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Blood platelets में कमी का मतलब सिर्फ डेंगू नहीं

    • आईचौक
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2018 12:23 PM
  • 15 अक्टूबर, 2018 12:23 PM
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ऐसा जरूरी नहीं कि Blood platelets की कमी का मतलब डेंगू ही हो. शरीर में कई कारणों से इसकी कमी हो सकती है और मरीज को कमजोरी से लेकर किसी खतरनाक बीमारी तक बहुत कुछ हो सकता है.

भारत में एक बार फिर से बीमारियों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. वैसे तो ये कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीमारियों के नाम नए हो गए हैं और उनके मरीज भी साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. इन दिनों वैसे तो जीका वायरस का खतरा भी भारत में फैल रहा है पर एक और बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वो है ब्लड प्लैटिलेट (Blood platelets) काउंट कम होने वाले मरीज. आम तौर पर जब शरीर में ब्लड प्लैटिलेट कम होते हैं तो मरीजों को डेंगू का डर सताता है, क्योंकि डेंगू का ये अहम लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि Blood platelets की कमी का मतलब डेंगू ही हो. शरीर में कई कारणों से इसकी कमी हो सकती है और मरीज को कमजोरी से लेकर किसी खतरनाक बीमारी तक बहुत कुछ हो सकता है.

क्या है Blood platelets की कमी ?

Blood platelets की कमी दरअसल अपने आप में एक बीमारी है जिसे Thrombocytopenia कहते हैं. इस बीमारी में खून में मौजूद प्लैटिलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. प्लैटिलेट्स पार्दर्शी सेल होते हैं जो हमारे खून में मिले होते हैं और ये बहुत मदद करते हैं शरीर में बीमारियों को रोकने में. इन्हीं के कारण किसी चोट के लगने पर ब्लड क्लॉट हो जाता है.

ब्लड प्लैटिलेट्स की कमी के तीन अहम कारण हो सकते हैं.

Thrombocytopenia बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है. हालांकि, जरूरी नहीं कि अगर प्लैटिलेट्स की कमी हो तो Thrombocytopenia ही हो. इसका कारण कुछ दवाएं भी हो सकती हैं जिन्हें पहले लिया गया हो या फिर ये भी हो सकता है कि शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम में कोई समस्या हो. कैंसर के मरीजों के शरीर में भी प्लैटिलेट्स की कमी होती है. प्लैटिलेट काउंट जब बहुत कम हो जाता है तब शरीर के अंदरूनी हिस्से में ब्लीडिंग होने लगती है और इंसान को बहुत कमजोरी लगती है. अगर जरा भी शक हो तो...

भारत में एक बार फिर से बीमारियों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. वैसे तो ये कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीमारियों के नाम नए हो गए हैं और उनके मरीज भी साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. इन दिनों वैसे तो जीका वायरस का खतरा भी भारत में फैल रहा है पर एक और बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वो है ब्लड प्लैटिलेट (Blood platelets) काउंट कम होने वाले मरीज. आम तौर पर जब शरीर में ब्लड प्लैटिलेट कम होते हैं तो मरीजों को डेंगू का डर सताता है, क्योंकि डेंगू का ये अहम लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि Blood platelets की कमी का मतलब डेंगू ही हो. शरीर में कई कारणों से इसकी कमी हो सकती है और मरीज को कमजोरी से लेकर किसी खतरनाक बीमारी तक बहुत कुछ हो सकता है.

क्या है Blood platelets की कमी ?

Blood platelets की कमी दरअसल अपने आप में एक बीमारी है जिसे Thrombocytopenia कहते हैं. इस बीमारी में खून में मौजूद प्लैटिलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. प्लैटिलेट्स पार्दर्शी सेल होते हैं जो हमारे खून में मिले होते हैं और ये बहुत मदद करते हैं शरीर में बीमारियों को रोकने में. इन्हीं के कारण किसी चोट के लगने पर ब्लड क्लॉट हो जाता है.

ब्लड प्लैटिलेट्स की कमी के तीन अहम कारण हो सकते हैं.

Thrombocytopenia बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है. हालांकि, जरूरी नहीं कि अगर प्लैटिलेट्स की कमी हो तो Thrombocytopenia ही हो. इसका कारण कुछ दवाएं भी हो सकती हैं जिन्हें पहले लिया गया हो या फिर ये भी हो सकता है कि शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम में कोई समस्या हो. कैंसर के मरीजों के शरीर में भी प्लैटिलेट्स की कमी होती है. प्लैटिलेट काउंट जब बहुत कम हो जाता है तब शरीर के अंदरूनी हिस्से में ब्लीडिंग होने लगती है और इंसान को बहुत कमजोरी लगती है. अगर जरा भी शक हो तो इस समस्या का इलाज जरूर करवाना चाहिए. ये बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है और ये समस्या बहुत गंभीर है.

कैसे पता करें कि प्लैटिलेट काउंट कम है?

इसे पता लगाने का तरीका ब्लड टेस्ट ही है. एक स्वस्थ्य इंसान में 140,000 से 450,000 प्लैटिलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होते हैं. अगर प्लैटिलेट 140,000 से कम हैं तो यकीनन शरीर में कुछ चल रहा है और डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. क्योंकि ब्लड प्लैटिलेट्स शरीर में रिपेयर टिशू होते हैं इसलिए जरूरी है कि इनकी कमी को ठीक किया जाए.

क्यों होता है ये?

इसके होने के तीन कारण हो सकते हैं.

1. शरीर में इन्फेक्शन है..

शरीर में किसी तरह का कोई इन्फेक्शन होता है जैसे अनीमिया, वायरल इन्फेक्शन, डेंगू, विटामिन की कमी आदि तो ब्लड प्लैटिलेट्स का बनना कम हो जाता है. ब्लड टेस्ट से ये पता चल सकता है कि शरीर में किस तरह का इन्फेक्शन हो रहा है.

2. किसी कारण प्लैटिलेट खत्म हो रहे हों..

ये हो सकता है कि किसी कारण प्लैटिलेट्स खत्म हो रहे हों. जैसे हैवी दवा के कारण, प्रेग्नेंसी के कारण, स्प्लीन से जुड़ी बीमारी के कारण. पाचन तंत्र में खराबी के कारण. किसी अन्य बीमारी के कारण जो शरीर में लग गई हो.

3. किसी गंभीर बीमारी के कारण...

गंभीर बीमारी जैसे कैंसर या दिल की बीमारी में ली जाने वाली दवाइयां भी ब्लड प्लैटिलेट्स के कम होने का कारण बनती है. ऐसे में जो दवाएं ली जाती हैं वो खून को पतला करती हैं और इस कारण शरीर में प्लैटिलेट्स की कमी हो जाती है.

क्या होते हैं लक्षण...

- शरीर में जगह-जगह नील पड़ जाना. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की कोशिकाओं में ब्लड प्लैटिलेट्स की कमी के कारण ब्लीडिंग होने लगती है.

- दांतों और मसूढ़ों से खून निकलना.

- यूरीन से खून निकलना.

- स्प्लीन का साइज बढ़ जाना.

- कोशिकाओं का स्किन के ऊपर दिखने लग जाना.

- नाक से खून निकलना.

- पीरियड्स में बहुत ज्यादा खून निकलना.

- कमजोरी होना.

अगर इसमें से कोई भी लक्षण दिख रहा है तो यकीनन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. डॉक्टर मरीज के ब्लड टेस्ट के मुताबिक इलाज बता सकता है. प्लैटिलेट्स की कमी अगर सही समय पर पकड़ ली गई तो बीमारियों की गुंजाइश कम हो सकती है, लेकिन अगर इसमें देरी हो गई तो समस्या और बढ़ सकती है. कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि अगर किसी भी तरह की समस्या समझ आ रही है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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