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कोरिया के लोग अयोध्या को मानते हैं अपना ननिहाल !

    • डॉ. कपिल शर्मा
    • Updated: 07 दिसम्बर, 2017 07:08 PM
  • 07 दिसम्बर, 2017 07:08 PM
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रानी हॉ अपने साथ भारत से चाय लेकर कोरिया पहुंची थीं. कोरिया के लोगों को चाय से परिचित कराने का श्रेय रानी हॉ को दिया जाता है, इसलिए उन्हें टी पर्सन आफ कोरिया भी कहा जाता है.

अयोध्या भगवान श्री राम की जन्मभूमि है और इसकी पहचान देश और दुनिया में इसी रूप में है. लेकिन सुदूर पूर्व में एक देश ऐसा है, जो अयोध्या से अपना रिश्ता जोड़ता है. रिश्ता भी जन्म जन्मांतर का, जिसे निभाने के लिए उस देश के लोग अयोध्या आते हैं.

जी हां, अयोध्या से अपना नाता जोड़ने वाला देश है कोरिया. कोरिया में किम वंश के लोग हर साल अयोध्या आते हैं और इनकी मान्यता है कि अयोध्या इनकी रानी मां का मायका है. भारत के इतिहास या किंवदंतियों में ये कहानी सुनने पढ़ने को भले ही न मिलती हो, लेकिन कोरिया के गिमहे शहर में जाइए तो हर किसी की ज़ुबान पर यह कहानी मिल जाएगी.

अयोध्या से कोरिया का रिश्ता पुराना है

दरअसल कोरिया के लोगों को अपनी रानी हॉ हांक-ओके के अयोध्या से आने का पता तेरहवीं सदी में लिखे गए कोरियन ग्रंथ सम्यूक यूसा से पता चला. इसमें कहा गया है कि अयोता नाम की जगह से आयी राजकुमारी का विवाह काया राज्य के राजा सूरो से हुआ था. इस ग्रंथ के मुताबिक अयोता यानी अयोध्या की राजकुमारी का विवाह किम सूरो से 48 ईसी में हुआ था.

अब यह कहानी सिर्फ कोरिया की किंवदंतियों में नहीं है, बल्कि भारत की ज़मीन पर भी दिखने लगी है. अयोध्या में कोरिया की सरकार ने रानी हॉ हॉंक-ओके का स्मारक बनाया है और इसे विस्तार देने की योजना पर भी काम चल रहा है. चलिए एक बार रानी की कहानी पर सिलसिलेवार तरीके से नज़र डाल लेते हैं-

- अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्ना एक जहाज पर सवार होकर कोरिया द्वीप के काया राज्य के लिए रवाना हुईं. दरअसल उनके माता पिता को स्वप्न में ईश्वर ने आदेश दिया था कि सुदूर काया राज्य के राजा किम सूरो ही उनकी बेटी के वर यानी पति होंगे. इस सपने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को कुछ अंगरक्षकों और सेवक-सेविकाओं के साथ काया राज्य की तरफ रवाना...

अयोध्या भगवान श्री राम की जन्मभूमि है और इसकी पहचान देश और दुनिया में इसी रूप में है. लेकिन सुदूर पूर्व में एक देश ऐसा है, जो अयोध्या से अपना रिश्ता जोड़ता है. रिश्ता भी जन्म जन्मांतर का, जिसे निभाने के लिए उस देश के लोग अयोध्या आते हैं.

जी हां, अयोध्या से अपना नाता जोड़ने वाला देश है कोरिया. कोरिया में किम वंश के लोग हर साल अयोध्या आते हैं और इनकी मान्यता है कि अयोध्या इनकी रानी मां का मायका है. भारत के इतिहास या किंवदंतियों में ये कहानी सुनने पढ़ने को भले ही न मिलती हो, लेकिन कोरिया के गिमहे शहर में जाइए तो हर किसी की ज़ुबान पर यह कहानी मिल जाएगी.

अयोध्या से कोरिया का रिश्ता पुराना है

दरअसल कोरिया के लोगों को अपनी रानी हॉ हांक-ओके के अयोध्या से आने का पता तेरहवीं सदी में लिखे गए कोरियन ग्रंथ सम्यूक यूसा से पता चला. इसमें कहा गया है कि अयोता नाम की जगह से आयी राजकुमारी का विवाह काया राज्य के राजा सूरो से हुआ था. इस ग्रंथ के मुताबिक अयोता यानी अयोध्या की राजकुमारी का विवाह किम सूरो से 48 ईसी में हुआ था.

अब यह कहानी सिर्फ कोरिया की किंवदंतियों में नहीं है, बल्कि भारत की ज़मीन पर भी दिखने लगी है. अयोध्या में कोरिया की सरकार ने रानी हॉ हॉंक-ओके का स्मारक बनाया है और इसे विस्तार देने की योजना पर भी काम चल रहा है. चलिए एक बार रानी की कहानी पर सिलसिलेवार तरीके से नज़र डाल लेते हैं-

- अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्ना एक जहाज पर सवार होकर कोरिया द्वीप के काया राज्य के लिए रवाना हुईं. दरअसल उनके माता पिता को स्वप्न में ईश्वर ने आदेश दिया था कि सुदूर काया राज्य के राजा किम सूरो ही उनकी बेटी के वर यानी पति होंगे. इस सपने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को कुछ अंगरक्षकों और सेवक-सेविकाओं के साथ काया राज्य की तरफ रवाना कर दिया.

- इधर कोरिया के काया राज्य में किम सूरो के राजा बनने की भी दिलचस्प कहानी है. कहा जाता है कि किम सूरो देवलोक से आए छह सोने के अंडों से जन्मे थे और उन्होंने राजुकुमारी के आने के इंतजार में शादी नहीं की थी. जब मंत्रियों ने उनसे विवाह का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि उनका रिश्ता स्वर्ग से ही जुड़ गया था और वो अपनी राजकुमारी का इंतज़ार कर रहे हैं.

कोरिया की रानी भारत की बेटी थी

- जब राजकुमारी का जहाज कोरिया के काया राज्य की सीमा में पहुंचा, तो वहां राजा किम सूरो के सैनिक राजकुमारी को राजा के पास ले गए. राजा ने उन्हें अपने राजमहल में जगह दी और फिर दोनों का विवाह हुआ. यहां राजकुमारी को रानी हॉ हॉन्क ओके नाम दिया.

- दोनों की 12 संतान हुईं. इनमें से 8 पुत्रों ने बौद्ध धर्म अपना लिया और बौद्ध भिक्षु बन गए सबसे बड़े बेटे को किम सूरो के बाद राज्य की जिम्मेदारी मिली. दो बेटों के लिए को हॉ उपनाम से जाना गया. गिमहे किम समुदाय के लोग आज भी अपने आप को एक परिवार का हिस्सा मानते हैं और रानी हॉ के वंशज मानते हैं. इसलिए कोरिया में परंपरा है कि गिमहे किम समुदाय के लोग आपस में शादी भी नहीं करते, क्योंकि वो अपने आपको एक ही मां यानी रानी हॉ की संतान मानते हैं.

- एक दिलचस्प तथ्य है कि रानी हॉ अपने साथ भारत से चाय लेकर कोरिया पहुंची थीं. कोरिया के लोगों को चाय से परिचित कराने का श्रेय रानी हॉ को दिया जाता है, इसलिए उन्हें टी पर्सन आफ कोरिया भी कहा जाता है.

- कोरिया के गिमहे शहर में रानी हॉ की याद में स्मारक बनाया गया है और लोगों की उनके प्रति बड़ी श्रद्धा है. ये कोरिया का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है.

- कोरिया में गिमहे किम वंश के करीब 60 लाख लोग हैं, जो रानी हॉ को अपनी मां और अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं.

- कोरिया की तरह ही अयोध्या में भी रानी हॉ की याद में एक स्मारक स्थल बनाया गया है. यहां कोरिया से हर साल हज़ारों लोग पहुंचते हैं.

अयोध्‍या और कोरिया के इस अनूठे रिश्‍ते को इस वीडियो में देखिए-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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