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'सेक्स एडिक्ट' बाबा की कहानी हमारे समाज की पोल खोलती है

    • दमयंती दत्ता
    • Updated: 12 सितम्बर, 2017 07:58 PM
  • 12 सितम्बर, 2017 07:58 PM
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'लव चार्जर' बाबा को अब डिप्रेशन, बेचैनी, चिड़चिड़ापन और भी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ये सब बाबा को सेक्स की लत के कारण हो रहा है.

28 अगस्त को बाबा राम रहीम को सजा सुनाते हुए स्पेशल सीबीआई जज ने कहा था- "उसने एक जंगली जानवर की तरह काम किया है." ये अपने आप में एक बहुत ही बुरी तुलना थी. जितने भी जंगली जानवर होते हैं उनका एक कोड होता है: वो आप पर तभी आक्रमण करेंगे जब आप उनको कोई नुकसान पहुंचाएंगे या फिर उन्हें किसी तरीके से उकसाएंगे. वो झूठ नहीं बोलते. चोरी नहीं करते. या शोषण नहीं करते. वो कभी दयालु होने का ढोंग नहीं करते.

अब जैसे-जैसे खबरें सामने आ रही हैं इस बात की पुष्टि होती जा रही है कि राम रहीम जानवरों से भी बदतर था. उसका न तो कोई धर्म था, न ही ईमान. वो लोगों की भावनाओं से खेलने में माहिर था. उसे न कानून का डर था न ही किसी सजा का भय. वो अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए अपने नियम खुद ही बनाता था. फिर चाहे तरीका कोई भी हो.

कैदी नंबर 8647-

रोहतक जेल में बंद बाबा अब बेचैन है. परेशान है. "लव चार्जर" बाबा को अब डिप्रेशन, बेचैनी, चिड़चिड़ापन के साथ-साथ और भी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ये सब बाबा के सेक्स की लत के कारण हो रहा है. उसने जेल अधिकारियों से अपनी गोद ली हुई बेटी और सबसे करीबी हनीप्रीत को, जेल में अपने साथ रखने की गुजारिश की है. उसका कहना है कि हनीप्रीत उसकी फीजियोथेरेपिस्ट है और अपनी देखभाल के लिए उसे उसकी जरुरत है.

बाबा परेशान

गुरमीत राम रहीम नियमित रुप से उत्तेजक ड्रिंक्स भी पीता था. एनर्जी और सेक्स टॉनिक नशा दिलाते हैं. मूड अच्छा करते हैं. लेकिन इन्हें लंबे समय तक लेने से कई तरह की दिक्कतें भी आने लगती हैं. जैसे- तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नर्वस होना, नींद न आना, थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाइयां, यहां तक ​की पागलपन और मतिभ्रम की शिकायतें भी...

28 अगस्त को बाबा राम रहीम को सजा सुनाते हुए स्पेशल सीबीआई जज ने कहा था- "उसने एक जंगली जानवर की तरह काम किया है." ये अपने आप में एक बहुत ही बुरी तुलना थी. जितने भी जंगली जानवर होते हैं उनका एक कोड होता है: वो आप पर तभी आक्रमण करेंगे जब आप उनको कोई नुकसान पहुंचाएंगे या फिर उन्हें किसी तरीके से उकसाएंगे. वो झूठ नहीं बोलते. चोरी नहीं करते. या शोषण नहीं करते. वो कभी दयालु होने का ढोंग नहीं करते.

अब जैसे-जैसे खबरें सामने आ रही हैं इस बात की पुष्टि होती जा रही है कि राम रहीम जानवरों से भी बदतर था. उसका न तो कोई धर्म था, न ही ईमान. वो लोगों की भावनाओं से खेलने में माहिर था. उसे न कानून का डर था न ही किसी सजा का भय. वो अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए अपने नियम खुद ही बनाता था. फिर चाहे तरीका कोई भी हो.

कैदी नंबर 8647-

रोहतक जेल में बंद बाबा अब बेचैन है. परेशान है. "लव चार्जर" बाबा को अब डिप्रेशन, बेचैनी, चिड़चिड़ापन के साथ-साथ और भी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ये सब बाबा के सेक्स की लत के कारण हो रहा है. उसने जेल अधिकारियों से अपनी गोद ली हुई बेटी और सबसे करीबी हनीप्रीत को, जेल में अपने साथ रखने की गुजारिश की है. उसका कहना है कि हनीप्रीत उसकी फीजियोथेरेपिस्ट है और अपनी देखभाल के लिए उसे उसकी जरुरत है.

बाबा परेशान

गुरमीत राम रहीम नियमित रुप से उत्तेजक ड्रिंक्स भी पीता था. एनर्जी और सेक्स टॉनिक नशा दिलाते हैं. मूड अच्छा करते हैं. लेकिन इन्हें लंबे समय तक लेने से कई तरह की दिक्कतें भी आने लगती हैं. जैसे- तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नर्वस होना, नींद न आना, थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाइयां, यहां तक ​की पागलपन और मतिभ्रम की शिकायतें भी हो सकती हैं. बाबा राम रहीम का शराब और (संभवतः) नशीली दवाओं के दुरुपयोग का भी इतिहास रहा है.

इसी बीच जांचकर्ताओं को राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा में कई चौंकाने वाले सुराग मिले हैं. डेरा में बाबा ने अपने साम्राज्य में डिजनी लैंड, एफिल टावर, ताज महल, रुस के क्रेमलिन की तरह के निर्माण करा रखे थे. इसके साथ ही राम रहीम के सीक्रेट चैंबर और सुरंग का भी पता चला है. लेकिन अपने डेरा में मिले बेहिसाब मानव कंकालों. बिना लाइसेंस के जले हुए लोगों की जरुरत के लिए बनाए गए स्कीन बैंक. बिना लेबल के दवाईयों का विशाल भंडार. गर्भपात के किट. अवैध बारूद की फैक्ट्री. टनों टन पटाखे. एके-47 की गोलियां. बिना नंबर प्लेट के लक्जरी कारें और अलग करेंसी. इन सारी चीजों की डेरा में उपस्थिति को राम रहीम कैसे सही ठहराएगा?

हिंदू धर्म अब एलर्ट हो गया-

अब हिंदू संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सरकार से स्वयंभू पंथ बाबाओं के खिलाफ कानून लाने का अनुरोध किया है. हिंदू धर्म के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है. इतना ही नहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 14 "नकली" गुरुओं की लिस्ट भी जारी की है. इस लिस्ट में- "गुरमीत राम रहीम से लेकर आसाराम, उसका बेटा नारायण साईं, राधे मां, ओम बाबा, निर्मल बाबा से लेकर रामपाल तक सभी के नाम हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने लोगों को ऐसे पाखंडी गुरुओं और बाबाओं से सावधान रहने की चेतावनी भी दी है, जो किसी परंपरा का पालन नहीं करते हैं. साथ ही संदिग्ध कामों में लिप्त होकर साधु और संन्यासियों के नाम को बदनाम करते हैं."

बाबा ने बहुतों को बेवकूफ बनाया

भारत में आध्यात्मिक धोखाधड़ी से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं है. भारतीय दंड संहिता में सिर्फ धोखाधड़ी के सामान्य अपराधों के लिए ही प्रावधान है. जैसे- सेक्शन 415, 417, 419, 420, 508. लेकिन वे भी ज्यादातर संपत्ति और कॉन्ट्रैक्ट के लिए ही हैं. इनमें से अधिकतर के तहत् एक साल से अधिक की सजा नहीं है. इन कानूनों के जरिए किसी भी तरह की आध्यात्मिक धोखाधड़ी का सामना करना बहुत मुश्किल है.

क्योंकि आध्यात्मिक गुरुओं और उनके अनुयायी के बीच किसी भी तरह का कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध नहीं होता है. सबसे बड़ी बात ये कि भक्त अपने गुरुओं को पैसों का दान स्वेच्छा से करते हैं. या उनकी बातों पर बिना किसी तर्क के भरोसा करते हैं. अब ऐसे में कोई कैसे ये साबित कर सकता है कि गुरू ने उसे धोखा दिया है? जब तक गुरु बलात्कार, हत्या या कुछ ऐसे घृणित अपराधों को अंजाम नहीं देता, तब तक अदालतों में गुरूओं दोषी साबित करना मुश्किल है.

2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायधीश कैलाश गंभीर ने धोखेबाज और गुरुघंटाल गुरुओं को न्याय के दायरे में लाने के लिए होने वाली कठिनाई पर टिपण्णी करते हुए कहा था कि: "भगवान के बाजार की यह पूरी इमारत और इसकी सारी बारीकियां लोगों के विश्वास पर टिकी हुई है. कोर्ट इसमें लोगों की कोई सहायता नहीं कर सकती. लेकिन उन्हें आगाह जरुर कर सकती है. लोगों के दुखों को दूर करने के अजीबो-गरीब उपाय बताने वाले इन बाबाओं के उत्थान ने, देश के विकास की पूरी धारा को ही उल्टा मोड़ दिया है."

योजना बनाना-

ये स्पष्ट है कि गुरमीत राम रहीम सिंह पिछले 15 सालों से अपनी व्यापक मान्यता और सम्मान स्थापित करने की योजना बना रहा था. शायद ये जेल से बचने की तैयारी थी.

कानून को ठेंगा दिखाने की पूरी तैयारी थी

जब-जब वो कोई जघन्य अपराध करता तो उसके बाद किसी "सामाजिक कार्य" में शामिल हो जाता. सन् 2000 में दबी जुबान में खबर उड़ी थी कि राम रहीम ने अपने 400 अनुयायियों का बंध्याकरण करा दिया. 2001 आते-आते गुरमीत ने ओडिशा चक्रवात और गुजरात भूकंप से प्रभावित लोगों के लिए विशेष आपदा राहत और कल्याणकारी टीमों की स्थापना कर दी. अगर 2002 में उसपर एक पत्रकार और डेरा मैनेजर के हत्याओं और बलात्कार का आरोप लगा तो 2003 तक उसने सबसे बड़ा रक्तदान शिविर आयोजित कर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करवा लिया था. ये पैटर्न वो दोहराते रहा.

इस पैटर्न को उसने इतना दोहराया कि उसके वकील ने पंचकुला के सीबीआई कोर्ट में एक पूरी बुकलेट पेश की थी. इस बुकलेट के आधार पर वकील ने राम रहीम को छोड़ देने की मांग की. बुकलेट में राम रहीम के 133 "सामाजिक कार्यों" की डिटेल थी. वकील ने कहा था- "कम से कम पूरे हरियाणा में इतने "सामाजिक कार्य" तो किसी ने नहीं किए हैं. जो काम सरकार नहीं कर सकी उसे राम रहीम ने किया. फिर चाहे पेड़ लगाने का काम हो. अस्पताल बनवाने का. शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना हो. नशे में डूबे युवाओं को इसके चंगुल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र बनाने हों. या फिर वेश्याओं से की शादी कराना हो. राम रहीम ने समाज को 'बेहतर' बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी." इसके अलावा गुरमीत के वकील ने "सामाजिक कार्यों" के लिए उसे मिले अवार्डों और प्रशस्ति पत्रों के साथ-साथ डॉक्टरेट की उपाधि भी बतौर सबूत पेश किया.

गलती हमारी है-

आप मानें या न मानें, शत-प्रतिशत गलती हमारी ही है. अब तक पूरा देश उसपर हंसने में व्यस्त था. उसके भड़कीले, चमकदार कपड़ों पर, अपने पैसे को दिखाने पर, खुद को भगवान का अवतार घोषित करने की उसकी कोशिशों पर और उसके कान में जहर घोल देने वाले घटिया गानों और फिल्मों पर हम दिल खोलकर हंस रहे थे. उसकी हर बात, हर काम को हमने इतना विचित्र और बेढंगा पाया कि वो रातों-रात हमारे मनोरंजन का साधन बन गया.

हम 30 साल से सो रहे थे

बेशक इस चुप्पी के पीछे चिंता भी छुपी थी: आखिर लाखों लोग कैसे इतने मूर्ख आदमी को भगवान के साथ-साथ अपना गुरु मान सकते हैं? क्या वाकई में वो इतना बेवकूफ है? उसने इतनी संपत्ति आखिर बनाई कैसे? लेकिन फिर भी हमने खतरे के इन संकेतों को नजरअंदाज करना ही ठीक समझा.

पिछले एक महीने में हमने किसी को नहीं बख्शा. पंजाब के डेरा संस्कृति को दोष दिया. सिख धर्म के अंदर फैले भेदभाव के बारे में बात की. हर उस पार्टी को कोसा जिसके नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए गुरमीत राम रहीम सिंह के नाम और उसके संसाधनों का इस्तेमाल किया. यहां तक की देश को भी नहीं छोड़ा और भारत को "विफल देश" का तमगा दे डाला.

लेकिन तीस सालों से जब वो अपनी धूर्तता और क्रूरता के साथ खुद तो फल-फूल ही रहा था, साथ ही अपने गिरोह को भी संपन्न कर था. तब हम में से एक भी व्यक्ति ने कभी उससे सवाल नहीं किया. जब वो अपने डेरा के अंदर से धार्मिक भावनाओं, उन्माद, रैकेट और रेप के बल पर अपना साम्राज्य बढ़ा रहा था हम तब भी खामोश बैठे थे.

यही कारण है कि इस सेक्स एडिक्ट इंसान ने अब तक हमारे कानून का, हमारी भावनाओं का मजाक उड़ाया है.

(DailyO से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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