• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Jamaat से फैले coronavirus की स्क्रिप्ट नेपाल में लिखी गई थी !

    • सुजीत कुमार झा
    • Updated: 12 अप्रिल, 2020 11:08 AM
  • 12 अप्रिल, 2020 11:07 AM
offline
दिल्ली (Delhi) के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) में हुए तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के प्रोग्राम के बाद देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामलों भारी इजाफा हुआ है. मगर जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालने वाली है वो ये कि जमात के जरिये कोरोना फैलाने की तैयारी नेपाल (Nepal) में हुई थी.

तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) से भारत (Bharat) में कोरोना (Coronavirus) फैलाने की पटकथा नेपाल (Nepal) में लिखी गई. जिसमें मौलाना साद (Maulana Saad) प्रमुख वक्ता के रूप में मौजूद रहा. इसके बाद नेपाल से करीब 18 देशों के जमाती निजामुद्दीन के मरकज (Nizamuddin Markaz) में पहुंचते हैं और उसके बाद शुरू होता है कोरोना का तांडव. नेपाल में 18 देशों के मुसलमानों के जमावड़े के बारे में नेपाल में भारतीय दूतावास को भी पूरी जानकारी थी. 15 से 17 फरवरी को नेपाल के सप्तरी जिले में तीन लाख मुसलमान इज्तिमा में जुटे थे. ये वो दौर था जब कोरोना भारत में दस्तक दे रहा था और देश में सीएए का विरोध अपने चरम पर था. नेपाल के सप्तरी में 15,16 और 17 फरवरी को तब्लीगी जमात का इज्तिमा लगा हुआ था. यह पहली बार था जब नेपाल में मुस्लिमों की इतनी बड़ी संख्या में कोई धार्मिक सम्मलेन हुआ था. आयोजकों के तरफ से नेपाल सरकार को यह बताया गया था कि इस इज्तिमा में सिर्फ नेपाल और भारत के मुसलमान (Muslims) ही सहभागी होने वाले हैं. लेकिन काठमांडू के एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान, बांग्लादेश, दुबई, शारजाह से लेकर चीन, ऑस्ट्रेलिया के भी मुसलमान आने लगे तो नेपाल के खुफिया विभाग ने सरकार को अलर्ट कर दिया.

नेपाल में हुए कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराते मुस्लिम समुदाय के लोग

भारत के साथ खुली सीमा और अपनी सुरक्षा के ख़तरे को देखते हुए नेपाल के गृह मंत्रालय ने कार्यक्रम के तीन दिन पहले ही इज्तिमा के आयोजन पर रोक लगा दी थी. गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करते हुए जिला प्रशासन और पुलिस को यह निर्देश दिया कि वो किसी भी हालत में यह कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं. गृह मंत्रालय का तर्क था की आयोजकों ने झूठ बोल कर इस कार्यकम की इजाजत ली थी और केवल कुछ हजार की...

तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) से भारत (Bharat) में कोरोना (Coronavirus) फैलाने की पटकथा नेपाल (Nepal) में लिखी गई. जिसमें मौलाना साद (Maulana Saad) प्रमुख वक्ता के रूप में मौजूद रहा. इसके बाद नेपाल से करीब 18 देशों के जमाती निजामुद्दीन के मरकज (Nizamuddin Markaz) में पहुंचते हैं और उसके बाद शुरू होता है कोरोना का तांडव. नेपाल में 18 देशों के मुसलमानों के जमावड़े के बारे में नेपाल में भारतीय दूतावास को भी पूरी जानकारी थी. 15 से 17 फरवरी को नेपाल के सप्तरी जिले में तीन लाख मुसलमान इज्तिमा में जुटे थे. ये वो दौर था जब कोरोना भारत में दस्तक दे रहा था और देश में सीएए का विरोध अपने चरम पर था. नेपाल के सप्तरी में 15,16 और 17 फरवरी को तब्लीगी जमात का इज्तिमा लगा हुआ था. यह पहली बार था जब नेपाल में मुस्लिमों की इतनी बड़ी संख्या में कोई धार्मिक सम्मलेन हुआ था. आयोजकों के तरफ से नेपाल सरकार को यह बताया गया था कि इस इज्तिमा में सिर्फ नेपाल और भारत के मुसलमान (Muslims) ही सहभागी होने वाले हैं. लेकिन काठमांडू के एयरपोर्ट पर जब पाकिस्तान, बांग्लादेश, दुबई, शारजाह से लेकर चीन, ऑस्ट्रेलिया के भी मुसलमान आने लगे तो नेपाल के खुफिया विभाग ने सरकार को अलर्ट कर दिया.

नेपाल में हुए कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराते मुस्लिम समुदाय के लोग

भारत के साथ खुली सीमा और अपनी सुरक्षा के ख़तरे को देखते हुए नेपाल के गृह मंत्रालय ने कार्यक्रम के तीन दिन पहले ही इज्तिमा के आयोजन पर रोक लगा दी थी. गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करते हुए जिला प्रशासन और पुलिस को यह निर्देश दिया कि वो किसी भी हालत में यह कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं. गृह मंत्रालय का तर्क था की आयोजकों ने झूठ बोल कर इस कार्यकम की इजाजत ली थी और केवल कुछ हजार की संख्या में ही मुसलामानों के वहां आने की जानकारी दी थी. लेकिन कार्यक्रम स्थल के निर्देश आने तक सप्तरी में 1 लाख से ऊपर मुसलमान भारत सहित दुनिया भर से पहुंच चुके थे.

नेपाल सरकार की तरफ से इज्तिमा को स्थगित किए जाने के बाद अफरा तफरी का माहौल था. पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित खाड़ी देशों के मुसलमानो को काठमांडू के विमानस्थल से ही वापस भेजा जाने लगा था. इसी बीच नेपाल के प्रदेश नंबर दो के मुख्यमंत्री मोहम्मद लालबाबू शेख, नेपाल मुस्लिम आयोग के अध्यक्ष शमीम अंसारी, सहित अन्य मुस्लिम संगठनो ने सरकार पर दबाब बनाना शुरू कर दिया था. उनका कहना था की एक लाख से अधिक लोगों की उपस्थिति हो जाने के बाद कार्यक्रम के नहीं होने से गलत सन्देश जाएगा लेकिन नेपाल सरकार कोई भी तर्क सुनने को तैयार नहीं थी.

भारतीय दूतावास के दबाब के बाद नेपाल सरकार मानने को मजबूर

नेपाल के मुस्लिम परस्त नेताओं ने लगातार यही कोशिश की कि प्रोग्राम हो और इसके लिए जहां एक तरफ खूब दबाव बनाया गया तो वहीँ भारतीय दूतावास को भी परेशान किया गया. अपने पुराने संबंध का हवाला देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहम्मद लालबाबू शेख और मुस्लिम आयोग के अध्यक्ष शमीम अंसारी ने सबको यह कहना शुरू कर दिया कि भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही नेपाल सरकार ने यह कार्यक्रम स्थगित किया है.

भारत कहीं नाराज ना हो जाए इसलिए यह सब करवा रही है. ये दोनों ही ही भारतीय दूतावास के कुछ आला अधिकारियों के काफी करीब हैं और उनके साथ इनका उठना बैठना होता है. अपने इसी संबंध का फायदा मुख्यमंत्री और मुस्लिम आयोग के अध्यक्ष ने भारतीय दूतावास में रहे खुफिया विभाग के अधिकारियों को इस बात के लिए राजी कर लिया कि अगर बाहर यह सन्देश गया कि मुसलमानो का दबाब में नहीं होने दिया गया तो भारत के साथ साथ नेपाल के भी मुसलमान भारत के खिलाफ हो जाएंगे और इससे भारत की आतंरिक और बाह्य दोनों ही सुरक्षा पर काफी नकारात्मक असर पड़ने वाली है.

नेपाल में कब हुआ कार्यक्रम इसकी जानकारी देता आयोजकों का बोर्ड

भारत में उस समय नागरिकता कानून को लेकर कई स्थानों पर मुसलमानो का विरोध प्रदर्शन चल रहा था. इसी बात का फायदा उठाकर और उसी को इश्यू बनाकर मुख्यमंत्री मोहम्मद शेख और मुस्लिम आयोग के अध्यक्ष शमीम अंसारी ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों को बीच बचाव के लिए मना लिया. भारतीय दूतावास की मध्यस्थता के बाद से ही नेपाल के गृह मंत्रालय ने सशर्त कार्यक्रम कराने की अनुमति दी.

नेपाल सरकार ने आयोजकों के सामने कहा कि प्रोग्राम में भारत और नेपाल के अलावा किसी भी दूसरे देश के नागरिकों को रहने की या उस कार्यक्रम में शिरकत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. किसी और देश के मुसलमानों की जानकारी आयोजक स्वयं उन्हें देंगे और उन्हें तत्काल प्रभाव में वापस भेज दिया जाएगा.

नेपाल सरकार की यह शर्त वहां के मुख्यमंत्री और आयोग के अध्यक्ष ने मान तो ली लेकिन दूसरे देश से आई किसी भी नागरिक की जानकारी उन्होंने सर्कार को नहीं दी. नेपाल सरकार के पास रिपोर्ट है कि करीब ढाई से तीन लाख जमाती उस इज्तिमा में थे. बाद में यह भी खबर आई कि जिन भारतीय सीमाओं से होकर जितने लोग आये थे वापसी में उनकी संख्या कहीं अधिक थी.

मौलाना साद था प्रमुख वक्ता

हाल के दिनों में विवादों में आया फरार मौलाना साद इस इज्तिमा में प्रमुख वक्ता के रूप में मौजूद था. दिलचस्प बात ये है कि मौलाना ये इस इज्तिमा में क्या भाषण दिया इसकी कोई वीडियो रिकार्डिंग या फुटेज उपलब्ध नहीं है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आयोजकों ने पत्रकारों के प्रवेश के अलावा प्रोग्राम में वीडियो कैमरा या मोबायल कैमरा चलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी.

चीन के हुबेई प्रांत से 10 मुस्लिमो ने की थी शिरकत

मामले में सबसे ज्यादा हैरत में डालने वाली बात इसका चीनी पहलु है. ध्यान रहे कि चीन में दिसंबर 2019 से ही कोरोना विकराल रूप ले चुका था. फ़रवरी आते आते हालात बदतर हो गए थे. बावजूद इसके चीन के हुबेई प्रांत से 10 मुस्लिम नागरिकों ने इस इज्तिमा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इसकी जानकारी अब भी नेपाल की एयरपोर्ट अथॉरिटी के पास मौजूद है. इसके अलावा पाकिस्तान के 149, बांग्लादेश से 209, साउदी अरब से 52, कतर से 23, इंडोनेशिया से 15, थाईलैंड से 10 जमातियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. ध्यान रहे क़ी ये सब उस वक़्त हुआ जब पूरी दुनिया कोरोना का कोप भोग रही थी.

बताया जा रहा है कि अधिकांश जमाती नेपाल में हुए कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद भारत आए और इन्होने दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में शरण ली. कहा ये भी जा रहा है कि जिस वक़्त नेपाल में ये प्रोग्राम हो रहा था तब ही दो लोगों की मौत हो चुकी थी.लेकिन ना तो उनका पोस्टमार्टम किया गया और ना ही उन्हें कहां दफनाया गया इस बात की जानकारी दी गई.

तो क्या यह संभव है कि उसी इज्तिमा से वापस लौटने के बाद कोरोना ने और अधिक भयंकर रूप ले लिया था. सवाल ये भी है कि आखिर क्यों चीन के हुबेई प्रांत से इज्तिमा में हिस्सा लेने के लिए कुछ लोग नेपाल आए? नेपाल सरकार की तरफ से इस कार्यक्रम की रोक लगा देने के बावजूद जनकपुर प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहम्मद लाल बाबू शेख और नेपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमीम मियां कि भूमिका की जांच, भारतीय खुफिया अधिकारियों ने क्यों नहीं की? जबकि उन्हें अच्छी तरह से पता है कि उस कार्यक्रम में पाकिस्तानी बांग्लादेशी मुसलमान भी मौजूद थे?

भारतीय दूतावास के उन अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर क्या दिल्ली सरकार उनसे जबाब तलब करेगी? सवाल ये भी बना हुआ है ? आखिर क्यों भारतीय दूतावास ने नेपाल सरकार पर प्रोग्राम स्थगित करने के लिए दबाव क्यों नहीं डाला?

भारतीय दूतावास के जो अधिकारी मुख्यमंत्री मोहम्मद लालबाबू शेख और शमीम मियां अंसारी के साथ उठते बैठते हैं उन्होंने कभी इस बात की जानकारी क्यों नहीं ली की उस कारक्रम में शर्त के विपरीत पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिक क्या कर रहे थे? बता दें कि अभी तक नेपाल में 70 के आसपास पाकिस्तानी नागरिक गिरफ्तार हुए हैं. क्या भारतीय दूतावास के करीबी रहे मुख्यंत्री लालबाबू शेख और शमीम मियां अंसारी इन सभी को अपने ही प्रदेश में छुपा कर रखने के दोषी माने जाएंगे ये भी एक बड़ा सवाल है जो बना हुआ है.

ये भी पढ़ें -

दो बीवियों वाले पति के कोरोना-पास से जुड़ी दिलचस्प कहानी

Donald Trump को Hydroxychloroquine के बहाने मिला भारत से पंगा न लेने का डोज़

China में आया Coronavirus 2.0 यानी पिक्चर अभी बाकी है!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲