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मारुति को मर्सिडीज बनाने से पहले ये जान लें...

    • आईचौक
    • Updated: 12 दिसम्बर, 2017 03:57 PM
  • 12 दिसम्बर, 2017 03:57 PM
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कोई कार खरीदे मारुति और उसे modify कर मर्सिडीज जैसा बना दे तो क्या ये लीगल है? जान लीजिए वो नियम जो हर कार के शौकीन इंसान के काम आएंगे.

केरल से एक बहुत ही दिलचस्प मामला सामने आया है. एक कार बेचने के लिए डीलर को दी गई. कार भी कोई ऐसी वैसी नहीं बल्कि मर्सिडीज A क्लास. लाल रंग की चमचमाती हुई रेसिंग कार. डीलर के शोरूम में ये कार पहुंचती है और पुलिस आ जाती है. पड़ताल की जाती है और ये क्या.. पता चलता है कि कार असल में मारुति बलेनो थी.

चौंक गए? ऐसा ही एक गैरकानूनी modification का मामला केरल में सामने आया है. मारुति बलेनो को तीन लाख रुपए ज्यादा देकर मर्सिडीज में तब्दील करवा दिया गया. मामला सामने आया कि कार के मालिक ने उसे मर्सिडीज में तब्दील करवाया. उसके टायर, ग्रिल, बंपर, हेड और टेल लाइट, लोगो आदि सब बदल दिया गया.

RTO ऑफिस ने इसकी पड़ताल की और बात सही साबित हुई. कार की इतनी अच्छी नकल की गई थी कि खुद मर्सिडीज के डीलर्स ही धोखा खा गए. अधिकारियों को इस बेहरूपिया मर्सिडीज का पता लगाने में दो हफ्ते लग गए. असली मालिक ने ये गाड़ी इसलिए बेची क्योंकि गैरकानूनी modification के चलते कार का मालिक मुश्किल में पड़ गया था.

पहली नजर में ये केस धोखाधड़ी का लगेगा, लेकिन असल में कार का मालिक सस्ती कार को महंगी बनाने के चक्कर में परेशान हो गया. क्योंकि भारत के नियम ये नहीं कहते कि आप किसी गाड़ी को अपनी मर्जी से कैसा भी बना दें (राम रहीम की गाड़ियों का काफिला छोड़ दें उसपर सरकार ने कुछ नहीं कहा था.)

क्या कहते हैं नियम?

मोटर वेहिकल्स एक्ट 2000 के सेक्शन 52 में इससे जुड़े कई नियम दिए गए हैं...

1. कोई भी गाड़ी का मालिक अपनी गाड़ी को किसी अन्य तरह से modify नहीं कर सकता है और सिर्फ वही बदलाव करवा सकता है जो मैन्युफेक्चरर ने तय किए हैं.

इसमें इंजन का बदलाव, फ्यूल सोर्स का बदलाव, बैटरी, नैचुरल गैस या सोलर पावर का इस्तेमाल आदि शामिल है. इसी के साथ, अगर कोई और बदलाव करवाना...

केरल से एक बहुत ही दिलचस्प मामला सामने आया है. एक कार बेचने के लिए डीलर को दी गई. कार भी कोई ऐसी वैसी नहीं बल्कि मर्सिडीज A क्लास. लाल रंग की चमचमाती हुई रेसिंग कार. डीलर के शोरूम में ये कार पहुंचती है और पुलिस आ जाती है. पड़ताल की जाती है और ये क्या.. पता चलता है कि कार असल में मारुति बलेनो थी.

चौंक गए? ऐसा ही एक गैरकानूनी modification का मामला केरल में सामने आया है. मारुति बलेनो को तीन लाख रुपए ज्यादा देकर मर्सिडीज में तब्दील करवा दिया गया. मामला सामने आया कि कार के मालिक ने उसे मर्सिडीज में तब्दील करवाया. उसके टायर, ग्रिल, बंपर, हेड और टेल लाइट, लोगो आदि सब बदल दिया गया.

RTO ऑफिस ने इसकी पड़ताल की और बात सही साबित हुई. कार की इतनी अच्छी नकल की गई थी कि खुद मर्सिडीज के डीलर्स ही धोखा खा गए. अधिकारियों को इस बेहरूपिया मर्सिडीज का पता लगाने में दो हफ्ते लग गए. असली मालिक ने ये गाड़ी इसलिए बेची क्योंकि गैरकानूनी modification के चलते कार का मालिक मुश्किल में पड़ गया था.

पहली नजर में ये केस धोखाधड़ी का लगेगा, लेकिन असल में कार का मालिक सस्ती कार को महंगी बनाने के चक्कर में परेशान हो गया. क्योंकि भारत के नियम ये नहीं कहते कि आप किसी गाड़ी को अपनी मर्जी से कैसा भी बना दें (राम रहीम की गाड़ियों का काफिला छोड़ दें उसपर सरकार ने कुछ नहीं कहा था.)

क्या कहते हैं नियम?

मोटर वेहिकल्स एक्ट 2000 के सेक्शन 52 में इससे जुड़े कई नियम दिए गए हैं...

1. कोई भी गाड़ी का मालिक अपनी गाड़ी को किसी अन्य तरह से modify नहीं कर सकता है और सिर्फ वही बदलाव करवा सकता है जो मैन्युफेक्चरर ने तय किए हैं.

इसमें इंजन का बदलाव, फ्यूल सोर्स का बदलाव, बैटरी, नैचुरल गैस या सोलर पावर का इस्तेमाल आदि शामिल है. इसी के साथ, अगर कोई और बदलाव करवाना भी है तो केंद्र सरकार द्वारा अनुमति लेनी होगी. केंद्र सरकार ही इस मामले में परमीशन दे सकती है.

2. राज्य सरकार भी गाड़ी में बदलाव की अनुमति दे सकती है, इसके लिए आधिकारिक गजेट में नोटिफिकेशन देना होगा. साथ ही, जिस इंसान को modification की अनुमति दी जा रही है उसके पास 10 गाड़ियां होनी ही चाहिए और तभी उसे किसी गाड़ी को modify करने की परमीशन मिलेगी. इसी में गाड़ी के इंजन में बदलाव की भी बात है.

3. अगर कोई बदलाव गाड़ी में बिना नोटिफिकेशन और अनुमति के किया गया है तो सब सेक्शन (2) में लिखा है कि 14 दिन के अंदर इस बदलाव की जानकारी रजिस्टरिंग अथॉरिटी को देनी होगी. साथी ही सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन भी देना होगा और इसी के साथ तय फीस भी देनी होगी.

4. अगर किसी अन्य रजिस्टरिंग अथॉरिटी ने मामले की एंट्री की है तो उसे तय समय के अंदर आधिकारिक रजिस्टरिंग अथॉरिटी को जानकारी देनी होगी.

5. सब सेक्शन (1), (2), (3) और (4) के अनुसार अगर कोई गाड़ी हायर करता है तो बिना रजिस्टर्ड मालिक की अनुमति के वो गाड़ी में कोई बदलाव नहीं कर सकता.

कुल मिलाकर ऐसा कोई भी बदलाव जो गाड़ी के स्ट्रक्चर में किया गया हो या जिससे गाड़ी के फीचर में बदलाव हो जाए वो बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता है. तो अगर आप भी सोच रहे हैं कि आपको गाड़ी में कुछ बदलाव करवाने हैं तो यकीनन ये नियम जान लेने में ही भलाई है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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