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प्यार या इमोशनल अत्याचार- ऐसे पहचानें

    • सरवत फातिमा
    • Updated: 24 जून, 2017 05:12 PM
  • 24 जून, 2017 05:12 PM
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कभी भी कोई भी निर्णय अस्थायी भावनाओं के आधार पर नहीं लेना चाहिए. इन दोनों के बीच के अंतर को समझना आसान नहीं है लेकिन फिर भी हम आपको कुछ ऐसे साइन बताते हैं जो शायद काम आसान कर दें:

प्यार क्या है? ये शायद दुनिया का सबसे कठिन प्रश्न है. हालांकि प्यार के बारे में हर आदमी का अपना-अपना ओपिनियन होता है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्यार शब्द को डिफाइन करने में ही सबसे ज्यादा झोल है. आपको लगता होगा कि आप किसी के साथ सिर से पांव तक प्यार में डूबे हैं, लेकिन क्या असल में ऐसा है? क्या हो अगर प्यार का केमिकल लोचा असल में एक इमोशनल डिपेंडेन्सी हो? वैसे कभी-कभी इन दोनों के बीच के अंतर को पहचानना मुश्किल होता है. लेकिन क्योंकि हमें इन दोनों के बीच का अंतर नहीं मालूम तो इसका ये मतलब नहीं की वो होते नहीं हैं.

अगर आप भी किसी ऐसे रिश्ते में हैं जिसमें सामने वाले पर भावनात्मक निर्भरता है, तो बेहतर है कि आप उठें और कॉफी पीकर दिमाग की बत्ती जला लें. एक बात याद रखें कभी भी कोई भी निर्णय अस्थायी भावनाओं के आधार पर नहीं लेना चाहिए. इन दोनों के बीच के अंतर को समझना आसान नहीं है लेकिन फिर भी हम आपको कुछ ऐसे साइन बताते हैं जो शायद काम आसान कर दें:

1- आप उसे किसी और के साथ समय व्यतीत नहीं करने देते

इसमें कोई नई बात नहीं है कि अपने साथी के साथ समय बिताना आपको बहुत पसंद है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि अब आपका उसपर कॉपीराइट है. दोनों अलग-अलग और स्वतंत्र व्यक्ति हैं. दोनों को ही अपना समय अपने हिसाब से डिवाइड कर लेना चाहिए. लेकिन अगर अपने पार्टनर का अपने दोस्तों या परिवार के साथ समय व्यतीत करना आपको बर्दाश्त नहीं होता है तो इसका मतलब है कि आप उसे अपनी एनर्जी को कहीं और इंवेस्ट करने नहीं दे सकते. और ये कोई अच्छी बात नहीं है. साथ ही ये कोई प्यार नहीं है बल्कि ये भावनात्मक निर्भरता है जिससे बाहर आने की जरुरत है.

2- उसके लिए आपने खुद को बदल दिया है

उससे मिलने के पहले आपको स्पोर्ट्स से नफरत...

प्यार क्या है? ये शायद दुनिया का सबसे कठिन प्रश्न है. हालांकि प्यार के बारे में हर आदमी का अपना-अपना ओपिनियन होता है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्यार शब्द को डिफाइन करने में ही सबसे ज्यादा झोल है. आपको लगता होगा कि आप किसी के साथ सिर से पांव तक प्यार में डूबे हैं, लेकिन क्या असल में ऐसा है? क्या हो अगर प्यार का केमिकल लोचा असल में एक इमोशनल डिपेंडेन्सी हो? वैसे कभी-कभी इन दोनों के बीच के अंतर को पहचानना मुश्किल होता है. लेकिन क्योंकि हमें इन दोनों के बीच का अंतर नहीं मालूम तो इसका ये मतलब नहीं की वो होते नहीं हैं.

अगर आप भी किसी ऐसे रिश्ते में हैं जिसमें सामने वाले पर भावनात्मक निर्भरता है, तो बेहतर है कि आप उठें और कॉफी पीकर दिमाग की बत्ती जला लें. एक बात याद रखें कभी भी कोई भी निर्णय अस्थायी भावनाओं के आधार पर नहीं लेना चाहिए. इन दोनों के बीच के अंतर को समझना आसान नहीं है लेकिन फिर भी हम आपको कुछ ऐसे साइन बताते हैं जो शायद काम आसान कर दें:

1- आप उसे किसी और के साथ समय व्यतीत नहीं करने देते

इसमें कोई नई बात नहीं है कि अपने साथी के साथ समय बिताना आपको बहुत पसंद है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि अब आपका उसपर कॉपीराइट है. दोनों अलग-अलग और स्वतंत्र व्यक्ति हैं. दोनों को ही अपना समय अपने हिसाब से डिवाइड कर लेना चाहिए. लेकिन अगर अपने पार्टनर का अपने दोस्तों या परिवार के साथ समय व्यतीत करना आपको बर्दाश्त नहीं होता है तो इसका मतलब है कि आप उसे अपनी एनर्जी को कहीं और इंवेस्ट करने नहीं दे सकते. और ये कोई अच्छी बात नहीं है. साथ ही ये कोई प्यार नहीं है बल्कि ये भावनात्मक निर्भरता है जिससे बाहर आने की जरुरत है.

2- उसके लिए आपने खुद को बदल दिया है

उससे मिलने के पहले आपको स्पोर्ट्स से नफरत थी लेकिन अब आप जिम के रेगुलर क्लाइंट बन गए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आपके पार्टरन को जिम जाना पसंद है. खैर अगर ऐसा करने से आपको खुशी मिल रही है तब तो ठीक है लेकिन अगर जिम जाना आपके बस की बात नहीं है और सिर्फ अपने पार्टनर को खुश करने के लिए आप ये दर्द झेल रहे हैं तो रूक जाइए. ऐसा करने की बिल्कुल जरुरत नहीं है.

3- रिश्ते के बाहर आपकी अपनी कोई लाइफ नहीं है

जब आप अपने पार्टनर के साथ नहीं होते हैं, तब आप क्या करते हैं? क्या आप पढ़ना पसंद करते हैं, दोस्तों के साथ बाहर जाते हैं, अपनी किसी हॉबी को पूरा करते हैं या फिर कुछ और? चलिए आपके लिए इस प्रश्न को थोड़ा आसान कर देते हैं? क्या अपने रिश्ते के बाहर आपकी कोई लाइफ है? क्योंकि अगर रिश्ते के बाहर आप सोच ही नहीं पाते - तो यह ठीक नहीं है. जब पार्टनर साथ ना हो तो आपकी दुनिया थम नहीं जानी चाहिए. किसी के ऊपर भावनात्मक रूप से निर्भर रहने का ये सबसे क्लासिकल केस है और इस बात का आपको ख्याल रखना चाहिए.

4- उससे बात ना होने पर आप परेशान हो जाते हैं

कल्पना कीजिए: पार्टनर से बात किए हुए आपको पांच घंटे बीत गए हैं और अब आपको घबराहट हो रही है कि उसने कॉल क्यों नहीं किया. हालांकि उससे बात किए हुए अभी कुछ ही घंटे बीते हैं लेकिन फिर भी लग रहा है जैसे बरसो बीत गए हैं. कई तरह के नकारात्मक ख्याल आपको घेरे जा रहे हैं. आप सोच रहे हैं कि आपका पार्टनर किसी और के साथ है, इस कारण से आपका ब्लड प्रेशर और हाई हो रहा है.

जरुरी तो नहीं कि हर मिनट वो आपको कॉल करें. आपकी अपनी एक जिंदगी है तो उसकी भी है. हर समय टच में रहना जरुरी तो नहीं.

5- आपके पार्टनर को आपकी हर उम्मीद को पूरा करना होगा

आपके अपने पार्टनर से कुछ उम्मीदें हैं. सही भी है. सभी को अपने साथी से उम्मीद होती है. लेकिन दिक्कत तब शुरू होती है जब ये उम्मीदें खत्म ही न हो. और जब आपकी उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं तो आप इनसेक्योर फील करते हैं. अगर ऐसा है तो आप अपने साथी पर भावनात्मक रूप से निर्भर हैं और कभी-कभी ना सुनने की आदत डालनी चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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