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टिकट कैंसिल कर 14 अरब कमाने वाली रेलवे लॉस में तो हो ही नहीं सकती!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 अगस्त, 2018 04:04 PM
  • 04 अगस्त, 2018 04:04 PM
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रेलवे को लेकर आरटीआई का खुलासा ये बात साफ कर देता है कि रेलवे न कभी नुकसान में थी और न ही कभी होगी.

कैग की रिपोर्ट कुछ कहे. पेंट्री के खाने में कॉकरोच निकले या छिपकली. मगर ईमानदारी की बात ये है कि कमाई के मामले में रेलवे का मुकाबला बड़े बड़े धन्ना सेठ नहीं कर सकते. रेलवे से जुड़ी खबर चौंकाने वाली है. खबर के अनुसार रेलवे को यात्री टिकटों की बिक्री के साथ टिकट निरस्त किए जाने से भी मोटी कमाई हो रही है. आरटीआई के जरिये रेलवे से जुड़ी जो जानकारी निकल कर सामने आई है वो चौंकाने वाली है. आरटीआई में आया है कि वित्तीय वर्ष 2017-2018 में टिकट कैंसिल किए जाने के बदले यात्रियों से वसूले गए चार्ज से रेलवे के खजाने में लगभग 13.94 अरब रुपये जमा हुए हैं.

खबर चौंकाने वाली है और इसका पूरा श्रेय जाता है मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सोशल वर्कर चंद्रशेखर गौड़ को. पूरे विषय पर अपना तर्क पेश करते हुए गौड़ ने बताया कि उन्हें रेल मंत्रालय के रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र के एक अफसर से आरटीआई के तहत दायर अपील पर यह जानकारी मिली है.

रेलवे में टिकट को लेकर आरटीआई का खुलासा ये बताता है कि रेलवे नुकसान में नहीं है

आरटीआई के मद्देनजर प्राप्त हुए जवाब में रेलवे द्वारा गौड़ को यह भी बताया गया है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान चार्ट बनने के बाद भी वेटिंग लिस्ट में ही रह गए यात्री टिकटों के कैंसिल होने पर वसूले गए चार्ज से रेलवे ने 88.55 करोड़ रुपये की कमाई की.

रेलवे से प्राप्त हुई इस जानकारी के विषय में ये बताना भी बहुत जरूरी है कि गौड़ ने आरटीआई के तहत 9 अप्रैल को सीआरआईएस को अर्जी भेजकर रेलवे से विभिन्न राजस्व मदों में ब्योरा मांगा था. मगर उनके आवेदन पर  उन्हें 2 मई को केवल यह जानकारी दी गयी कि वित्तीय वर्ष 2017-2018 में अनारक्षित टिकटिंग प्रणाली (यूटीएस) के तहत बुक पैसेंजेर टिकटों को कैंसिल कराये जाने से रेलवे ने 17.14 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित...

कैग की रिपोर्ट कुछ कहे. पेंट्री के खाने में कॉकरोच निकले या छिपकली. मगर ईमानदारी की बात ये है कि कमाई के मामले में रेलवे का मुकाबला बड़े बड़े धन्ना सेठ नहीं कर सकते. रेलवे से जुड़ी खबर चौंकाने वाली है. खबर के अनुसार रेलवे को यात्री टिकटों की बिक्री के साथ टिकट निरस्त किए जाने से भी मोटी कमाई हो रही है. आरटीआई के जरिये रेलवे से जुड़ी जो जानकारी निकल कर सामने आई है वो चौंकाने वाली है. आरटीआई में आया है कि वित्तीय वर्ष 2017-2018 में टिकट कैंसिल किए जाने के बदले यात्रियों से वसूले गए चार्ज से रेलवे के खजाने में लगभग 13.94 अरब रुपये जमा हुए हैं.

खबर चौंकाने वाली है और इसका पूरा श्रेय जाता है मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सोशल वर्कर चंद्रशेखर गौड़ को. पूरे विषय पर अपना तर्क पेश करते हुए गौड़ ने बताया कि उन्हें रेल मंत्रालय के रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र के एक अफसर से आरटीआई के तहत दायर अपील पर यह जानकारी मिली है.

रेलवे में टिकट को लेकर आरटीआई का खुलासा ये बताता है कि रेलवे नुकसान में नहीं है

आरटीआई के मद्देनजर प्राप्त हुए जवाब में रेलवे द्वारा गौड़ को यह भी बताया गया है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान चार्ट बनने के बाद भी वेटिंग लिस्ट में ही रह गए यात्री टिकटों के कैंसिल होने पर वसूले गए चार्ज से रेलवे ने 88.55 करोड़ रुपये की कमाई की.

रेलवे से प्राप्त हुई इस जानकारी के विषय में ये बताना भी बहुत जरूरी है कि गौड़ ने आरटीआई के तहत 9 अप्रैल को सीआरआईएस को अर्जी भेजकर रेलवे से विभिन्न राजस्व मदों में ब्योरा मांगा था. मगर उनके आवेदन पर  उन्हें 2 मई को केवल यह जानकारी दी गयी कि वित्तीय वर्ष 2017-2018 में अनारक्षित टिकटिंग प्रणाली (यूटीएस) के तहत बुक पैसेंजेर टिकटों को कैंसिल कराये जाने से रेलवे ने 17.14 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया.

इस पूरे मामले के बाद यहां ये बताना बेहद ज़रूरी है कि ये कोई पहली बार नहीं है कि रेलवे ने टिकट कैंसिल कर इतने पैसे कमाए हों. दरअसल ये प्रक्रिया 2015 से चल रही है. तब सरकार ने टिकट के कैंसिलेशन चार्ज को डबल किया था और उसके बाद से इसमें 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी. साल 2016-17 में भी कैंसिल किये गए टिकटों से रेलवे ने 1,400 करोड़ रुपए कमाए थे.

बहरहाल, यात्रियों से इतना पैसा कमाकर और ये जानकारी पेश करने के बावजूद  रेलवे ये कहे कि वो नुकसान का सामना कर रही है तो बात कई मायनों में सोचने वाली है और एक गहरी चिंता का विषय है. टिकट कैंसिलेशन के नामपर आज जिस तरह से रेलवे बड़े मुनाफे में है. यहां हमारे लिए ये कहना गलत नहीं है कि जब यात्रियों से रेलवे इस तरह कमा रही है तो अब ये उसका नैतिक दायित्व हो जाता है कि वो यात्रियों को सही सुविधा मुहैया कराए.

अपनी कही बात को विराम देते हुए हम कैग की रिपोर्ट के उस बिंदु पर जाना चाहेंगे जहां रेलवे ने शताब्दी, राजधानी और दुरंतो की डायनामिक टिकट प्राइसिंग का हवाला दिया था और कैग ने इसकी आलोचना करते हुए इसकी खामियां निकाली थीं. इस पर रेलवे का तर्क था कि उसे इससे शुरुआत में तो फायदा हुआ मगर बाद में वो नुक्सान में चली गयी. खैर जिस तरह रेलवे कमा रही है कहना गलत नहीं है उसने अपने लॉस की भरपाई मय बयाज यात्रियों से कर ली है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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