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डर के इस माहौल में Omicron को लेकर सबसे अच्छी खबर AIIMS ने दी है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 जनवरी, 2022 08:38 PM
  • 04 जनवरी, 2022 08:36 PM
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भारत में Omicron के मामले आ रहे हैं उसपर एम्स के शोधकर्ता डॉक्टर संजय राय ने कुछ जरूरी बातें की हैं और ऐसा बहुत कुछ बताया है जो डर के इन क्षणों में राहत देता नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि यह वेरिएंट लोगों में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में सहायक हो सकता है.

22 मार्च 2020. वो दिन जब देश में पहली बार जनता कर्फ्यू लगा और उसके फौरन बाद अलग-अलग चरणों में लॉक डाउन. 2020 से लेकर आज तक, जो कुछ भी घटा है. पूरा मंजर दिल को दहला कर रख देने वाला है. क्या कभी किसी ने सोचा था कि एक बीमारी आएगी जो महामारी का रूप लेगी? इस बीमारी में न केवल हमने अपने करीबियों को खोया. बल्कि ऐसा बहुत कुछ देखा जो हमारी सोच और कल्पना दोनों से परे था. क्योंकि कोरोना को न्यू नार्मल मान लिया गया था. इसलिए महसूस यही हो रहा था कि शायद डर अब कम हो जाए. लेकिन अब जबकि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट Omicron ने हमारे जीवन में पुनः दस्तक दे दी है. साफ हो गया है कि महामारी से उपजी जटिलताएं इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाली. एक ऐसे समय में जब देश की अलग अलग राज्य सरकारें Omicron की चेन तोड़ने के लिए फिर से नाईट कर्फ्यू का सहारा ले रही हों. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ गया हो Omicron को लेकर जो ख़बर AIIMS से आई है वो राहत भरी है और किसी वरदान से कम नहीं है.

कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के मद्देनजर अहम जानकारी एम्स से आई है जो राहत देती नजर आ रही है

जिस तेजी से भारत में Omicron के मामले आ रहे हैं उसपर एम्स के शोधकर्ता डॉक्टर संजय राय ने कुछ जरूरी बातें की हैं और ऐसा बहुत कुछ बताया है जो डर के इन क्षणों में राहत देता नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि यह वेरिएंट लोगों में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में सहायक हो सकता है. एम्स के रिसर्चर डॉ संजय राय के मुताबिक जिन्हें एक बार कोरोना हो गया है और वो ठीक हो गए हैं, वो सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. उन्हें वैक्सीन वालों की तुलना में ज्यादा प्रोटेक्शन है.

वहीं उनका ये भी मानना है कि हमें Omicron को लेकर बहुत...

22 मार्च 2020. वो दिन जब देश में पहली बार जनता कर्फ्यू लगा और उसके फौरन बाद अलग-अलग चरणों में लॉक डाउन. 2020 से लेकर आज तक, जो कुछ भी घटा है. पूरा मंजर दिल को दहला कर रख देने वाला है. क्या कभी किसी ने सोचा था कि एक बीमारी आएगी जो महामारी का रूप लेगी? इस बीमारी में न केवल हमने अपने करीबियों को खोया. बल्कि ऐसा बहुत कुछ देखा जो हमारी सोच और कल्पना दोनों से परे था. क्योंकि कोरोना को न्यू नार्मल मान लिया गया था. इसलिए महसूस यही हो रहा था कि शायद डर अब कम हो जाए. लेकिन अब जबकि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट Omicron ने हमारे जीवन में पुनः दस्तक दे दी है. साफ हो गया है कि महामारी से उपजी जटिलताएं इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाली. एक ऐसे समय में जब देश की अलग अलग राज्य सरकारें Omicron की चेन तोड़ने के लिए फिर से नाईट कर्फ्यू का सहारा ले रही हों. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ गया हो Omicron को लेकर जो ख़बर AIIMS से आई है वो राहत भरी है और किसी वरदान से कम नहीं है.

कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के मद्देनजर अहम जानकारी एम्स से आई है जो राहत देती नजर आ रही है

जिस तेजी से भारत में Omicron के मामले आ रहे हैं उसपर एम्स के शोधकर्ता डॉक्टर संजय राय ने कुछ जरूरी बातें की हैं और ऐसा बहुत कुछ बताया है जो डर के इन क्षणों में राहत देता नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि यह वेरिएंट लोगों में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में सहायक हो सकता है. एम्स के रिसर्चर डॉ संजय राय के मुताबिक जिन्हें एक बार कोरोना हो गया है और वो ठीक हो गए हैं, वो सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. उन्हें वैक्सीन वालों की तुलना में ज्यादा प्रोटेक्शन है.

वहीं उनका ये भी मानना है कि हमें Omicron को लेकर बहुत ज्यादा टेस्ट करने में संसाधन बर्बाद नहीं करने चाहिए. इसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में हो तो ज्यादा बेहतर है. Omicron के तहत डॉक्टर राय का ये भी मानना है कि हम धीरे धीरे एंडेमिक स्टेज की तरफ बढ़ रहे हैं.

गौरतलब है कि एम्स में कोवैक्सीन के ट्रायल को लीड करने वाले कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ संजय राय ने कई ऐसी बातें बता दी हैं जो इस बात की तसदीख करती हैं कि Omicron अपने साथ केवल दुख नहीं बल्कि उम्मीद की वो किरणें भी लेकर आ रहा है जो भविष्य में हमें अन्य खतरों से सुरक्षित रखेंगी.

डॉक्टर राय का मानना है कि हमें वैज्ञानिक आधार पर ही बात करनी चाहिए. साक्ष्य कहता है कि कई बार जब वायरस बहुत ज्यादा म्यूटेड होता है तो कमजोर भी होता है. ओमीक्रोन में ऐसा ही दिख रहा है कि यह बहुत ज्यादा संक्रमण कर रहा है, वैक्सीन की इम्युनिटी को क्रॉस कर ब्रेकथ्रू इंफेक्शन कर रहा है.

डॉक्टर राय के अनुसार कोविड से ठीक हुए लोगों में रीइंफेक्शन कर रहा है. कुछ लोग, जिन्होंने तीसरी डोज यानी बूस्टर ले रखी है, उनकी इम्युनिटी को भेद रहा है. शोध में यही आया है कि Omicron माइल्ड असर कर रहा है. ये इतना माइल्ड है की अधिकतर में लक्षण ही नहीं आ रहे हैं.जिनमें लक्षण आ रहे हैं, वो दो से तीन दिन में ठीक हो रहे हैं. इसलिए जिस ओमीक्रोन वेरिएंट से हम डर रहे हैं, हो सकता है कि यह हमारे लिए अभिशाप की जगह वरदान बन जाए.

अपनी बात को वजन देने के लिए डॉक्टर राय ने पोलियो और मिजिल्स की वैक्सीन का हवाला दिया है. ध्यान रहे कि पोलियो और मिजिल्स इन दोनों वैक्सीन बनाने में लाइव वायरस को कमजोर करके बनाया जाता है, जो शरीर में जाकर एंटीबॉडी बनाता है. जब शरीर में पोलियो या मिजिल्स आता है तो उसके खिलाफ एक्टिव होकर उसे रोकता है. ठीक इसी प्रकार यह ओमिक्रॉन वेरिएंट जिन्हें संक्रमित कर रहा है, उन्हें बीमार नहीं कर रहा है, उनमें एक तरह से कोरोना के खिलाफ नेचुरल इम्युनिटी पैदा कर रहा है.

वहीं डॉक्टर राय में दक्षिण अफ्रीका का जिक्र करते हुए कहा कि वहां की हेल्थ मिनिस्टरी ने आदेश जारी कर दिया है कि एसिम्टोमेटिक लोगों की जांच नहीं होगी. यह सही कदम है. ग्लोबल ट्रेंड दिखा रहा है कि ओमीक्रोन से डरने की जरूरत नहीं है, माइल्ड है. क्योंकि बार बार इसे फायदेमंद कहा जा रहा है इसलिए डॉक्टर राय ने दिल्ली ले एलएनजेपी के डाटा का भी जिक्र किया है.

बहरहाल क्योंकि देश में फिर एक बार Omicron को लेकर डर का माहौल है. और जैसा कि ज्ञात है अभी भी इस बीमारी के संभावित लक्षणों पर बहस चल रही है. जो कुछ भी एम्स के हवाले से कहा गया है उसे नजरअंदाज इसलिए भी नहीं किया जा सकता क्योंकि तथ्यों को सामने लाने या किसी भी प्रकार की कोई बात कहने से पहले गहरा शोध प्राथमिक और अनिवार्य शर्त है. वो तमाम लोग जो Omicron को लेकर दहशत में हैं राहत की सांस ले सकते हैं.

खुद कल्पना कीजिये यदि कोई व्यक्ति Omicron की चपेट में आ रहा है फिर ठीक हो रहा है और साथ ही साथ उसकी नेचुरल इम्युनिटी बढ़ रही है तो फिर कोई खतरे वाली बात नहीं है. हो सकता है कि कोरोना के ये वेरिएंट आया ही इसलिए हो कि लोग कोरोना के संभावित खतरों से बच सकें. 

खैर इन तमाम बातों के बीच हमें इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि अभी बीमारी ख़त्म नहीं हुई है. जैसे हालात हैं, हमें आगे इसी के साथ गुजर बसर करना है इसलिए इससे बचा तभी जा सकता है जब हम सावधानी बरतें और जो गाइडलाइन सरकार लागू कर रही है अपनी खुद की सुरक्षा के लिए बिना किसी न नुकुर के उसका पालन करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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