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श्रद्धा-आफ़ताब में कैसा प्यार था जो थोड़े ही समय में रूह कंपा देने वाली नफरत में बदल गया?

    • AYUSHI MODI
    • Updated: 22 नवम्बर, 2022 07:00 PM
  • 22 नवम्बर, 2022 07:00 PM
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श्रद्धा हत्याकांड पर चर्चाएं तेज हैं. कई सवाल उठ रहे हैं. और कई तरीके से उठ रहे हैं. लेकिन क्या किसी ने सोचा कि अगर श्रद्धा आफताब के साथ न रहती तो? क्या आफताब श्रद्धा से सच में प्यार करता था?

ये कैसा प्यार था जो कुछ समय बाद नफरत में बदल गया. दिल्ली में सनसनीखेज के बारे में सारा देश आज चर्चा कर रहा है. जब ऐसी घटनाओं के बारे में लोग सुनते हैं तो अंदर से बाहर तक का कांप जाते है. आफताब ने श्रद्धा को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि वो उस पर शादी के लिए दवाब बना रही थी. मीडिया रिपोर्टस् की माने तो आफताब की दूसरी लड़कियों के साथ बातचीत थी, जिसके बाद से श्रद्धा को उस पर शक हने लगा था. ये प्यार न जाने कब नफरत में बदल गया कि आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े कर फ्रिज में सहेज कर रख लिए और बाद में दिल्ली के एक-एक कोने में उसकी लाश के टुकड़े छोड़ता गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लिव-इन का चलन आखिर आया कहां से. दरअसल लिव-इन, शादी से बचने का एक तरीका है, जिसमें लड़का और लड़की बिना शादी किए साथ रह सकते हैं.

दिल्ली में श्रद्धा वॉकर की मौत ने पूरे देश में सनसनी फैला कर रख दी है

ये एक पश्चिम सभ्यता है, जिसे धीरे-धीरे कई भारतीयों ने भी अपनाना चालू कर दिया है. विदेशों में जब बच्चे थोड़े ही समझदार जाते हो जाते हैं तो उन्हें लगता है कि वे अब दुनिया को जीत सकते हैं. लेकिन अफसोस ऐसा हर किसी के साथ संभव नहीं है. समझदारी बड़े होने से नहीं बल्कि अनुभव से आती है. भारत में भी युवाओं की सोच लिव-इन को लेकर काफी खुलती जा रही है. लेकिन जब आफताब और श्रद्धा जैसे नाम सामने आते हैं तो डर लगना जाहिर सी बात है.

लिव-इन को लेकर अहम सवाल ये है कि भारत में इसके लिए क्या प्रावधान हैं. तो बता दें कि भारत में अभी तक कोई नीयम-कानून नहीं है. हालांकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बताया था कि समाज में बदलते नीयमों के साथ जरूरी नहीं है कि जो पहले असंवैधानिक था वो आज भी वैसा ही रहे. समाज की नजरों में लिव-इन भले ही गलत हो सकता है लेकिन कानून की नजरो में...

ये कैसा प्यार था जो कुछ समय बाद नफरत में बदल गया. दिल्ली में सनसनीखेज के बारे में सारा देश आज चर्चा कर रहा है. जब ऐसी घटनाओं के बारे में लोग सुनते हैं तो अंदर से बाहर तक का कांप जाते है. आफताब ने श्रद्धा को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि वो उस पर शादी के लिए दवाब बना रही थी. मीडिया रिपोर्टस् की माने तो आफताब की दूसरी लड़कियों के साथ बातचीत थी, जिसके बाद से श्रद्धा को उस पर शक हने लगा था. ये प्यार न जाने कब नफरत में बदल गया कि आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े कर फ्रिज में सहेज कर रख लिए और बाद में दिल्ली के एक-एक कोने में उसकी लाश के टुकड़े छोड़ता गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लिव-इन का चलन आखिर आया कहां से. दरअसल लिव-इन, शादी से बचने का एक तरीका है, जिसमें लड़का और लड़की बिना शादी किए साथ रह सकते हैं.

दिल्ली में श्रद्धा वॉकर की मौत ने पूरे देश में सनसनी फैला कर रख दी है

ये एक पश्चिम सभ्यता है, जिसे धीरे-धीरे कई भारतीयों ने भी अपनाना चालू कर दिया है. विदेशों में जब बच्चे थोड़े ही समझदार जाते हो जाते हैं तो उन्हें लगता है कि वे अब दुनिया को जीत सकते हैं. लेकिन अफसोस ऐसा हर किसी के साथ संभव नहीं है. समझदारी बड़े होने से नहीं बल्कि अनुभव से आती है. भारत में भी युवाओं की सोच लिव-इन को लेकर काफी खुलती जा रही है. लेकिन जब आफताब और श्रद्धा जैसे नाम सामने आते हैं तो डर लगना जाहिर सी बात है.

लिव-इन को लेकर अहम सवाल ये है कि भारत में इसके लिए क्या प्रावधान हैं. तो बता दें कि भारत में अभी तक कोई नीयम-कानून नहीं है. हालांकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बताया था कि समाज में बदलते नीयमों के साथ जरूरी नहीं है कि जो पहले असंवैधानिक था वो आज भी वैसा ही रहे. समाज की नजरों में लिव-इन भले ही गलत हो सकता है लेकिन कानून की नजरो में लड़का-लड़की का एक साथ रहना गलत नहीं है. लेकिन इसके लिए संविधान में कोई कानून नहीं है.

तो अब सवाल उठता है कि कैसे तय करें कि लिव-इन में रहना सही है या गलत. लेकिन इससे पहले जरा ये सोचिए कि क्या शादी के बाद जो लोग साथ रहते है तो क्या उनके बीच से ऐसी घटनाएं सामने नहीं आती. जवाब है हां, शादी के बाद भी ऐसी कई घटनाएं हैं जिसमें एक औरत एक गलत मर्द से साथ शादी के बंधन में बंधकर बर्बाद हो जाती है. जिसके बाद तो ये सवाल उठने चाहिए कि क्या अब शादी भी गलत है.

ऐसी कई तर्क और वितर्क हैं जो आपस में एक दूसरे का खंडन करते हैं. लेकिन आज की जरूरत है कि कैसे इस देश में महिलाओं को सुरक्षित किया जाए. बात शादी या लिव-इन की नहीं है, बात सही सोच और इंसान की सही पहचान की है. अगर श्रद्धा ने आज आफताब की जगह किसी सही इंसान को चुना होता तो जाहिर रूप से उसका लिव-इन रिलेशनशिप एक अच्छी दिशा में होता. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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