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शहरों के बीच कुछ इलाके 10 डिग्री ज्यादा गर्म होते हैं !

    • आईचौक
    • Updated: 05 जून, 2017 04:02 PM
  • 05 जून, 2017 04:02 PM
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अर्बन हीट आईलैंड यानी शहरों के वे इलाके जहां पिछले कुछ समय में तापमान तीन डिग्री से अधिक बढ़ा है. तापमान की इस बढ़ोत्‍तरी से निपटने के लिए दोगुनी ऊर्जा यानी एनर्जी डिमांड 6% से अधिक हो सकती है.

गर्मी अपने शबाब पर है. सूरज आग बरसा रहा है तो लू के थपेड़े हमें रोस्ट करने पर तुली है. राजधानी दिल्ली तंदूर बन गई है. एक ओर गर्मियां लोगों के लिए असहनीय हो गई हैं तो राजधानी के कुछ हिस्सों में औसत तापमान शहर के बाकी जगहों की तुलना में कहीं ज्यादा गर्म हो सकते हैं. शहर के सबसे ठंडे हिस्से और इन 'हीट आईलैंड' के बीच के तापमान का अंतर 5 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच हो सकता है. कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने पर्यावरण में इस अंतर के प्रभाव के लिए आगाह किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सीएसआईआर नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (एनपीएल) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की जुलाई में पब्लिश होने वाली स्टडी में सफदरजंग और एनपीएल पूसा रोड के 2010 और 2013 के बीच के तापमान के अंतर का अध्ययन किया गया है. इस स्टडी में पाया गया कि इन तीन सालों में सफदरजंग के तापमान में 0.2 से 3 डिग्री तक की बढ़त हुई है.

स्टडी में दिन और रात के मुकाबले सुबह के समय तापमान ज्यादा पाया गया. वसंत, शरद ऋतु और सर्दियों के मौसम में सुबह 7 बजे से 9 बजे तक इन जगहों के तापमान में 2.8 डिग्री से लेकर 3 डिग्री तक की बढ़त रिकॉर्ड की गई. 'विश्लेषण से पता चला है कि एनपीएल एरिया की तुलना में सफदरजंग एरिया में तापमान ज्यादा पाया जाता है क्योंकि सफदरजंग में पेड़-पौधों की कमी है.'

उफ्फ ये गर्मी

स्टडी में कहा गया है कि 0.2-3 डिग्री तक के तापमान में बढ़ोतरी की वजह से बिजली की डिमांड 37.87GWh से लेकर 1,856 GWh तक हो सकती है जिसकी वजह से शहर में 0.031-1.52 मिलियन टन कॉर्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो सकता है. अगर...

गर्मी अपने शबाब पर है. सूरज आग बरसा रहा है तो लू के थपेड़े हमें रोस्ट करने पर तुली है. राजधानी दिल्ली तंदूर बन गई है. एक ओर गर्मियां लोगों के लिए असहनीय हो गई हैं तो राजधानी के कुछ हिस्सों में औसत तापमान शहर के बाकी जगहों की तुलना में कहीं ज्यादा गर्म हो सकते हैं. शहर के सबसे ठंडे हिस्से और इन 'हीट आईलैंड' के बीच के तापमान का अंतर 5 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच हो सकता है. कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने पर्यावरण में इस अंतर के प्रभाव के लिए आगाह किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सीएसआईआर नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (एनपीएल) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की जुलाई में पब्लिश होने वाली स्टडी में सफदरजंग और एनपीएल पूसा रोड के 2010 और 2013 के बीच के तापमान के अंतर का अध्ययन किया गया है. इस स्टडी में पाया गया कि इन तीन सालों में सफदरजंग के तापमान में 0.2 से 3 डिग्री तक की बढ़त हुई है.

स्टडी में दिन और रात के मुकाबले सुबह के समय तापमान ज्यादा पाया गया. वसंत, शरद ऋतु और सर्दियों के मौसम में सुबह 7 बजे से 9 बजे तक इन जगहों के तापमान में 2.8 डिग्री से लेकर 3 डिग्री तक की बढ़त रिकॉर्ड की गई. 'विश्लेषण से पता चला है कि एनपीएल एरिया की तुलना में सफदरजंग एरिया में तापमान ज्यादा पाया जाता है क्योंकि सफदरजंग में पेड़-पौधों की कमी है.'

उफ्फ ये गर्मी

स्टडी में कहा गया है कि 0.2-3 डिग्री तक के तापमान में बढ़ोतरी की वजह से बिजली की डिमांड 37.87GWh से लेकर 1,856 GWh तक हो सकती है जिसकी वजह से शहर में 0.031-1.52 मिलियन टन कॉर्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो सकता है. अगर सरल शब्दों में कहें तो अर्बन हीट आईलैंड के तीन डिग्री रहने के बाद एनर्जी की डिमांड 6% से अधिक हो सकती है. इसी वजह से दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस शहर के सबसे गर्म हिस्सों में से एक है. लेखकों के अनुसार अर्बन हीट आईलैंड का सीधा संबंध भूमि उपयोग से जुड़ा हुआ है. सैटेलाइट ईमेज दिखाते हैं कि सफदरजंग भिकाजी कामा प्लेस (32.8%) की तुलना में एनपीएल में वनस्पति भूमि का बड़ा क्षेत्र (66.6%) है. वहीं सफदरजंग में बिल्ट अप एरिया 67.2% है जबकि एनपीएल में 33.4% है.

आईआईटी-दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र ने दिल्ली में तापमान पर कई अध्ययन किए हैं. 2012 के अपने अध्ययन में आईआईटी-दिल्ली ने पाया था कि कुछ इलाकों में 8.6 से 10.7 डिग्री तक के तापमान को दर्ज किया था जबकि हरे और नदी के किनारों के इलाकों में कम 3.1 से 6.9 डिग्री.

वैज्ञानिक मौसम में एक और परिवर्तन देख रहे हैं. रात में तापमान में वृद्धि हुई है. आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर मंजू मोहन ने कहा- 'हम ये नोटिस कर रहे हैं कि दिन और रात समय के तापमान के बीच अंतर कम हो रहा है. दिन में सुरज की गर्मी अवशोषित हो जाती है और फिर रात में ये निकलने में बहुत लंबा समय लेती है. ऐसा शहर में जंगलों के कम होने और कंक्रीट के जंगलों के खड़े होने के कारण गर्मी धरती में फंस कर रह जाती है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि अधिक से अधिक क्षेत्र इससे प्रभावित हो रहे हैं. इसमें एसी की अहम भूमिका है.

औसतन, शहर के गर्म जगहों और ठंडे जगहों के तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर हो सकता है. इसका समाधान बेहतर शहरी नियोजन और कुछ तत्काल हस्तक्षेप हैं. 'ग्रीनरी एंथ्रोपोजेनिक हीड को कम करने के लिए, रिफ्लेक्टिव सतह, बिल्डिंग के बीच पर्याप्त जगह, बिल्डिंग पर हरियाली कु संभव समाधानों में से एक हैं.'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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