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जैकलीन-सलमान का बच्चे से 'जबरदस्ती' दुलार क्‍यों #TooMuch है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 30 मई, 2018 02:56 PM
  • 30 मई, 2018 02:56 PM
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एक बच्चे की 'ना' सुनकर सलमान खान ऑफेंड हो गए और बच्चे को जबरदस्ती जैकलीन के गले लगवाया. क्या लोगों के लिए 'ना' की कीमत समझना सच में इतना मुश्किल है?

पता नहीं हमारे देश के लोगों को ये बात कब समझ आएगी कि 'ना' का मतलब 'ना' ही होता है. ना सुनकर शायद लोगों को अपमानित महसूस होता है, तभी तो 'ना' की हमेशा धज्जियां उड़ाकर अपने मन की करते हैं लोग. इस बार निशाने पर आए हैं बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ जैकलीन फर्नांडिस और सबके चहेते सलमान खान.

हाल ही में सलमान खान और जैकलीन एक रिएलिटी टीवी शो पर अपनी आने वाली फिल्म रेस 3 का प्रमोशन करने गए थे, जहां जैकलीन ने एक बच्चे कहा कि वो उसे गले से लगाना चाहती हैं. लेकिन बच्चे ने साफ मना कर दिया. कहा- 'नहीं, मन नहीं कर रहा'. इसके बाद सलमान खान बच्चे को जैकलीन के गले लगाने के लिए जैकलीन को लेकर स्टेज पर जा पहुंचे. उसके बाद जो हुआ वो आप खुद ही देख लीजिए-

जैकलीन ने जब ये वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया, तब उन्हें लोगों की आलोचनाएं झेलनी पड़ीं, क्योंकि यहां मामला बच्चे की मर्जी के बगैर उसे छूने का था. जाहिर तौर पर बच्चों के साथ ऐसा ही होता है उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता, क्योंकि वो बच्चे हैं. तो ऐसे में कंसेंट जैसी गंभीर बात को भला कैसे गंभीरता से लिया जाएगा. अगर लोग कंसेंट का मतलब जानते और समझते हैं तो उन्हें ये भी समझना होगा कि ये सिर्फ बड़ों तक ही सीमित नहीं है, ये बच्चों पर भी लागू होता है.

पापोन के मामले से जरा भी अलग नहीं है ये मामला

जैकलीन का ये मामला हॉलीवुड सिंगर केटी पेरी से काफी मिलता जुलता है. कुछ समय एक रियलिटी शो में ऑडिशन देने आए एक 19 साल के लड़के ने जब ये कहा कि उसने कभी किसी लड़की को किस किया है तो केटी ने लड़के को अपने पास बुलाया और अपना गाल आगे कर दिया, लड़के ने शराफत से केटी को किस किया. लेकिन तभी केटी ने शरारत करते हुए अपने होंठ उसके सामने कर दिए.

पता नहीं हमारे देश के लोगों को ये बात कब समझ आएगी कि 'ना' का मतलब 'ना' ही होता है. ना सुनकर शायद लोगों को अपमानित महसूस होता है, तभी तो 'ना' की हमेशा धज्जियां उड़ाकर अपने मन की करते हैं लोग. इस बार निशाने पर आए हैं बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ जैकलीन फर्नांडिस और सबके चहेते सलमान खान.

हाल ही में सलमान खान और जैकलीन एक रिएलिटी टीवी शो पर अपनी आने वाली फिल्म रेस 3 का प्रमोशन करने गए थे, जहां जैकलीन ने एक बच्चे कहा कि वो उसे गले से लगाना चाहती हैं. लेकिन बच्चे ने साफ मना कर दिया. कहा- 'नहीं, मन नहीं कर रहा'. इसके बाद सलमान खान बच्चे को जैकलीन के गले लगाने के लिए जैकलीन को लेकर स्टेज पर जा पहुंचे. उसके बाद जो हुआ वो आप खुद ही देख लीजिए-

जैकलीन ने जब ये वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया, तब उन्हें लोगों की आलोचनाएं झेलनी पड़ीं, क्योंकि यहां मामला बच्चे की मर्जी के बगैर उसे छूने का था. जाहिर तौर पर बच्चों के साथ ऐसा ही होता है उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता, क्योंकि वो बच्चे हैं. तो ऐसे में कंसेंट जैसी गंभीर बात को भला कैसे गंभीरता से लिया जाएगा. अगर लोग कंसेंट का मतलब जानते और समझते हैं तो उन्हें ये भी समझना होगा कि ये सिर्फ बड़ों तक ही सीमित नहीं है, ये बच्चों पर भी लागू होता है.

पापोन के मामले से जरा भी अलग नहीं है ये मामला

जैकलीन का ये मामला हॉलीवुड सिंगर केटी पेरी से काफी मिलता जुलता है. कुछ समय एक रियलिटी शो में ऑडिशन देने आए एक 19 साल के लड़के ने जब ये कहा कि उसने कभी किसी लड़की को किस किया है तो केटी ने लड़के को अपने पास बुलाया और अपना गाल आगे कर दिया, लड़के ने शराफत से केटी को किस किया. लेकिन तभी केटी ने शरारत करते हुए अपने होंठ उसके सामने कर दिए.

पापोन के साथ भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था उन्होंने एक बच्ची को किस किया था. लेकिन उन्होंने इसके लिए सजा पाई थी जबकि केटी पेरी और जेकलीन ने सिर्फ आलोचनाएं ही पाईं हैं.

हालांकि ये बात भी है कि बच्चों को प्यार-दुलार करने का मतलब उनका शोषण करना नहीं होता, घरों में बच्चों के साथ ऐसा ही होता है, उन्हें प्यार भी करते हैं और जबरदस्ती उनके गाल पर पप्पी भी लेते हैं. लेकिन घर और बाहर में फर्फ है. आज इसी प्यार और अपनेपन की वजह से बच्चे अपनों और शोषण करने वालों में फर्क महसूस नहीं कर पाते और शोषित होते हैं. इस शो में अगर बच्चे की बात को मजाक में न लेकर उसे महत्व दिया जाता, और उसे बताया जाता कि वास्तव में 'ना' शब्द के मायने और अहमियत क्या है, न शब्द बच्चों के लिए उनकी हिफाजत का हथियार है, तो आज सलमान खान और जैकलीन लोगों की तारीफ पा रहे होते. लेकिन इसके उलट जो उन्होंने किया, वो आलोचनाओं के ही लायक है. 

'ना' भले ही एक छोटा सा शब्द है, लेकिन हल्का नहीं है. और ये बात लोग जितना जल्दी समझ लें उतना अच्छा. बच्चों के मामले में और भी गंभीर इसलिए हो जाता है क्योंकि बच्चे शायद अनुमति और कंसेंट जैसे शब्दों के मायने नहीं जानते, वो वही कहते हैं जो उन्हें महसूस होता है. जादू की झप्पी हमेशा अच्छी नहीं होती. एक तरफ माता-पिता बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें कंसेंट का मतलब सिखा रहे हैं, उन्हें ना बोलना सिखा रहे हैं. एक्सपर्ट्स तो दूधपीते बच्चों को भी इजाजत लेने के महत्व को समझाने की बात कर रहे हैं, ऐसे में किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति का इस तरह का व्यवहार करना इन सभी लोगों की मेहनत जाया कर रहा है.

अगर अब भी आपको यही लगता है कि ये कोई बड़ी बात नहीं है तो फिर आपको भी अपने दिमाग के जाले साफ करने की जरूरत है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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