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भारत का हर चौथा भिखारी मुस्लिम है, लेकिन...

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 29 जुलाई, 2016 09:50 PM
  • 29 जुलाई, 2016 09:50 PM
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2011 की जनगणना को गौर से समझें तो भारत में हर चार में से एक भिखारी मुसलमान है. लेकिन, यदि इनकी संख्‍या देखें तो ये 92 हजार से कुछ ज्‍यादा हैं. तो क्‍या कोई समाधान नहीं हो सकता?

एक खबर बार-बार अपनी ओर ध्यान खींच रही है. इसमें बताया जा रहा है कि भारत में हर चार में से एक भिखारी मुसलमान है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक Every 4th person categorised as ‘beggar’ in India is Muslim यानि भारत में हर चौथा भिखारी मुसलमान है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल 3.72 लाख भिखारी हैं. जिसमें से 25 प्रतिशत भिखारी मुस्लिम हैं. जबकि 72.2 प्रतिशत भिखारी हिंदू हैं. डाटा के मुताबिक देश के कुल भिखारियों में महिलाएं कम हैं जबकि मुस्लिम भिखारियों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

 मुस्लिम भिखारियों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

इन आंकड़ों बनी खबर निश्चित ही चौंकाती हैं. लेकिन इस समस्‍या का समाधान क्‍या वाकई बहुत कठिन है? कुल 3.72 लाख भिखारियों में से 92,760 मुस्लिम हैं. ये आंकड़ा बड़ा तो है लेकिन डरावना नहीं.

ये भी पढ़ें- 4 लाख भिखारी हैं, एक शहर ही बसा दीजिए मोदी जी!

भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. पिछली जनगणना के मुताबिक देश में मुस्लिमों की कुल जनसंख्या...

एक खबर बार-बार अपनी ओर ध्यान खींच रही है. इसमें बताया जा रहा है कि भारत में हर चार में से एक भिखारी मुसलमान है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक Every 4th person categorised as ‘beggar’ in India is Muslim यानि भारत में हर चौथा भिखारी मुसलमान है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल 3.72 लाख भिखारी हैं. जिसमें से 25 प्रतिशत भिखारी मुस्लिम हैं. जबकि 72.2 प्रतिशत भिखारी हिंदू हैं. डाटा के मुताबिक देश के कुल भिखारियों में महिलाएं कम हैं जबकि मुस्लिम भिखारियों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

 मुस्लिम भिखारियों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

इन आंकड़ों बनी खबर निश्चित ही चौंकाती हैं. लेकिन इस समस्‍या का समाधान क्‍या वाकई बहुत कठिन है? कुल 3.72 लाख भिखारियों में से 92,760 मुस्लिम हैं. ये आंकड़ा बड़ा तो है लेकिन डरावना नहीं.

ये भी पढ़ें- 4 लाख भिखारी हैं, एक शहर ही बसा दीजिए मोदी जी!

भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. पिछली जनगणना के मुताबिक देश में मुस्लिमों की कुल जनसंख्या 17.22 करोड़ है. ऐसे में सरकार पर मुस्लिम समाज को नजरंदाज करने के आरोप भी लगाए जाते हैं और उनकी बदहाली के लिए उन्हें जिम्मेदार भी ठहराया जाता है. लेकिन अगर मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए काम करने वाले लोग, जैसे कि समाज सेवी संस्थाएं, मुस्लिम समाज के नेता, एनजीओ और सरकार के लिए तो 92,760 एक ऐसी संख्या है जिसपर अगर सही दिशा में काम किया जाए तो ये संख्या कुछ अरसे में 0 भी की जा सकती है.

देश के 25 प्रतिशत भिखारी मुस्लिम हैं

भीख मांगने वाले इन 92,760 लोगों में से बहुत से विकलांग होंगे तो बहुत से ऐसे भी जो हाथ-पैरों से ठीक होंगे. विकलांग लोगों को उनके हिसाब से वोकेशनल ट्रेनिंग दी जा सकती है. जो पढ़े लिखे नहीं हैं उन्हें कोई काम सिखाया जा सकता है जिससे वो कमाकर खाने के लिए प्रेरित हों. जो पढ़े लिखे हैं उनको उनकी शिक्षा के मुताबिक काम मुहैया करवाया जाए, और जो कुछ नहीं कर सकते उनके लिए ऐसे संस्थाएं भी हैं जो आजीवन उनका ध्यान रख सकती हैं. देखा जाए तो इस संख्या को इन्हीं वर्गों के आधार पर बांटा जाए और हर वर्ग पर पुनर्वास के लिए सकारात्मक काम किया जाए तो बिलकुल मुमकिन है कि भारत का कोई भी मुसलमान भीख मांगता नजर नहीं आएगा.

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मुस्लिम नेता जो राजनीति में अपना करियर बना रहे हैं उनके, और पूरे समाज के लिए तो ये गर्व की बात होगी अगर उन्होंने हिंदुस्तान के इन मजबूर लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने में मदद की. पर ये तब ही होगा जब वो खुद को बाकी कौमी मुद्दों से फारिग कर पाएं.

देखा जाए तो ये हैडलाइन फ्लॉप है, जो बताती है कि भारत का हर चौथा भिखारी मुस्लिम है. कौतूहल पैदा करने और भारत में एक खास समाज की स्थिति को और भी बदतर दिखाने के लिए ये मुस्लिम शब्द का सिर्फ इस्तेमाल करती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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