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जवानों के लिए मंगल पांडे साबित हो रहे हैं तेज बहादुर

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 15 जनवरी, 2017 09:41 AM
  • 15 जनवरी, 2017 09:41 AM
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एक तरफ तो आर्मी डे खूब जोर-शोर से मनाया जा रहा है और दूसरी तरफ एक के बाद एक जवानों के वीडियो वायरल हो रहे हैं. तेज बाहदुर के वीडियो ने एक नई पहल कर दी है. तो उन्हें नया मंगल पांडे क्यों ना कहा जाए.

अब से पहले ऐसा कम ही अवसरों पर हुआ है कि किसी जवान ने इस तरह खुल कर देश के सामने अपने वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायत की हो. मगर बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव ने देश के सामने अपनी बात रखने में कोई कोताही नहीं बरती, यादव ने पूरे देश के सामने जवानों के दर्द को रखा. यादव ने साथ ही सीधे तौर पर जवानों को मिलने वाले सुविधाओं में कटौती के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया. यह यादव के साहस का ही नतीजा है जिसने कई और सैनिकों को अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाने का बल दिया.

ये भी पढ़ें- बीएसएफ जवान झूठा हो सकता है लेकिन भ्रष्टाचार तो सच है न?

हालाँकि, सैनिकों के अनुशासन में इसे काफी अनुशासनहीन कदम कहा जाएगा मगर उनके इस कदम के बाद आज देश भर में जवानों को मिलने वाली सुविधायों की चर्चा है, जवानों की स्थिति मीडिया की चर्चा के केंद्र में है और साथ ही साथ पीएमओ और गृह मंत्रालय समेत पूरा सरकारी महकमा इस मुद्दे पर हरकत में है. खुद सेना प्रमुख ने इस मुद्दे पर बयान जारी किया है. सेना प्रमुख ने इस तरह सार्वजनिक शिकायत के बदले उनसे शिकायत करने की बात कही.

 तेज बहादुर ने अपने वीडियो में आला अधिकारियों पर कई आरोप लगाए हैं.

तेज बहादुर का ये कदम कई मायनों में क्रांतिकारी मंगल पांडे की याद दिलाता है. महान क्रांतिकारी मंगल पांडे भी अंग्रेजी सेना में काम करने वाले सैनिक ही थे और मंगल पांडे ही वो पहले शख्स से जिन्होंने 1857 में अंग्रेजों से लोहा लेने का साहस दिखाया था. ये उनके...

अब से पहले ऐसा कम ही अवसरों पर हुआ है कि किसी जवान ने इस तरह खुल कर देश के सामने अपने वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायत की हो. मगर बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव ने देश के सामने अपनी बात रखने में कोई कोताही नहीं बरती, यादव ने पूरे देश के सामने जवानों के दर्द को रखा. यादव ने साथ ही सीधे तौर पर जवानों को मिलने वाले सुविधाओं में कटौती के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया. यह यादव के साहस का ही नतीजा है जिसने कई और सैनिकों को अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाने का बल दिया.

ये भी पढ़ें- बीएसएफ जवान झूठा हो सकता है लेकिन भ्रष्टाचार तो सच है न?

हालाँकि, सैनिकों के अनुशासन में इसे काफी अनुशासनहीन कदम कहा जाएगा मगर उनके इस कदम के बाद आज देश भर में जवानों को मिलने वाली सुविधायों की चर्चा है, जवानों की स्थिति मीडिया की चर्चा के केंद्र में है और साथ ही साथ पीएमओ और गृह मंत्रालय समेत पूरा सरकारी महकमा इस मुद्दे पर हरकत में है. खुद सेना प्रमुख ने इस मुद्दे पर बयान जारी किया है. सेना प्रमुख ने इस तरह सार्वजनिक शिकायत के बदले उनसे शिकायत करने की बात कही.

 तेज बहादुर ने अपने वीडियो में आला अधिकारियों पर कई आरोप लगाए हैं.

तेज बहादुर का ये कदम कई मायनों में क्रांतिकारी मंगल पांडे की याद दिलाता है. महान क्रांतिकारी मंगल पांडे भी अंग्रेजी सेना में काम करने वाले सैनिक ही थे और मंगल पांडे ही वो पहले शख्स से जिन्होंने 1857 में अंग्रेजों से लोहा लेने का साहस दिखाया था. ये उनके साहस का ही नतीजा जिसने उस वक़्त पूरे देश में एक क्रांति ला दी थी. हालाँकि, तेज बहादुर और मंगल पांडे इन मायनों में जुदा हैं कि जहाँ मंगल पांडे की लड़ाई अंग्रेजों से थी तो तेज बहादुर की लड़ाई सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार से है.

अब अपने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूकने वाले सैनिक तेज बहादुर का क्या होगा ये कह पाना मुश्किल है, मगर इतना तय है की तेज बहादुर का ये कदम मुश्किल हालात में काम करने वाले सैनिकों को जरूर राहत देने वाली होगी. ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि तेज बहादुर ने जिन मुद्दों को अपने विडियो के जरिए उठाया है उनकी पूरी जाँच होगी और जो भी हमारे सैनिकों के हकमारी के लिए जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कड़ी कारवाई होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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