढ़ों क्योंकि वो कठिन होता है और उसके बाद कई सारे करियर के ऑप्शन खुल जाते हैं. पर वो ऑप्शन क्या होते हैं ये भी ठीक-ठाक कोई रिश्तेदार नहीं बता पाता. साइंस लेकर डॉक्टर बनने के सपने मां-बाप को दिखा कर वो चले जाते हैं, लेकिन ये नहीं बता पाते कि जिस बच्चे को डॉक्टर बनना ही न हो उसके लिए साइंस के बाद क्या विकल्प होंगे ये नहीं पता.

2. मैथ्स ले लो.. इंजीनियरिंग में बहुत स्कोप है..

हिंदुस्तान के आधे बच्चों की जिंदगी इस एक सेंटेंस ने खराब कर रखी है. ये वो वाक्य है जिसके कारण हिंदुस्तान में जरूरत से ज्यादा इंजीनियर पास हो रहे हैं. भारत में कहा जाता है कि पहले यहां इंजीनियरिंग की जाती है फिर ये सोचा जाता है कि आखिर आगे क्या किया जाए. इस दुर्दशा में बच्चों का नहीं बल्कि रिश्तेदारों का ज्यादा हाथ होता है.

3. एमबीए कर लो..

अगर लड़कियां हैं तो उन्हें ये कहा जाएगा कि एमबीए कर लो आजकल लड़कों को स्मार्ट और एमबीए की हुई लड़कियां ज्यादा पसंद हैं, अगर लड़के हैं तो उन्हें कहा जाएगा कि इसमें ज्यादा स्कोप है एमबीए कर लो. 12वीं के बच्चों को एमबीए करने की सलाह देने वाले रिश्तेदार ये भूल जाते हैं कि अभी बच्चे को पहले ग्रैजुएशन करनी होगी और ये तय करना होगा कि एमबीए किस सब्जेक्ट में करना है. रिश्तेदारों के लिए फाइनेंस, मार्केटिंग और एचआर में एमबीए के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिखता.

4. होम साइंस ले लो.. हमने भी यही किया था..

ये अक्सर लड़कियों के साथ होता है. होम साइंस ले लो कहने वाले रिश्तेदारों को सिर्फ यही लगता है कि होम साइंस और आर्ट्स पढ़कर लड़की अच्छे नंबर ले आए और शादी कर दी जाए तो बेहतर होगा. इसके अलावा, उनके दिमाग में और कोई भी सुझाव नहीं आता.

5. नौकरी सरकारी.. सबसे प्यारी..

यहां बस आईएएस, यूपीएससी, पीएससी और एसएससी जैसे एग्जाम की बात होती है और बच्चों पर ये प्रेशर होता है कि वो सरकारी नौकरी करें और देश की सेवा करें. यहां देश की सेवा कम और परिवार की सेवा पर ध्यान ज्यादा रहता है.

6. बैंक के पेपर दो बहुत जल्दी तरक्की करोगे..

बैंक क्लर्क, बैंक पीओ, IBPS जैसे सुझाव देने वाले रिश्तेदारों की भी कमी नहीं है. इसका सबसे बड़ा कारण ये होता है कि परिवार में एक या दो रिश्तेदारों के बच्चों ने बैंक के पेपर दिए होते हैं और कोई न कोई बैंकर नौकरी जरूर कर रहा होता है.

7. कॉमर्स मत लेना जिंदगी खराब हो जाएगी..

ये वो रिश्तेदार कहते हैं जिनके मुताबिक कॉमर्स लेकर जिंदगी सिर्फ खराब ही होती है और ये सुझाव 10वीं के समय अक्सर मिलता है. कॉमर्स के बाद कितने विकल्प खुलते हैं ये जानकारी अभी भी लोगों को कम ही है.

क्यों रिश्तेदार या परिवार वाले अक्सर सही सुझाव नहीं दे पाते...

इसका सबसे पहला कारण ये है कि वो अपनी जिंदगी के बदलावों को और अपने करियर को सामने रखते हैं. अगर वो बहुत ज्यादा सफल हैं तो सुझाव के साथ-साथ एक उम्मीद भी जुड़ जाएगी और फिर अगर उनका सुझाव नहीं माना गया तो उनके अहम को ठेस पहुंच सकती है, और अगर वो ज्यादा सफल नहीं हैं तो वही सुझाव दिए जाएंगे जो 1980 के जमाने से सभी पुराने करियर ऑप्शन देंगे. अगर कोई पैशन वाला ऑप्शन उनके सामने रखा जाएगा जैसे पत्रकारिता या फिर फोटोग्राफी तो उसे सिरे से नकार दिया जाएगा. दूसरा सबसे बड़ा कारण ये है कि रिश्तेदार और परिवार हमेशा सेफ होकर चलते हैं यानी ऐसे ही विकल्प सुझाए जाएंगे जहां फेल होने की गुंजाइश काफी कम हो.

रिश्तेदारों की तरफ से बिरले ही नेवी, पुलिस, आर्मी, एयरफोर्स जैसे सुझाव आते हैं और फोटोग्राफी, मॉडलिंग, वीडियो ब्लॉगर, डांसर, जर्नलिस्ट आदि तो भूल ही जाइए. इसलिए सबकी सलाह जरूर लें, लेकिन अपने पैशन को ध्यान में रखकर ही करियर का फैसला लें. याद रखें कि अगर आपमें हुनर है तो दुनिया में कोई भी काम करियर की तरह लिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-

एक बोर्ड टॉपर जो उसकी 'कामयाबी' का सेलिब्रेशन नहीं चाहता

'मैं मेरिट में नहीं आई तो लगा जैसे परीक्षा में फेल हो गई'


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲