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डेढ़ साल से कश्‍मीर में जारी जंग में हमारी सेना के साथ हुआ ये सब...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 09 जून, 2017 05:39 PM
  • 09 जून, 2017 05:39 PM
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2 जनवरी को पठानकोट हमला हुआ, और तभी से मोदी-नवाज शरीफ संबंधों में खटास आ गई. फिर कश्‍मीर में उपद्रव, बुरहान वानी का खात्‍मा. उरी हमला, तो फिर सर्जिकल स्‍ट्राइक. इस जंग में जानिए आर्मी ने क्‍या हासिल किया और क्‍या नुकसान उठाया.

साल 2016 को आर्मी से जोड़कर अगर देखा जाए तो जो कुछ शब्‍द सबसे पहले दिमाग में आते हैं, वे हैं पठानकोट हमला, बुरहान वानी, उरी हमला, सर्जिकल स्‍ट्राइक. और उसके बाद से कश्‍मीर में लगातार जारी हिंसा.

2016 में हुआ ये सब...

1. साल की शुरुआत 2 जनवरी को हुए पठानकोट टेरर अटैक से हुई जो एयर फोर्ट स्टेशन पर किया गया था. इसमें तीन जवान शहीद हुए थे और चार आतंकियों को मार गिराया गया था.

हमारी सेना जितना दिखता है उस्से ज्यादा मेहनत करती है2. साल का दूसरा सबसे बड़ा हमला 25 जून को हुआ. ये कश्मीर के पम्पोर में हुआ जहां ग्रेनेड से हमला किया गया था.

3. 18 सितंबर को उरी अटैक हुआ. इसे कई सालों में आर्मी बेस कैम्प पर हुआ सबसे बड़ा अटैक माना जाता है. इसमें 19 जवानों की मौत हुई थी और 4 आतंकियों को मार गिराया गया था. ये वही हमला था जिसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी.

4. 29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक की गई. भारतीय सैनिक एलओसी को पार करके पाकिस्तान अधिगृहित आज़ाद कश्मीर के इलाके में गए और आतंकी ठिकानो को बर्बाद कर दिया. पाकिस्तान ने इसका खंडन किया था.

5. आर्मी ने अपने 68 जवान खो दिए. हमारे जवान कुल 15 टेरर अटैक्स में मारे गए हैं. इसके अलावा, 2016 में 449 बार सीजफायर तोड़ी गई है. इसमें जम्मू कश्मीर और अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में 228 और बीएसएफ के एरिया में 221 घटनाएं थी.

6. 2016 में 88 बार घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में करीब 104 आतंकियों को मार गिराया गया. ये खुश होने की बात नहीं कही जा सकती क्योंकि आर्मी मानती है कि अगर 1 शहादत के बदले 5 आतंकियों को नहीं मारा गया तो उनका नुकसान होगा. अब खुद ही गिनती कर लीजिए कि 2016 में सेना को कितना...

साल 2016 को आर्मी से जोड़कर अगर देखा जाए तो जो कुछ शब्‍द सबसे पहले दिमाग में आते हैं, वे हैं पठानकोट हमला, बुरहान वानी, उरी हमला, सर्जिकल स्‍ट्राइक. और उसके बाद से कश्‍मीर में लगातार जारी हिंसा.

2016 में हुआ ये सब...

1. साल की शुरुआत 2 जनवरी को हुए पठानकोट टेरर अटैक से हुई जो एयर फोर्ट स्टेशन पर किया गया था. इसमें तीन जवान शहीद हुए थे और चार आतंकियों को मार गिराया गया था.

हमारी सेना जितना दिखता है उस्से ज्यादा मेहनत करती है2. साल का दूसरा सबसे बड़ा हमला 25 जून को हुआ. ये कश्मीर के पम्पोर में हुआ जहां ग्रेनेड से हमला किया गया था.

3. 18 सितंबर को उरी अटैक हुआ. इसे कई सालों में आर्मी बेस कैम्प पर हुआ सबसे बड़ा अटैक माना जाता है. इसमें 19 जवानों की मौत हुई थी और 4 आतंकियों को मार गिराया गया था. ये वही हमला था जिसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी.

4. 29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक की गई. भारतीय सैनिक एलओसी को पार करके पाकिस्तान अधिगृहित आज़ाद कश्मीर के इलाके में गए और आतंकी ठिकानो को बर्बाद कर दिया. पाकिस्तान ने इसका खंडन किया था.

5. आर्मी ने अपने 68 जवान खो दिए. हमारे जवान कुल 15 टेरर अटैक्स में मारे गए हैं. इसके अलावा, 2016 में 449 बार सीजफायर तोड़ी गई है. इसमें जम्मू कश्मीर और अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में 228 और बीएसएफ के एरिया में 221 घटनाएं थी.

6. 2016 में 88 बार घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में करीब 104 आतंकियों को मार गिराया गया. ये खुश होने की बात नहीं कही जा सकती क्योंकि आर्मी मानती है कि अगर 1 शहादत के बदले 5 आतंकियों को नहीं मारा गया तो उनका नुकसान होगा. अब खुद ही गिनती कर लीजिए कि 2016 में सेना को कितना नुकसान हुआ.

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद...

1. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सबसे बड़ा झटका भारत को बारमुल्ला अटैक के समय लगा. सर्जिकल स्ट्राइक का बदला लेने के लिए (कम से कम ऐसा माना तो जा रहा है.) बारमुल्ला अटैक को अंजाम दिया था. इस अटैक में हमारा एक जवान शहीद हो गया था.

2. इस हमले के बाद हंदवारा, शोपान, नगरोटा और जाकुरा अटैक हो चुका है.

3. 2017 में अभी तक 6 बार भारत पर हमले हो चुके हैं. इसमें 1 मई वाले हमले में पाकिस्तानी आतंकियों ने हमारे दो शहीदों के शवों के साथ बर्बरता भी की है.

4. 2017 में अभी तक 38 आतंकियों को मार गिराया गया है और करीब 22 बार घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है.

5. इस साल सिर्फ फरवरी तक ही 30 बार सीजफायर का उलंघन हो चुका है.

भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत का कहना है कि कश्मीर के हालात जल्दी ही सुधरेंगे और ऐसा हो भी सकता है. पहले भारतीय आर्मी को सॉफ्ट स्टेटस मिला हुआ था, लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही भारतीय आर्मी ने कड़ा रुख अपना लिया है. मेजर लितुल गोगोई (जिन्होंने पत्थरबाजों के खिलाफ एक आदमी को आर्मी जीप में बांध दिया था.) जैसे आर्मी अफसरों को अवॉर्ड दिए जा रहे हैं.

पाकिस्तान के खिलाफ डटकर मुकाबला किया जाता हैभारतीय आर्मी अब पाकिस्तान के साथ पहले से भी ज्यादा कड़े रुख में बर्ताव कर रही है. ये रुख गलत नहीं कहा जा सकता. पत्थर खाने वाले, कहीं बाढ़ हो, कहीं भूकंप आ जाए, कहीं बर्फ गिरे या कहीं सूखा पड़ जाए इमर्जेंसी के हालात में इंडियन आर्मी को ही बुलाया जाता है.

2015 में हुई यूपीएसी की परीक्षा में कुल 28 लोग सिलेक्ट किए गए थे. उन्हें 2017 में बीएसएफ में एसिसटेंट कमांडेंट की पोस्ट पर ज्वाइन करना था, लेकिन इनमें से 16 लोगों ने मना कर दिया. जिन लोगों ने 2014 का यूपीएससी एक्जाम दिया था और 2016 में ज्वाइन करना था उन 31 चुने हुए जवानों में से भी सिर्फ 17 ने ही ड्यूटी ज्वाइन की. इसी साल 2013 में सिलेक्ट हुए कैंडिडेट ड्यूटी ज्वाइन करने वाले थे, लेकिन 110 में से 69 ने ही ट्रेनिंग ली और उनमें से 15 ने ट्रेनिंग के दौरान ही रिजाइन कर दिया. आखिर क्यों?

होम मिनिस्ट्री के हिसाब से बीएसएफ में 5309 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 522 ही गजेटेड ऑफिसर हैं. जहां एक ओर सेना के जवान हमारी मदद के लिए सर उठाए हर हाल में ड्यूटी पर डटे रहते हैं, खुद गोली खाते हैं, किसी भी आपातकाल में आर्मी को याद किया जाता है तो ऐसे मौके पर सिर्फ आर्मी के साथ ही ऐसा भेदभाव क्यों? जो लोग ड्यूटी नहीं ज्वाइन करना चाहते उनका कहना है कि बीएसएफ या अन्य बॉर्डर फोर्स में सुरक्षा नहीं है, जवानों को बिना आधारभूत सुविधाओं के रहना पड़ता है और उन्हें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. तो क्या महज इस बात से ही आपके मन में सेना के लिए इज्जत नहीं पैदा हो जाती? अगर अब भी आपको भारतीय आर्मी पर गर्व नहीं तो ना जाने कब होगा...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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