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पाकिस्तानियों के लिए रोने के बजाए उरी पर रोते सलमान !

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 30 सितम्बर, 2016 07:39 PM
  • 30 सितम्बर, 2016 07:39 PM
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भारत में अच्छा पैसा मिलने के बावजूद पाकिस्तानी कलाकारों ने अपनी रोटी भी दांव पर रख दी. और यहां सलमान जैसे अमन प्रेमी इस तरह हिमयती हो रहे हैं जैसे बॉलीवुड में पाकिस्तानी नहीं होंगे तो फिल्म इंडस्ट्री बंद हो जाएगी.

एमएनएस की धमकी के बाद, पाकिस्तानी कलाकार अपने देश वापस चले गए. लेकिन उनका जाना बॉलीवुड के कई कलाकारों को रास नहीं आ रहा. अभी तक तो करण जौहर पाकिस्तानी कलाकारों के पक्षधर बने बैठे थे, लेकिन अब बॉलीवुड के सुल्तान सलमान खान भी पाकिस्तानी कलाकारों के लिए रोते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तानी कलाकारों के बॉलीवुड में काम करने का समर्थन किया है.

'पाकिस्तानी कलाकार आतंकवादी नहीं'

एक तरफ तो सलमान भारत के सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन को सही कार्रवाई बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें पाकिस्तानी कलाकारों का बॉलीवुड से जाना रास नहीं आ रहा. उन्होंने कहा कि 'सर्जिकल स्ट्राइक एक्शन का रिएक्शन था. आदर्श स्थिति जो होनी चाहिए वो शांति और अमन है. अब ये हो गया है तो एक्शन का रिएक्शन तो होगा ही. आज के दिन, आज के युग में अगर प्यार, मोहब्बत से रहें तो अच्छा होगा, खास तौर पर आम आदमी के लिए.'

ये भी पढ़ें- छी सलमान! हद है भाई जान

पर जब पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड से वापस भेजे जाने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि 'कलाकार और आतंकवाद दो अलग बाते हैं. वो टेररिस्ट थे, ये कलाकार हैं. क्या कलाकार टेरेरिस्ट होते हैं? वो वीजा लेकर आते हैं, कौन देता है उनको वीजा, वर्क परमिट हमारी गवर्मेंट ही देती है न?'

तो सलमान भाई, आप और आपके जैसे पाकिस्तानियों के हिमायतियों को एक बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि बायकॉट का मतलब क्या...

एमएनएस की धमकी के बाद, पाकिस्तानी कलाकार अपने देश वापस चले गए. लेकिन उनका जाना बॉलीवुड के कई कलाकारों को रास नहीं आ रहा. अभी तक तो करण जौहर पाकिस्तानी कलाकारों के पक्षधर बने बैठे थे, लेकिन अब बॉलीवुड के सुल्तान सलमान खान भी पाकिस्तानी कलाकारों के लिए रोते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तानी कलाकारों के बॉलीवुड में काम करने का समर्थन किया है.

'पाकिस्तानी कलाकार आतंकवादी नहीं'

एक तरफ तो सलमान भारत के सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन को सही कार्रवाई बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें पाकिस्तानी कलाकारों का बॉलीवुड से जाना रास नहीं आ रहा. उन्होंने कहा कि 'सर्जिकल स्ट्राइक एक्शन का रिएक्शन था. आदर्श स्थिति जो होनी चाहिए वो शांति और अमन है. अब ये हो गया है तो एक्शन का रिएक्शन तो होगा ही. आज के दिन, आज के युग में अगर प्यार, मोहब्बत से रहें तो अच्छा होगा, खास तौर पर आम आदमी के लिए.'

ये भी पढ़ें- छी सलमान! हद है भाई जान

पर जब पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड से वापस भेजे जाने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि 'कलाकार और आतंकवाद दो अलग बाते हैं. वो टेररिस्ट थे, ये कलाकार हैं. क्या कलाकार टेरेरिस्ट होते हैं? वो वीजा लेकर आते हैं, कौन देता है उनको वीजा, वर्क परमिट हमारी गवर्मेंट ही देती है न?'

तो सलमान भाई, आप और आपके जैसे पाकिस्तानियों के हिमायतियों को एक बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि बायकॉट का मतलब क्या होता है. देश हर फ्रेंट पर पाकिस्तान से किनारा कर रहा है. और ये सब एक झटके में नहीं होता, इसपर देश की सरकारें काम कर रही हैं. पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की उम्मीद आपने ही नहीं हमारे देश की सरकार भी सालों से करती आई है. लेकिन बदले में भारत को पाकिस्तान से सिर्फ धोखा और आतंकी हमले ही मिले हैं. इसलिए अब ये कदम उठाना जरूरी है. बायकॉट का मतलब टोटल बायकॉट ही होता है. उसमें कला और कलाकार के आने की भी गुजाइश न हो तो ही अच्छा है.  

ये भी पढ़ें- बॉलीवुड पर बैन से कैसे डूबेगी पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री, जानिए

पाकिस्तानियों की पैरवी करते हो तो उन्हीं से कुछ सीखा होता. इन्होंने न उरी आतंकी हमले पर कोई भी खेद जताया, और जब उनसे कहा गया कि आप हमले की निंदा कर देंगे तो शायद वतन वापस नहीं जाना पड़ेगा, तो भी वो पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ एक शब्द नहीं बोले, चुपचाप वापस चले गए. फवाद खान अपने वतन जाकर बोलते हैं "नेशन फर्स्ट". ये वो कलाकार हैं जिन्हें भारत में अच्छा पैसा मिलता है, लेकिन उन्होंने अपनी रोटी भी दांव पर रख दी. और यहां आप जैसे अमन प्रेमी इस तरह हिमयती हो रहे हैं जैसे बॉलीवुड में पाकिस्तानी नहीं होंगे तो फिल्म इंडस्ट्री बंद हो जाएगी.

कलाकार आतंकी नहीं होते, लेकिन कलाकार देशप्रेमी भी होते हैं. पाकिस्तान के गायक अदनान सामी जो हाल ही में भारतीय नागरिक बने हैं, उनका ट्वीट देखिए और खुद का आंकलन कीजिए.

वैसे एक बात समझ नहीं आती कि जब मुंबई में उत्तर भारतीयों को मारा जाता है, तब तो आपका दिल नहीं पसीजता, लेकिन जब पाकिस्तानी कलाकारों को भगाने की बात आती है तो कलेजा मुंह को क्यों आता है? आपके इस वक्त बोलने की तो कोई कीमत ही नहीं, क्योंकि आप तो उरी आतंकी हमले में हमारे 19 जवानों की शहादत पर भी नहीं बोले, लेकिन इन पाकिस्तानी कलाकारों के अफसोस कर रहे हैं.

पर सच कहूं तो आपकी बात पर कोई आश्चर्य नहीं होता, क्योंकि आपने तो याकूब मेमन को भी फांसी पर चढ़ाए जाने का विरोध किया था. और फिर बाद में अपने ट्वीट मिटा दिए थे.

ये भी पढ़ें- उरी हमले ने कैसे बदल दी पाकिस्तानी कलाकारों की जिंदगी


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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