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वैष्णो देवी हादसा, 2022 की इससे बुरी शुरुआत नहीं हो सकती!

    • आईचौक
    • Updated: 02 जनवरी, 2022 03:36 PM
  • 02 जनवरी, 2022 03:36 PM
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ओमिक्रॉन की चेतावनी के बीच हम मानस बना ही रहे थे कि 2022 में हमारा जीवन कैसा होगा, ऐसे में वैष्णोदेवी से बुरी खबर आना झटका देने लायक है. एक तरफ कोविड गाइडलाइन, संयम बरतने की जिम्मेदारी है, तो दूसरी तरफ आस्था के नाम पर भीड़ का जुटना और 12 लोगों का कुचला जाना. कहां जा रहे हैं हम?

साल 2020-21 के दौरान कोविड-19 के कारण हमने न जाने कितने करीबियों को खोया. इन दो वर्षों में हमें दहशत के साए में जीने की ट्रेनिंग भी मिली है. लेकिन, कहीं कहीं ऐसे नजारे सामने आते हैं, मानो ये किसी दूसरी ही दुनिया की बात हो. अभी ओमिक्रॉन को लेकर विशेषज्ञ सावधान रहने की चेतावनी दे ही रहे थे कि बाजारों की भीड़ के नजारे सामने आने लगे. हालांकि, नजारा कहना गलत होगा, क्‍योंकि नजारे तो अच्‍छी चीजों के होते हैं. लेकिन, जब आस्‍था की बात आती है तो शब्‍द अपने आप संयमित होने लगते हैं. लेकिन, वैष्‍णोदेवी मंदिर के आगे जो हुआ उसका लेकर संयम भी जवाब दे गया है. साल के पहले दिन माता के दर्शन को लेकर लालायित भीड़ ने कोरोना के खौफ को तो अंगूठा दिखाया ही, एक जानलेवा मंजर भी पेश कर दिया. 

अवैष्णो देवी मंदिर में साल के पहले दिन जो कुछ भी हुआ है वो दिल को दहला कर रख देने वाला है

बताते चलें कि साल के पहले ही दिन जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर परिसर में बड़ा हादसा हुआ है. मंदिर परिसर में भगदड़ मची थी जिस कारण 12 से ऊपर लोगों की मौत हुई और तमाम लोग घायल हुए. पुलिस के अनुसार घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ध्यान रहे कि नए साल के उपलक्ष्य में लोगों का हुजूम दर्शन करने के उद्देश्य से वैष्णो देवी आया था. भीड़ काफी थी जिसे जब तक मंदिर प्रशासन नियंत्रित करता ये बड़ा हादसा हो गया.

यकीनन जो कुछ भी वैष्णो देवी मंदिर परिसर में हुआ है और जिस तरह ये साल के पहले दिन हुआ पूरा मंजर दिल को दहला कर रख देने वाला है. वहीं हादसे पर चश्मदीदों के अपने अलग तर्क हैं. दर्शन करने आए लोग घटना को...

साल 2020-21 के दौरान कोविड-19 के कारण हमने न जाने कितने करीबियों को खोया. इन दो वर्षों में हमें दहशत के साए में जीने की ट्रेनिंग भी मिली है. लेकिन, कहीं कहीं ऐसे नजारे सामने आते हैं, मानो ये किसी दूसरी ही दुनिया की बात हो. अभी ओमिक्रॉन को लेकर विशेषज्ञ सावधान रहने की चेतावनी दे ही रहे थे कि बाजारों की भीड़ के नजारे सामने आने लगे. हालांकि, नजारा कहना गलत होगा, क्‍योंकि नजारे तो अच्‍छी चीजों के होते हैं. लेकिन, जब आस्‍था की बात आती है तो शब्‍द अपने आप संयमित होने लगते हैं. लेकिन, वैष्‍णोदेवी मंदिर के आगे जो हुआ उसका लेकर संयम भी जवाब दे गया है. साल के पहले दिन माता के दर्शन को लेकर लालायित भीड़ ने कोरोना के खौफ को तो अंगूठा दिखाया ही, एक जानलेवा मंजर भी पेश कर दिया. 

अवैष्णो देवी मंदिर में साल के पहले दिन जो कुछ भी हुआ है वो दिल को दहला कर रख देने वाला है

बताते चलें कि साल के पहले ही दिन जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर परिसर में बड़ा हादसा हुआ है. मंदिर परिसर में भगदड़ मची थी जिस कारण 12 से ऊपर लोगों की मौत हुई और तमाम लोग घायल हुए. पुलिस के अनुसार घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ध्यान रहे कि नए साल के उपलक्ष्य में लोगों का हुजूम दर्शन करने के उद्देश्य से वैष्णो देवी आया था. भीड़ काफी थी जिसे जब तक मंदिर प्रशासन नियंत्रित करता ये बड़ा हादसा हो गया.

यकीनन जो कुछ भी वैष्णो देवी मंदिर परिसर में हुआ है और जिस तरह ये साल के पहले दिन हुआ पूरा मंजर दिल को दहला कर रख देने वाला है. वहीं हादसे पर चश्मदीदों के अपने अलग तर्क हैं. दर्शन करने आए लोग घटना को कुप्रबंधन से जोड़कर देख रहे हैं. लोगों का तर्क है कि मंदिर प्रबंधन को पता था किनए साल के दिन बड़ी संख्या में लोग जुट सकते हैं, लेकिन लगातार लोगों को एंट्री दी गई और फिर यह हादसा हो गया.

वहीं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इन आरोपों को खारिज किया है और इन्हें बेबुनियाद बताया है. श्राइन बोर्ड ने कहा कि मौजूद भीड़ को देखते हुए सभी जरूरी उपाय किए गए थे. हर व्यवस्था की गई थी. चूंकि अनहोनी हो चुकी है मामले के मद्देनजर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने बयान जारी किया है और कहा है कि सरकार ने तीन सदस्यों की टीम को उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी अध्यक्षता प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम करेंगे और उनके अलावा एडीजीपी जम्मू जोन और डिविजनल कमिश्नर जम्मू इसके सदस्य होंगे.

हादसे पर जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी अपना पक्ष रखा है और कहा है कि घटना के दौरान पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद थी और वह तुरंत मौके पर पहुंची थी. दिलबाग सिंह के अनुसार पुलिस ने तत्काल रिएक्ट किया था, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका है. घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दिलबाग सिंह ने कहा कि कुछ युवकों के बीच बहस हुई और फिर धक्कामुक्की होने लगी थी. इस दौरान लोग पीछे हटने लगे और फिर भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई. इसी वजह से यह हादसा हुआ है.

घटना पर पीएम मोदी के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी शोक व्यक्त किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, वैष्णो देवी भवन में हुई भगदड़ में लोगों की जान जाने की खबर से बेहद आहत हूं. मैं दिल से मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्रता से ठीक होने की कामना करता हूं.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने भी माता वैष्णो देवी पर हुई भगदड़ को लेकर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि संवेदना और प्रार्थना मृतकरों और घायलों के परिवार के साथ है. मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से बात की है. उन्हें हालात के बारे में पूरी जानकारी दी है. प्रधानमंत्री ने हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है. सभी मृतकों के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा और सभी घायलों को दो-दो लाख रुपये दिए जाएंगे. घायलों के इलाज का खर्च श्राइन बोर्ड वहन करेगा.

गौरतलब है कि जम्मू के वैष्णो देवी में ये हादसा उस वक़्त हुआ है जब देश कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन की चपेट में है. हर बीतते दिन के साथ मामले बढ़ रहे हैं और एक बार फिर स्थिति चिंताजनक हुई है. जैसा कि हेल्थ एक्सपर्ट्स बार बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि यदि समय रहते नहीं चेता गया तो हालात फिर वैसे ही होंगे जैसे हमने तब देखे थे जब भारत में कोविड 19 की दूसरी लहर ने दस्तक दी थी.

ध्यान रहे कि ओमीक्रॉन ने एक बार फिर सरकार को सकते में दाल दिया है और राजधानी दिल्ली से लेकर देश के तमाम छोटे बड़े शहरों में नाईट कर्फ्यू की शुरुआत हो गयी है. ऐसे में लोगों का कोविड गाइड लाइन को दरकिनार कर जम्मू जाना न केवल कोरोना वायरस के प्रति हम आम भारतीयों की गंभीरता को बताता है बल्कि इसका भी फैसला कर देता है कि जब बात आस्था की आती है तो हम आंखें बंद कर लेते हैं या फिर ये कि हम आंखों को बंद करने की कोशिश में जुट जाते हैं. 

हो सकता है कि ये बात लोगों की धार्मिक भावना को आहत कर दे लेकिन एक बड़ा सच यही है कि धर्मं चाहे कोई भी हो जैसा हमारा आस्था का लेवल है हम शायद ही आने वाले वक़्त में कोविड वायरस की चेन तोड़ पाएं. जम्मू के माता वैष्णो देवी मंदिर में जो कुछ भी हुआ है और जिस तरह से देश साल के पहले ही दिन इतनी बड़ी त्रासदी का गवाह बना है उसके बाद हमारे पास सवालों की लंबी फेहरिस्त है जिसके जवाब हमें शायद ही मिल पाएं.

बहरहाल अब जबकि ये मामला हो गया है और हम दर्जन भर मौतों के साक्षी बने हैं. एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें इस बात को समझना होगा कि आस्था बनाम महामारी में हम महामारी को तभी हरा पाएंगे जब हम सावधानी का पालन करेंगे और यही सावधानी हमें भगदड़ से भी बचाने में सहायक होगी. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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