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सिकुड़ रहा है ISIS का कुनबा

    • आईचौक
    • Updated: 16 जुलाई, 2016 01:30 PM
  • 16 जुलाई, 2016 01:30 PM
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लगातार कब्जे वाले क्षेत्र में और फण्ड में हो रही कमी को देखते हुए ISIS अपना प्रभाव दिखाने के लिए और ज्यादा आक्रामक हो सकता है

भले ही आज पूरा विश्व ISIS को अपने लिए बड़ा खतरा मान रही हो, विश्व में हो रहे किसी भी आतंकवादी हमले पर शक की सुई ISIS की तरफ मुड़ती हो, मगर सच यह है कि ISIS कमजोर पड़ रहा है. ISIS का गढ़ माने जाने वाले सीरिया और इराक में ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र में लगातार कमी आ रही है.

एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2016 से जुलाई 2016 के दौरान ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र में 12 फीसदी की कमी आई है. जुलाई के महीने में ही इराकी सेना ने अल कायरह एयरबेस, जो इराक का सबसे बड़ा एयरबेस है, से ISIS का सफाया किया है, ऐसा माना जा रहा है की इस एयरबेस को ISIS के कब्जे से मुक्त कराना सेना की बड़ी सफलता है. दो साल पहले ISIS ने यहां कब्ज़ा जमा लिया था.

7 महीनों में ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र 12% कम हो गए हैं

एक अध्य्यन के अनुसार जहाँ 2016 कि शुरुआत में ISIS ने इराक और सीरिया के 78000 किलोमीटर के दायरे में अपना कब्ज़ा जमाया हुआ था, वो अब घटकर 68,300 किलोमीटर के दायरे में सिमट गया है.

हाल के कुछ महीनों में ISIS से जुड़े बड़े नेताओं के मारे जाने से भी ISIS कमजोर हो रहा है. पिछले कुछ महीनों में मारे गए ISIS के बड़े नेताओं में फधील अहमद अल हयाली, ओमर अल सिसहनी, अब्द अल रहमान मुस्तफा, फथल बेन, जिहादी जॉन जैसे नाम शामिल हैं, जिसमें कोई संघटन से फण्ड से जुड़े काम देखता था तो किसी को बग़दादी का उत्तराधिकारी माना जाता था. वही समय समय पर ISIS के मुखिया अबु बकर अल बग़दादी के भी मारे जाने की सूचना आती रहती है. वही अमेरिका द्वारा चलाए जा रहे अभियान से भी ISIS को काफी क्षति पहुंची है. अमेरिकी दावों के अनुसार अमेरिका द्वारा अगस्त 2014 से अब तक किये गए 13000 हवाई हमलों में 25000 से...

भले ही आज पूरा विश्व ISIS को अपने लिए बड़ा खतरा मान रही हो, विश्व में हो रहे किसी भी आतंकवादी हमले पर शक की सुई ISIS की तरफ मुड़ती हो, मगर सच यह है कि ISIS कमजोर पड़ रहा है. ISIS का गढ़ माने जाने वाले सीरिया और इराक में ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र में लगातार कमी आ रही है.

एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2016 से जुलाई 2016 के दौरान ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र में 12 फीसदी की कमी आई है. जुलाई के महीने में ही इराकी सेना ने अल कायरह एयरबेस, जो इराक का सबसे बड़ा एयरबेस है, से ISIS का सफाया किया है, ऐसा माना जा रहा है की इस एयरबेस को ISIS के कब्जे से मुक्त कराना सेना की बड़ी सफलता है. दो साल पहले ISIS ने यहां कब्ज़ा जमा लिया था.

7 महीनों में ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र 12% कम हो गए हैं

एक अध्य्यन के अनुसार जहाँ 2016 कि शुरुआत में ISIS ने इराक और सीरिया के 78000 किलोमीटर के दायरे में अपना कब्ज़ा जमाया हुआ था, वो अब घटकर 68,300 किलोमीटर के दायरे में सिमट गया है.

हाल के कुछ महीनों में ISIS से जुड़े बड़े नेताओं के मारे जाने से भी ISIS कमजोर हो रहा है. पिछले कुछ महीनों में मारे गए ISIS के बड़े नेताओं में फधील अहमद अल हयाली, ओमर अल सिसहनी, अब्द अल रहमान मुस्तफा, फथल बेन, जिहादी जॉन जैसे नाम शामिल हैं, जिसमें कोई संघटन से फण्ड से जुड़े काम देखता था तो किसी को बग़दादी का उत्तराधिकारी माना जाता था. वही समय समय पर ISIS के मुखिया अबु बकर अल बग़दादी के भी मारे जाने की सूचना आती रहती है. वही अमेरिका द्वारा चलाए जा रहे अभियान से भी ISIS को काफी क्षति पहुंची है. अमेरिकी दावों के अनुसार अमेरिका द्वारा अगस्त 2014 से अब तक किये गए 13000 हवाई हमलों में 25000 से भी ज्यादा ISIS सैनिक मारे गए हैं.

ये भी पढ़ें- ISIS का कम्यूनिकेशन नेटवर्क ‘डीकोड’

 दूसरे देशों से मिलने वाले चंदे पर निर्भर है ISIS

फण्ड की कमी से भी जूझ रहा है ISIS

ISIS के लिए अमेरिका द्वारा इराक के तेल कुओं का नष्ट करना भी महंगा पड़ रहा है, जहां तेल कुओं के नष्ट होने से संगठन की होने वाली आय में एक तिहाई से ज्यादा की कमी आई है, वहीं अब इसे अपने खर्चों के लिए मुख्य रूप से दूसरे देशों से मिलने वाले चंदे पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

कई देश लगे है सफाए में

इराक में अमेरिका के हवाई हमलों में साथ देने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जॉर्डन जैसे देश शामिल हैं. तो वहीं सीरिया में अमेरिका का साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, फ्रांस, जॉर्डन, सऊदी, टर्की, AE और K दे रहें हैं. इसके अलावा रूस भी ISIS के खात्मे का अभियान चला रहा है.

और खतरनाक हो सकता है ISIS

लगातार कब्जे वाले क्षेत्र में और फण्ड में हो रही कमी को देखते हुए ISIS अपना प्रभाव दिखाने के लिए और ज्यादा आक्रामक हो सकता है. ऐसे में विश्व भर में हो ISIS समर्थित हमलों में तेजी देखी जा सकती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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