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बाइक स्टंट पर लगाम लगाना जरूरी है

    • आलोक रंजन
    • Updated: 16 अगस्त, 2017 05:13 PM
  • 16 अगस्त, 2017 05:13 PM
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भारत में तेज बाइक चलाना गैर-कानूनी है. यहां पर बाइक चलाने की मैक्सिमम स्पीड लिमिट 80 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक नहीं है, फिरभी सुपर बाइक्स के दीवाने 150-200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पकड़े हुए हैं.

बॉलीवुड फिल्मों में जब एक्टर पुलिस को चकमा देकर भाग जाते हैं तो खूब तालियां बजती हैं. याद कीजिये जब धूम में जॉन अब्राहम ने बाइक पर ये सब किया तो दर्शकों को कितना पसंद आया. देखादेखी कहें या नादानी, नौजवान रियल लाइफ में भी तेज बाइक्स चलाना पसंद करते हैं. तेज चलने के साथ साथ आजकल बाइकर्स खतरनाक स्टंट्स भी करते हैं.

खतरनाक स्टंट करना युवाओं की पसंद

'शहर में स्टंट बाइकर्स गैंग का हुडदंग' इस तरह की खबरें अक्सर टेलीविज़न में देखने को मिल जाती हैं. आज के नौजवानों में बाइक्स का जूनून ऐसा सर चढ़कर बोल रहा है कि उन्हें खतरनाक स्टंट से भी डर नहीं लगता, और नतीजा सबके सामने है, तेज बाइक चलाने के कारण फिर एक मौत.

ताजा घटना दिल्ली की है जब अपने दोस्तों के साथ सुपर बाइक से रेस लगा रहे एक लड़के की हादसे में मौत हो गई. रेस के दौरान उस युवक ने कंट्रोल खो दिया और उसकी बाइक एक कॉलेज की दीवार से टकरा गई और हादसे में उसकी मौत हो गयी. सुपर बाइक से हुआ ये हादसा इतना भयानक था कि दीवार से टकराने के बाद उसकी बाइक तकरीबन 100 मीटर तक लुढ़कती रही.

दिल्ली के हिमांशु बंसल की दुर्घटना में मौत हो गई

आखिर कब तक इस तरह के हादसे होते रहेंगे. इस तरह के स्टंट पर लगाम क्यों नहीं लग पाती. नाकामी किसकी है, माता-पिता की-जो बाइक खरीदकर देते हैं, पुलिस की- जो सख्ती नहीं बरती है, या खुद बाइक चलाने वाले नौजवानों की- जो स्टंट जैसे खतरनाक खेल से अनजान हैं. दिल्ली में जान देने वाले युवक के पिता ने तो ये भी कहा कि दिल्ली में सुपर बाइक पर रोक लगना चाहिए.

भारत में...

बॉलीवुड फिल्मों में जब एक्टर पुलिस को चकमा देकर भाग जाते हैं तो खूब तालियां बजती हैं. याद कीजिये जब धूम में जॉन अब्राहम ने बाइक पर ये सब किया तो दर्शकों को कितना पसंद आया. देखादेखी कहें या नादानी, नौजवान रियल लाइफ में भी तेज बाइक्स चलाना पसंद करते हैं. तेज चलने के साथ साथ आजकल बाइकर्स खतरनाक स्टंट्स भी करते हैं.

खतरनाक स्टंट करना युवाओं की पसंद

'शहर में स्टंट बाइकर्स गैंग का हुडदंग' इस तरह की खबरें अक्सर टेलीविज़न में देखने को मिल जाती हैं. आज के नौजवानों में बाइक्स का जूनून ऐसा सर चढ़कर बोल रहा है कि उन्हें खतरनाक स्टंट से भी डर नहीं लगता, और नतीजा सबके सामने है, तेज बाइक चलाने के कारण फिर एक मौत.

ताजा घटना दिल्ली की है जब अपने दोस्तों के साथ सुपर बाइक से रेस लगा रहे एक लड़के की हादसे में मौत हो गई. रेस के दौरान उस युवक ने कंट्रोल खो दिया और उसकी बाइक एक कॉलेज की दीवार से टकरा गई और हादसे में उसकी मौत हो गयी. सुपर बाइक से हुआ ये हादसा इतना भयानक था कि दीवार से टकराने के बाद उसकी बाइक तकरीबन 100 मीटर तक लुढ़कती रही.

दिल्ली के हिमांशु बंसल की दुर्घटना में मौत हो गई

आखिर कब तक इस तरह के हादसे होते रहेंगे. इस तरह के स्टंट पर लगाम क्यों नहीं लग पाती. नाकामी किसकी है, माता-पिता की-जो बाइक खरीदकर देते हैं, पुलिस की- जो सख्ती नहीं बरती है, या खुद बाइक चलाने वाले नौजवानों की- जो स्टंट जैसे खतरनाक खेल से अनजान हैं. दिल्ली में जान देने वाले युवक के पिता ने तो ये भी कहा कि दिल्ली में सुपर बाइक पर रोक लगना चाहिए.

भारत में तेज बाइक चलाना गैर-कानूनी है. यहां पर बाइक चलाने की मैक्सिमम स्पीड लिमिट 80 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक नहीं है. 150-200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सुपर बाइक चलाना भारत में जुनून का रुख इख्तियार करता जा रहा है और हाल के दिनों में इसमें काफी वृद्धि हुई है.

दुर्घटना के बाद भी 100 मीटर तक लुढ़कती रही बाइक

कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर एक बाइक की गति मौत का कारण बनी-

- सितम्बर, 2011 भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन के सबसे छोटे बेटे अयाजुद्दीन की हैदराबाद में मोटरसाइकिल दुर्घटना के कारण मौत हो गई. वे पांच दिन तक अस्पताल में भी रहे थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक जब उनकी सुपर बाइक दुर्घटनाग्रस्त हुई उस समय उनकी बाइक 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रही थी.

- 2010 में भी वेंकटा साईं प्रसाद जो तेलुगु स्टार कोटा श्रीनिवास राव के बेटे थे सुपरबाइक चलाते हुए दुर्घटनाग्रस्त हुए थे और उनकी भी मौत हो गयी थी.

जब भी इस तरह के हादसे सामने आते हैं तो शोर मचता है, डिबेट होती है, लेकिन फिर सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. रेस और खतरनाक स्टंट की वजह से कई युवा अपनी जान गवां चुके हैं. दोबारा इस तरह के हादसे न हों इसके लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए और सेफ बाइकिंग गाइडलाइन्स को प्रमोट करना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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