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सेक्स की ऐसी दीवानगी, कि मौत का भी डर नहीं..

    • आईचौक
    • Updated: 15 मई, 2016 12:05 AM
  • 15 मई, 2016 12:05 AM
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असुरक्षित यौन संबंधों में लिप्त होना अपने आप में एक चिंताजनक बात है. लेकिन इस चिंता को और बढ़ा रही हैं सैक्स पार्टीज, जिनका चलन तेजी से बढ़ रहा है.

किशोरों में बढ़ रहा सैक्स कल्चर कोई नई बात नहीं है. भारत अकेला नहीं बल्कि पूरी दुनिया इस समस्या से जूझ रही है. इन सबके बीच एक चौंका देने वाली खबर स्पेन से आ रही है. बार्सिलोना के किशोरों की बड़ी संख्या इन दिनों असुरक्षित यौन संबंधों में लिप्त है, जो अपने आप में एक चिंताजनक बात तो है ही, लेकिन इस चिंता को बढ़ाता हुआ एक खौफनाक पहलू और भी है.

सैक्स के नशे में चूर किशोरों को नहीं सुनाई देती खतरे की घंटी

बढ़ रहा है सेक्स पार्टीज का चलन

यहां सैक्स पार्टीज का चलन आम हो गया है जिनमें किशोर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इन पार्टीज को 'सेक्स रौलेट'(sex roulette) कहा जाता है, जिसे एक खेल 'रशियन रौलेट' की तर्ज पर ही आयोजित किया जाता है. जैसा की नाम से ही जाहिर है इस पार्टी में हर कोई सैक्स के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होता है. ये पार्टी हर तरह का सैक्स पसंद करने वाले लोगों के लिए है, समलैंगिक भी इसका हिस्सा हैं. सैक्स इच्छा को बढ़ाने वाली दवाइयां और ड्रग्स भी यहां पर उपलब्ध होते हैं.

ये भी पढ़ें- सेक्‍स न करना जानलेवा भी हो सकता है!

गेम में होता है एक खौफनाक ट्विस्ट

इस खेल में एक ट्विस्ट भी डाला गया है. इस पार्टी में एक एचआईवी संक्रिमत व्यक्ति को भी आमंत्रित किया जाता है, जिसे सीक्रेट रखा जाता है. इसका मतलब ये कि हर कोई जानता है कि पार्टी में एक व्यक्ति को...

किशोरों में बढ़ रहा सैक्स कल्चर कोई नई बात नहीं है. भारत अकेला नहीं बल्कि पूरी दुनिया इस समस्या से जूझ रही है. इन सबके बीच एक चौंका देने वाली खबर स्पेन से आ रही है. बार्सिलोना के किशोरों की बड़ी संख्या इन दिनों असुरक्षित यौन संबंधों में लिप्त है, जो अपने आप में एक चिंताजनक बात तो है ही, लेकिन इस चिंता को बढ़ाता हुआ एक खौफनाक पहलू और भी है.

सैक्स के नशे में चूर किशोरों को नहीं सुनाई देती खतरे की घंटी

बढ़ रहा है सेक्स पार्टीज का चलन

यहां सैक्स पार्टीज का चलन आम हो गया है जिनमें किशोर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इन पार्टीज को 'सेक्स रौलेट'(sex roulette) कहा जाता है, जिसे एक खेल 'रशियन रौलेट' की तर्ज पर ही आयोजित किया जाता है. जैसा की नाम से ही जाहिर है इस पार्टी में हर कोई सैक्स के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होता है. ये पार्टी हर तरह का सैक्स पसंद करने वाले लोगों के लिए है, समलैंगिक भी इसका हिस्सा हैं. सैक्स इच्छा को बढ़ाने वाली दवाइयां और ड्रग्स भी यहां पर उपलब्ध होते हैं.

ये भी पढ़ें- सेक्‍स न करना जानलेवा भी हो सकता है!

गेम में होता है एक खौफनाक ट्विस्ट

इस खेल में एक ट्विस्ट भी डाला गया है. इस पार्टी में एक एचआईवी संक्रिमत व्यक्ति को भी आमंत्रित किया जाता है, जिसे सीक्रेट रखा जाता है. इसका मतलब ये कि हर कोई जानता है कि पार्टी में एक व्यक्ति को एड्स है, लेकिन किसको है, ये कोई नहीं जानता. बावजूद इसके, ये पार्टी जोर-शोर से चलती है. ये लोग ये तो मानते हैं कि सेक्स रौलेट पार्टी में जाना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन वो ये भी मानते हैं कि खतरा जितना ज्यादा होगा रोमांच भी उतना ही जोरदार होगा. और एचआईवी संक्रमित वो एक व्यक्ति ही इस खेल के रोमांच को बढ़ाता है. यानि, ये पार्टी जिस स्तर का रोमांच पैदा करती है उसी स्तर का खतरा भी देता है, जिसके नतीजे बेहद खौफनाक होते हैं.

मगर इन नतीजों का इन्हें खौफ नहीं

'सेक्स रौलेट' के बढ़ते चलन ने बार्सिलोना में एचआईवी पीड़ितों की संख्या तो बढ़ा ही दी है, साथ ही कई यौन संबंधी बीमारियों में भी इजाफा हुआ है. बार्सिलोना अस्पताल के मुताबिक, अस्पताल करीब 4500 एड्स रोगियों का इलाज कर रहा है और हर रोज करीब सौ एचआईवी संक्रमित लोग वहां इलाज के लिए आते हैं.

 एड्स के साथ-साथ कई यौन रोगों से ग्रसित हैं यहां के किशोर

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों की मानें तो, 15 से 25 साल के 24% लोगों को इस वायरस का कोई खौफ नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है- चूंकि अब एचआईवी का इलाज बहुत सुलभ और प्रभावी है, एचआईवी पॉजिटिव लोग स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. इसीलिए यहां बहुत से लोगों के लिए एचआईवी संक्रमित होने कोई 'बड़ी बात' नहीं है. इसीलिए ये किशोर बेखौफ असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं और आनंद लेते हैं. वो ये भी भूल जाते हैं कि भले ही एड्स की दवाएं मौजूद हैं, लेकिन एड्य एक साइलेंट किलर की तरह उन्हें धीरे धीरे खत्म कर देता है.

यहां ये नहीं भूलना चाहिए कि भारत भी पीछे नहीं है. किशोर यहां भी 13-14 साल की उम्र में सेक्स का अनुभव ले लेते हैं. किशोरियों में गर्भपात की दर बढ़ती जा रही है. अभी भी चेत जाने की जरूरत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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