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दुनिया में सबके अपने-अपने 'सऊदी अरब' हैं

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 13 नवम्बर, 2019 06:53 PM
  • 13 नवम्बर, 2019 06:52 PM
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Saudi Arabia State Security के आधिकारिक तौर पर नारीवाद (feminism) और नारीवादी विचारों को आपराधिक करार देने और इसपर कैद और कोड़े की सजा देने पर Saudi Arabia सरकार की खूब आलोचना की जा रही है. इसे भयानक और अपमानजनक कहा जा रहा है.

भारत के बाद अगर किसी देश की महिलाओं के बारे में बात करें तो सऊदी अरब (Saudi Arabia) की महिलाएं (Saudi women) हमेशा ही हमारा ध्यान अपनी तरफ खींचती आई हैं. वजह है सऊदी अरब का महिला विरोधी रवैया जिसे बदलाव की ओर अग्रसर बताया जा रहा है. खबरें आती हैं कि अब सऊदी बदल रहा है. महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत दी जाती है. कभी कहा जाता है कि अब सऊदी की महिलाएं अकेले भी सफर सकती हैं. लेकिन कुछ आदतें आसानी से नहीं जातीं. और सऊदी अरब ये दिखा ही देता है कि वहां चमत्कार नहीं हो सकते.

महिला और महिला अधिकारों के मामले में सऊदी इतनी जल्दी बदलने वाला नहीं है

कुछ दिन पहले सऊदी अरब (Saudi Arabia) की सरकारी सुरक्षा एजेंसी State Security Presidency ने ट्विटर पर एक animated video पोस्ट किया जिसमें नारीवाद (feminism), नास्तिकता (atheism) और समलैंगिकता (homosexuality) को चरमपंथी विचारों के रूप में वर्गीकृत किया गया. इस वीडियो के माध्यम से ये रूढ़िवादी मुस्लिम साम्राज्य सहिष्णुता को बढ़ावा देने और विदेशियों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा था.

वीडियो में कहा गया था कि 'all forms of extremism and perversion are unacceptable'. यानी अतिवाद और विकृति के सभी रूप अस्वीकार्य हैं. और देश की कीमत पर किसी भी तरह की ज्‍यादती को अतिवाद माना जाएगा. और इसकी सजा कैद, जुर्माना और कोड़े मारने की सजा भी है. असल में ये वही सिद्धांत हैं जो उनके विचारों से मेल नहीं खाते.

प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman) काफी समय से इस्‍लाम (Islam) का उदार स्‍वरूप दुनिया के सामने रखने की कवायद में जुटे हैं जिससे विदेशी निवेशक (Foreign Investors) सऊदी अरब में निवेश करें और तेल पर देश की अर्थव्‍यवस्‍था की निर्भरता खत्‍म...

भारत के बाद अगर किसी देश की महिलाओं के बारे में बात करें तो सऊदी अरब (Saudi Arabia) की महिलाएं (Saudi women) हमेशा ही हमारा ध्यान अपनी तरफ खींचती आई हैं. वजह है सऊदी अरब का महिला विरोधी रवैया जिसे बदलाव की ओर अग्रसर बताया जा रहा है. खबरें आती हैं कि अब सऊदी बदल रहा है. महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत दी जाती है. कभी कहा जाता है कि अब सऊदी की महिलाएं अकेले भी सफर सकती हैं. लेकिन कुछ आदतें आसानी से नहीं जातीं. और सऊदी अरब ये दिखा ही देता है कि वहां चमत्कार नहीं हो सकते.

महिला और महिला अधिकारों के मामले में सऊदी इतनी जल्दी बदलने वाला नहीं है

कुछ दिन पहले सऊदी अरब (Saudi Arabia) की सरकारी सुरक्षा एजेंसी State Security Presidency ने ट्विटर पर एक animated video पोस्ट किया जिसमें नारीवाद (feminism), नास्तिकता (atheism) और समलैंगिकता (homosexuality) को चरमपंथी विचारों के रूप में वर्गीकृत किया गया. इस वीडियो के माध्यम से ये रूढ़िवादी मुस्लिम साम्राज्य सहिष्णुता को बढ़ावा देने और विदेशियों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा था.

वीडियो में कहा गया था कि 'all forms of extremism and perversion are unacceptable'. यानी अतिवाद और विकृति के सभी रूप अस्वीकार्य हैं. और देश की कीमत पर किसी भी तरह की ज्‍यादती को अतिवाद माना जाएगा. और इसकी सजा कैद, जुर्माना और कोड़े मारने की सजा भी है. असल में ये वही सिद्धांत हैं जो उनके विचारों से मेल नहीं खाते.

प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman) काफी समय से इस्‍लाम (Islam) का उदार स्‍वरूप दुनिया के सामने रखने की कवायद में जुटे हैं जिससे विदेशी निवेशक (Foreign Investors) सऊदी अरब में निवेश करें और तेल पर देश की अर्थव्‍यवस्‍था की निर्भरता खत्‍म हो. और तो और प्रिंस सलमान सऊदी अरब में खुले समाज (Open Society) का सिद्धांत भी लागू करना चाहते हैं. इस कवायद में आजकल सऊदी से अच्छी खबरें आ रही थीं. लेकिन इस वीडियो ने सऊदी की सारी पोल खोलकर रख दी.

सउदी राज्य सुरक्षा के आधिकारिक तौर पर नारीवाद और नारीवादी विचारों को आपराधिक करार देने और इसपर कैद और कोड़े की सजा देने पर सऊदी अरब सरकार की खूब आलोचना की जा रही है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की मिडिल ईस्ट की शोधकर्ता दाना अहमद ने इस तरह के कंट्रोल और कदम को भयानक और अपमानजनक कहा है.

ये विचार उन सभी प्रयासों से मेल नहीं खाते जो प्रिंस पिछले कुछ दिनों से देश की छवि सुधारने और महिला अधिकारों (women rights) के प्रति संजीदगी दिखाने के लिए कर रहे थे. और इसीलिए जब सऊदी इसपर दुनिया भर में आलोचना का शिकार बना तो वो वीडियो डिलीट भी कर दिया गया.

सऊदी अरब में महिलाओं का सिर उठाना किसी को हजम नहीं होता

हम कैसे भूल सकते हैं कि 2018 में जब महिलाओं के ड्राइविंग करने पर रोक हटाई गई, उससे पहले ही सऊदी की करीब 11 प्रसिद्ध नारीवादी महिलाओं को अलग-अलग आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया था. ये वो महिलाएं थीं जिन्होंने इस बैन के खिलाफ आवाज उठाई थी. ऐसा करके ये बताने की कोशिश की गई कि किसी भी तरह की पहल केवल सरकार की मर्जी से हो सकती है, किसी विरोध या आंदोलन के चलते नहीं. खासकर अगर महिलाएं सिर उठाएं तब तो बिल्कुल ही नहीं.

नारीवाद (feminism), नास्तिकता (atheism) और समलैंगिकता (homosexuality) को लेकर दुनिया भर के दोशों में अलग-अलग विचार हैं. सऊदी इसे अतिवाद और विकृति कहता है जबकि वहां रहने वाली आधी आबादी इससे संतुष्ट नहीं. भारत की बात करें तो यहां सरकार इसपर कोई रोक नहीं लगाती, बल्कि सपोर्ट करती है. लेकिन भारत में रहने वालों का इन विचारों के साथ विरोधाभास है. एक हद तक नारीवाद बर्दाश्त कर सकते हैं, लकिन समलैंगिकता आज भी चुभती है. सिर्फ भारत ही क्यों दुनिया में सबके अपने-अपने सऊदी अरब हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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