• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Ajay Pandita की हत्या पर चुप्पी आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक है!

    • सुरभि सप्रू
    • Updated: 12 जून, 2020 11:50 AM
  • 12 जून, 2020 11:50 AM
offline
घाटी में जिस तरह एक कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) अजय पंडित (Ajay Pandita) की हत्या हुई और उसके बाद मामले पर लोगों की चुप्पी ये बताती है कि चीजों को लेकर हम बहुत सेलेक्टिव है और जब तक स्थिति ऐसी रहेगी तब तक शायद ही कश्मीर में कश्मीरी हिन्दुओं के हालात सुधर पाएं.

Kashmir Sarpanch Ajay Pandit killing story: कभी-कभी जीवन में कुछ घटनाएं आपको बहुत कुछ सिखाती हैं. कई बार प्यार करना और कई बार नफरत करना भी. ये दोनों हम किसी घटना के घटित होने के बाद ही करते हैं. कश्मीर में फिर एक हिन्दू मारा गया है. कुछ बड़े ट्विटर हैंडल इसे ट्वीट कर अपना गुस्सा जता रहे हैं और कुछ वैसे ही मौन पड़े हैं. ये मौन पड़े हुए हैंडल वही वाले हैं जिन्होंने कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों पर मुझे भी मौन रहने की सलह दी थी. अब इसी पर विचार करने की आवश्यकता है कि जिन कश्मीरी हिन्दुओं ने हमेशा के लिए कश्मीर में ही रहने का निर्णय लिया उनकी सुरक्षा के लिए आज कौन बात कर रहा है और कौन कर रहा था? सुनिए, अब कमरे में और कैमरे पर दहाड़ मारने से कुछ नहीं होगा. इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है. सच यही है कि कश्मीर में हिन्दुओं के उदय और हिन्दुओं का विस्तार अभी भी खतरे में है. जो समुदाय किसी का बुरा असल में नहीं चाहता उसके अंदर नफरत का बीज किसने बोया?

हाल ही में कई कश्मीरी हिन्दुओं ने ईद की बधाई दी थी. सरपंच अजय पंडिता भी वैसे ही थे, वो 'फिलटर्ड सेक्युलर' नहीं थे, 'प्योर सेक्युलर' थे. सब लोग कुछ लोगों पर सेलेक्टिव होने का आरोप लगा रहे हैं और मैं भी खुलकर ये आरोप लगा रही हूं. हमें सोशल मीडिया की क्रांति से ऊपर उठकर इसे देखना होगा. मैं यहां अपने कश्मीरी हिन्दू भाई बहनों से भी ये बात कहना चाहती हूं कि अपने व्यव्हार को अपने विचारों से अलग नहीं करिए.

अजय पंडित के शव पर रोते और बिलखते हुए उसके परिजन

अपने लोगों के लिए आवाज़ बनिए. जब मैंने अजय जी की बेटी का वो वीडियो देखा तो मेरे मन में ये विचार आया कि अगर ये बच्ची उस समय पर पैदा हुई होती तो शायद कोई हिन्दू कश्मीर से बाहर नहीं निकलता और घाटी को छोड़ने पर...

Kashmir Sarpanch Ajay Pandit killing story: कभी-कभी जीवन में कुछ घटनाएं आपको बहुत कुछ सिखाती हैं. कई बार प्यार करना और कई बार नफरत करना भी. ये दोनों हम किसी घटना के घटित होने के बाद ही करते हैं. कश्मीर में फिर एक हिन्दू मारा गया है. कुछ बड़े ट्विटर हैंडल इसे ट्वीट कर अपना गुस्सा जता रहे हैं और कुछ वैसे ही मौन पड़े हैं. ये मौन पड़े हुए हैंडल वही वाले हैं जिन्होंने कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों पर मुझे भी मौन रहने की सलह दी थी. अब इसी पर विचार करने की आवश्यकता है कि जिन कश्मीरी हिन्दुओं ने हमेशा के लिए कश्मीर में ही रहने का निर्णय लिया उनकी सुरक्षा के लिए आज कौन बात कर रहा है और कौन कर रहा था? सुनिए, अब कमरे में और कैमरे पर दहाड़ मारने से कुछ नहीं होगा. इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है. सच यही है कि कश्मीर में हिन्दुओं के उदय और हिन्दुओं का विस्तार अभी भी खतरे में है. जो समुदाय किसी का बुरा असल में नहीं चाहता उसके अंदर नफरत का बीज किसने बोया?

हाल ही में कई कश्मीरी हिन्दुओं ने ईद की बधाई दी थी. सरपंच अजय पंडिता भी वैसे ही थे, वो 'फिलटर्ड सेक्युलर' नहीं थे, 'प्योर सेक्युलर' थे. सब लोग कुछ लोगों पर सेलेक्टिव होने का आरोप लगा रहे हैं और मैं भी खुलकर ये आरोप लगा रही हूं. हमें सोशल मीडिया की क्रांति से ऊपर उठकर इसे देखना होगा. मैं यहां अपने कश्मीरी हिन्दू भाई बहनों से भी ये बात कहना चाहती हूं कि अपने व्यव्हार को अपने विचारों से अलग नहीं करिए.

अजय पंडित के शव पर रोते और बिलखते हुए उसके परिजन

अपने लोगों के लिए आवाज़ बनिए. जब मैंने अजय जी की बेटी का वो वीडियो देखा तो मेरे मन में ये विचार आया कि अगर ये बच्ची उस समय पर पैदा हुई होती तो शायद कोई हिन्दू कश्मीर से बाहर नहीं निकलता और घाटी को छोड़ने पर मजबूर नहीं किया जाता. शीन ने बताया कि उसने अपने पिता से पूछा था कि ये बाकी धर्म वाले ऐसे क्यों होते हैं? तो उसके पिता ने कहा 'धर्म को कुछ नहीं बोलो, इंसानों की गारंटी मैं नहीं लेता.'

अब प्रश्न यही बनता है क्या अजय पंडिता का ये विचार उनके लिए खतरा बन गया? शीन चीख रही है और चीखते-चीखते वो ये कह रही है कि - हम कश्मीर वापस जाएंगे, हमें किसी का बाप भी नहीं रोक सकता' उसे डर नहीं लगत. अब विचार इस पर कीजिये कि कौन से विचार को हम हिन्दुओं को अपना लेना चाहिए? शीन के पिता का या शीन का?

मुझसे पूछेंगे तो मैं यही कहूंगी कि मुझसे सच में नहीं पता कि कौन सा विचार सफल है क्योंकि मुझे कश्मीरी हिन्दुओं का अस्तित्व खतरे में दिखाई देता है कम से कम तब तक जब तक घाटी आतंकी विचार और व्यवहार से जकड़ी हुई है. फिर सोचिये कि जिन लोगों ने मुझसे ये सब भूलने को कहा था क्या उन लोगों को ये देखकर मेरे विचार और व्यव्हार से सहमति होगी? क्या फिर घाटी में हिट लिस्ट बनाई जा रही है?

जिन लोगों ने अपने घर के पास एक छोटे मंदिर की रक्षा के लिए घाटी में रहने का निर्णय किया, जिन लोगों ने घाटी में रहने के लिए मुस्लिम बनना तक स्वीकार कर लिया क्या उन लोगों की सुरक्षा के लिए किसी के पास समय नहीं है? अधूरा ज्ञान, अधूरी बातें, अधूरी कहानियां, अधूरा सच और अधूरा चिनार, आखिर घाटी में और रह ही क्या गया है?

ये भी पढ़ें -

Kashmiri Pandit Sarpanch Murder ने घाटी में केंद्र के कमजोर इंतजाम उजागर कर दिए

Kapil Mishra के बचाव में राइट विंग बुद्धिजीवियों की जकरबर्ग को चिट्ठी!

Yogi Adityanath की ख़ूबियां सीमा पार दुश्मन को दिख गईं, यहां विपक्ष अंधा हो गया!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲