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केरल बाढ़: मदद के लिए चल पड़ा ऐसा चैलेंज, जिसे सलाम किए बिना नहीं रह सकेंगे

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 14 अगस्त, 2018 07:02 PM
  • 14 अगस्त, 2018 07:02 PM
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पहली बार 24 अगस्त 2014 #ricebucketchallenge हैशटैग की शुरुआत हुई थी. तब ये चैलेंज किसी को दान देते हुए अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए चला था, लेकिन अब इसके जरिए केरल बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाई जा रही है.

पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ अपनी बातें शेयर करने के लिए नहीं हो रहा है, बल्कि इसके जरिए कई तरह के चैलेंज भी चलते हैं. कुछ तो लोगों के फायदे के लिए होते हैं तो कुछ सिर्फ मौज-मस्ती के लिए, जैसे आईस बकेट चैलेंज, फिटनेट चैलेंज. वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी होते हैं, जो जानलेवा होते हैं, जैसे ब्लू व्हेल चैलेंज, मोमो चैलेंज और कीकी चैलेंज. लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा चैलेंज सामने आया है, जो केरल बाढ़ के पीड़ितों को मदद पहुंचा रहा है. यानी यहां आप एक-दूसरे को चैलेंज करेंगे और वहां गरीब और बेघर लोगों की मदद हो जाएगी. चलिए जानते हैं इस चैलेंज के बारे में.

ये चैलेंज केरल बाढ़ के पीड़ितों को मदद पहुंचा रहा है.

राइस बकेट चैलेंज

जी हां, इसका नाम है राइस बकेट चैलेंज. यानी चावल दान देने का चैलेंज. इसके तहत आपको कुछ चावल दान देना होता है और दूसरों को भी ये चैलेंज देना होता है कि वो चावल दान करें. यानी एक ऐसा चैलेंज, जिससे बहुत से गरीब और बेघर लोगों को मदद मिलेगी. जिन लोगों के आशियाने बाढ़ की भेंट चढ़ चुके हैं, जो सर छुपाने के लिए सरकार के सहारे हैं, आपके इस चैलेंज में हिस्सा लेने भर से उन्हें पेट भर खाना मिल सकेगा.

जहां एक ओर इन दिनों पूरे देश में कीकी चैलेंज चल रहा है और लोग चलती गाड़ी से उतर कर डांस करने के चक्कर में चोट खा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. यूं तो अभी यह मदद सिर्फ केरल की एक कंपनी की तरफ से की जा रही है, लेकिन हैरानी की बात नहीं होगी अगर धीरे-धीरे ये चैलेंज पूरे देश में फैल जाए और देश के हर कोने से लोग केरल बाढ़ के पीड़ितों के लिए चावल दान करने लगें.

कैसे दान दिया जा रहा चावल?

यूं तो राइस बकेट चैलेंज की शुरुआत काफी पहले हो गई थी, लेकिन इसे समय-समय पर...

पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ अपनी बातें शेयर करने के लिए नहीं हो रहा है, बल्कि इसके जरिए कई तरह के चैलेंज भी चलते हैं. कुछ तो लोगों के फायदे के लिए होते हैं तो कुछ सिर्फ मौज-मस्ती के लिए, जैसे आईस बकेट चैलेंज, फिटनेट चैलेंज. वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी होते हैं, जो जानलेवा होते हैं, जैसे ब्लू व्हेल चैलेंज, मोमो चैलेंज और कीकी चैलेंज. लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा चैलेंज सामने आया है, जो केरल बाढ़ के पीड़ितों को मदद पहुंचा रहा है. यानी यहां आप एक-दूसरे को चैलेंज करेंगे और वहां गरीब और बेघर लोगों की मदद हो जाएगी. चलिए जानते हैं इस चैलेंज के बारे में.

ये चैलेंज केरल बाढ़ के पीड़ितों को मदद पहुंचा रहा है.

राइस बकेट चैलेंज

जी हां, इसका नाम है राइस बकेट चैलेंज. यानी चावल दान देने का चैलेंज. इसके तहत आपको कुछ चावल दान देना होता है और दूसरों को भी ये चैलेंज देना होता है कि वो चावल दान करें. यानी एक ऐसा चैलेंज, जिससे बहुत से गरीब और बेघर लोगों को मदद मिलेगी. जिन लोगों के आशियाने बाढ़ की भेंट चढ़ चुके हैं, जो सर छुपाने के लिए सरकार के सहारे हैं, आपके इस चैलेंज में हिस्सा लेने भर से उन्हें पेट भर खाना मिल सकेगा.

जहां एक ओर इन दिनों पूरे देश में कीकी चैलेंज चल रहा है और लोग चलती गाड़ी से उतर कर डांस करने के चक्कर में चोट खा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. यूं तो अभी यह मदद सिर्फ केरल की एक कंपनी की तरफ से की जा रही है, लेकिन हैरानी की बात नहीं होगी अगर धीरे-धीरे ये चैलेंज पूरे देश में फैल जाए और देश के हर कोने से लोग केरल बाढ़ के पीड़ितों के लिए चावल दान करने लगें.

कैसे दान दिया जा रहा चावल?

यूं तो राइस बकेट चैलेंज की शुरुआत काफी पहले हो गई थी, लेकिन इसे समय-समय पर अलग-अलग ऑर्गेनाइजेशन चलाते रहते हैं. केरल के ही तिरुवनंतपुरम में सामाजिक कार्य करने वाला प्रतिध्वनि नाम का एक समूह है, जो टेक्नोपार्क कंपनी का हिस्सा है. इसने अपने सभी कर्मचारियों से कहा है कि वे राइस बकेट चैलेंज में हिस्सा लें और 5-5 किलो चावल केरल बाढ़ के पीड़ितों के लिए दान में दें. इसके अलावा, ऐसा करने के लिए 5 लोगों के चैलेंज भी दें, ताकि अधिक से अधिक चावल जमा किया जा सके.

प्रतिध्वनि ग्रुप के आईटी प्रोफेशनल्स राइस बकेट चैलेंज में हिस्सा ले रहे हैं.

किसने शुरू किया था ये चैलेंज?

ये बात करीब 4 साल पहले की है, जब दुनिया भर में आईस बकेट चैलेंज खूब चल रहा था. लोग बर्फीला ठंडा पानी अपने ऊपर डालते थे और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे थे. जहां एक ओर हर किसी ने इस चैलेंज में मौज-मस्ती देखी, वहीं हैदराबाद की 38 साल की एक पत्रकार मंजु लता कलानिधि को ये पानी की बर्बादी लगा. उन्होंने आईस बकेट चैलेंज को काउंटर करते हुए 23 अगस्त 2014 को राइस बकेट चैलेंज नाम का एक फेसबुक पेज बनाकर इसकी शुरुआत कर दी. महज एक दिन में ही इस पर करीब 7000 लाइक आ गए थे और आज की तारीख में इस पेज पर करीब 61 हजार लाइक हैं और पेज वेरिफाइड भी है. पहली बार 24 अगस्त 2014 #ricebucketchallenge हैशटैग की शुरुआत हुई थी.

इस चैलेंज की शुरुआत मंजु लता कलानिधि ने 2014 में की थी.

राइस बकेट चैलेंज में लोगों को किसी गरीब को चावल दान देना होता था और उसकी तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया पर डालनी होती थी. उस समय ये चैलेंज भी सोशल मीडिया पर खूब चला था. तब से लेकर अब तक ये चैलेंज समय-समय पर चलता रहता है. मंजु लता एक एनजीओ के साथ मिलकर केरल के बाढ़ पीड़ितों के लिए भी राइस बकेट चैलेंज का कैंपेन चला रही हैं, जिसके तहत पूरे देश से कोई भी डोनेट कार्ट के जरिए केरल बाढ़ पीड़ितों के लिए चावल दान कर सकता है.

केरल में कई दिनों से हो रही भारी बारिश की वजह से करीब 37 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इडुक्की जिले के इडुक्की बांध के गेट खोले गए हैं. आर्मी, एयरफोर्स और एनडीआरएफ की टीमें मिलकर लोगों को बचाने में लगी हुई हैं, लेकिन कुदरत के कहर के सामने सारी कोशिशें बौनी साबित होती जा रही हैं. ऐसी मुसीबत की घड़ी में देश के सभी लोगों का फर्ज बनता है कि वो केरल की बाढ़ से बेघर हुए लोगों की मदद करें और इस राइस बकेट चैलेंज को स्वीकार करते हुए अन्य लोगों को भी ये चैलेंज दें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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