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खतरनाक संकेत- दुनिया के आधे बच्चों ने ऑनलाइन देखा पॉर्न

    • आईचौक
    • Updated: 15 जून, 2016 04:08 PM
  • 15 जून, 2016 04:08 PM
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एक अध्ययन में पाया गया है कि बच्चे किशोरावस्था के शुरुआती दिनों में ही पोर्न देखने लगते हैं और इसके प्रभाव से उनके असंवेदशील हो जाने का खतरा है.

ये वो पीढ़ी है जिन्होंने पैदा होते ही खिलौनों की जगह स्मार्टफोन्स के साथ खेलना शुरू कर दिया था. लेकिन इन्हीं स्मार्टफोन्स की बदौलत ऑनलाइन पसरा हुआ अश्लील साहित्य बेरोकटोक इन बच्चों तक पहुंच रहा है. एक नई रिपोर्ट ने ये चेतावनी दी है कि ये स्मार्टफोन्स इस पीढ़ी के बच्चों से उनका बचपन छीन रहे हैं.

NSPCC के अध्ययन में पाया गया है कि बहुत बड़ी संख्या में बच्चे, किशोरावस्था के शुरुआती दिनों में ही पोर्न देखने लगते हैं और इसके प्रभाव से उनके असंवेदशील हो जाने का खतरा है. ये अध्ययन मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में किया गया. जिसमें 11 से 16 साल की उम्र के 1001 बच्चों से सवाल किए गए. जवाबों के आधार पर जो नतीजे आए वो बेहद चौंकाने वाले हैं.

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स्मार्टफोन पर परोसा जा रही है पोर्न, शिकार हो रहे हैं बच्चे

इस अध्ययन के मुताबिक-

- 11 से 16 साल के 53% बच्चों ने ऑनलाइन अश्लील सामग्री देखी है. इनमें से 94% बच्चों ने 14 साल की उम्र में पोर्न देखा.

- 15-16 साल के 65% बच्चों ने और 11-12 साल के 28% बच्चों ने ऑनलाइन पोर्न देखा है.

- शोध से ये भी पता...

ये वो पीढ़ी है जिन्होंने पैदा होते ही खिलौनों की जगह स्मार्टफोन्स के साथ खेलना शुरू कर दिया था. लेकिन इन्हीं स्मार्टफोन्स की बदौलत ऑनलाइन पसरा हुआ अश्लील साहित्य बेरोकटोक इन बच्चों तक पहुंच रहा है. एक नई रिपोर्ट ने ये चेतावनी दी है कि ये स्मार्टफोन्स इस पीढ़ी के बच्चों से उनका बचपन छीन रहे हैं.

NSPCC के अध्ययन में पाया गया है कि बहुत बड़ी संख्या में बच्चे, किशोरावस्था के शुरुआती दिनों में ही पोर्न देखने लगते हैं और इसके प्रभाव से उनके असंवेदशील हो जाने का खतरा है. ये अध्ययन मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में किया गया. जिसमें 11 से 16 साल की उम्र के 1001 बच्चों से सवाल किए गए. जवाबों के आधार पर जो नतीजे आए वो बेहद चौंकाने वाले हैं.

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इस अध्ययन के मुताबिक-

- 11 से 16 साल के 53% बच्चों ने ऑनलाइन अश्लील सामग्री देखी है. इनमें से 94% बच्चों ने 14 साल की उम्र में पोर्न देखा.

- 15-16 साल के 65% बच्चों ने और 11-12 साल के 28% बच्चों ने ऑनलाइन पोर्न देखा है.

- शोध से ये भी पता लगा कि 28% बच्चों के सामने ये अश्लील सामग्री अचानक पॉपअप विज्ञापनों के माध्यम से पहुंची.

- 53% लड़कों और 39% लड़कियों ने सेक्स की वास्विक चित्रण देखा था.

- 13-14 साल के 39% बच्चों को इन्हीं तस्वीरों के माध्यम से ही सेक्स की जानकारी मिली. जबकि 15-16 साल के 42% बच्चों का कहना था कि वो तस्वीरों में देखे गए व्यवहार की नकल करना चाहते थे.

- लड़कियों का तुलना में लड़कों ने अपनी मर्जी से ऑनलाइन पोर्न सामग्री देखी.

- 14% बच्चों का मानना था कि उन्होंने खुद की नग्न और अर्धनग्न तस्वीरें खींचीं, और इनमें से आधों(7%) ने उन्हें शेयर भी किया.

- पोर्न देखने वाले इन बच्चों में से 38% ने पहली बार पोर्न लैपटॉप पर देखा, 33% ने मोबाइल पर और 24% ने डेस्कटॉप कंप्यूटर पर पोर्न देखा.

- पहली बार जब बच्चों ने पोर्न देखा तो उन्हें गंदा लगा, वो हैरान और परेशान हो गए. लेकिन 10 में 4 बच्चों का कहना था कि उन्होंने एक सप्ताह में कई बार पोर्न देखा.

पहली बार पोर्न देखने का प्रभाव हर बच्चे के मन पर अलग तरह से पड़ता है

क्या कहते हैं ये बच्चे-

- 13 साल के लड़के का कहना है कि ''मेरे दोस्त ने लड़कियों के साथ उसी तरह का व्यवहार करना शुरू कर दिया है, जैसा उसने वीडियो में देखा, बहुत कुछ वैसा तो नहीं लेकिन यहां वहां मारना वगैरह.''

- 13 साल की एक लड़की का कहना है कि ''मेरी कुछ सहेलियों ने सेक्स की जानकारी लेने के उद्देश्य से पोर्न देखा और अब उनके दिमाग में रिश्तों की एक गलत छवि बन गई है''

ये भी पढ़ें- कहीं बच्चों का भविष्य आपके सपनों का भूत तो नहीं?

हम अक्सर बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलते देखते हैं, लेकिन कभी नहीं सोचते कि खेल-खेल में कोई अश्लील विज्ञापन उन्हें अपनी तरफ आकर्षित कर रहा होता है. बच्चे जिज्ञासू होते हैं, नया जानने के उद्देश्य से वो इतना कुछ जान लेते हैं, जो उन्हें कम से कम इतनी छोटी उम्र में तो नहीं जानना चाहिए. सेक्स के बारे में इस उम्र में न तो उनसे कोई बात की जाती है और न कोई जानकारी ही दी जाती है. और बिना जानकारी के ये ऑनलाइन पोर्न सामग्री बच्चों के कोमल मन पर जो प्रभाव छोड़ रही है, वो उन्हें रिश्तों के प्रति असंवेदशील बनाने के लिए काफी हैं. ऐसे में सावधानी बरतते हुए उनपर नजर रखना बेहद जरूरी है. क्योंकि बच्चे अपने हैं, तो उन्हें उम्र से पहले बड़ा होने से रोकने की जिम्मेदारी भी अपनी ही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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