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कोई चंद्रमा की जमीन बेचे तो खरीदने वाले भी इसी दुनिया में हैं!

    • आईचौक
    • Updated: 17 जनवरी, 2019 10:31 PM
  • 17 जनवरी, 2019 10:27 PM
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चांद पर अपना घर हो ये ख्याल किसे अच्छा नहीं लगेगा. लेकिन इसे बनाने की जल्दी में कुछ लोग गलती कर गए. चांद पर जमीन खरीदकर कुछ लोगों ने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली.

आप सभी ने शायद वो विज्ञापन देखा हो जिसमें म्यूचुअल फंड्स को मार्केट रिस्क कहा जाता है. ये कि बजार जोखिमों के अधीन इन्वेस्टमेंट में सोचकर ही निवेश करना चाहिए. पर कई बार ज्यादा फायदे के चक्कर में हम ज्यादा परेशानी में पहुंच जाते हैं. नुकसान सिर्फ म्यूचुअल फंड्स में नहीं होता कई बार ये नुकसान जमीन खरीदने में भी हो जाता है. क्या आप जानते हैं कि कई लोग चांद पर जमीन खरीद रहे हैं?

ये ट्रेंड शुरुआत में शाहरुख खान ने शुरू किया था जिन्होंने कहा था कि उनका एक ऑस्ट्रेलियन फैन उनके हर जन्मदिन पर उनके लिए चंद्रमा पर जमीन का छोटा सा हिस्सा खरीद लेता है. दूसरे सेलेब थे सुशांत सिंह राजपूत जिनके बारे में खबर आई थी कि उन्होंने चंद्रमा पर जमीन खरीद ली है.

पर सिर्फ बॉलीवुड के सेलेब्स ही नहीं हैं जिन्हें लगता है कि चांद पर जमीन खरीदना सही है. पुने की एक महिला ने भी चांद पर घर का सपना देखा और उसके चक्कर में वो 50 हज़ार का नुकसान करवा बैठी. राधिका डाटे वैकर के लिए ये सपना बहुत महंगा साबित हुआ. उन्होंने 2005 में ये जमीन खरीदी थी और अब जाकर उन्हें पता चला है कि उनके साथ ठगी हो गई थी.

कैसे खरीदी जमीन?

राधिका का कहना है कि उन्होंने ये जमीन एक टेलिविजन विज्ञापन को देखकर खरीदी थी. राधिका ने विज्ञापन देखने के बाद कंपनी को कॉल किया और कंपनी वालों ने राधिका को अकाउंट डिटेल्स भेज दीं. उन्होंने 50 हज़ार ट्रांसफर किए और कंपनी की तरफ से एक लेटर आया जिसमें लिखा था कि अब वो चांद पर 1 एकड़ जमीन की मालकिन हैं.

अब राधिका ने फिर से हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके देखा और उस कंपनी के सभी हेल्पलाइन नंबर बंद हो चुके हैं. राधिका अब अपने बेटे की पढ़ाई के लिए वो पैसा वापस चाहती हैं और पुने सिटी पुलिस से संपर्क करना चाहती हैं कि उन्हें उनके पैसे वापस दिलाए जाएं.

राधिका का केस सुनकर बेहद अजीब लगता है. आखिर कैसे कोई इतनी आसानी से बिना जांच-परख किए चांद पर जमीन खरीदने के लिए पैसे दे सकता है?

आप सभी ने शायद वो विज्ञापन देखा हो जिसमें म्यूचुअल फंड्स को मार्केट रिस्क कहा जाता है. ये कि बजार जोखिमों के अधीन इन्वेस्टमेंट में सोचकर ही निवेश करना चाहिए. पर कई बार ज्यादा फायदे के चक्कर में हम ज्यादा परेशानी में पहुंच जाते हैं. नुकसान सिर्फ म्यूचुअल फंड्स में नहीं होता कई बार ये नुकसान जमीन खरीदने में भी हो जाता है. क्या आप जानते हैं कि कई लोग चांद पर जमीन खरीद रहे हैं?

ये ट्रेंड शुरुआत में शाहरुख खान ने शुरू किया था जिन्होंने कहा था कि उनका एक ऑस्ट्रेलियन फैन उनके हर जन्मदिन पर उनके लिए चंद्रमा पर जमीन का छोटा सा हिस्सा खरीद लेता है. दूसरे सेलेब थे सुशांत सिंह राजपूत जिनके बारे में खबर आई थी कि उन्होंने चंद्रमा पर जमीन खरीद ली है.

पर सिर्फ बॉलीवुड के सेलेब्स ही नहीं हैं जिन्हें लगता है कि चांद पर जमीन खरीदना सही है. पुने की एक महिला ने भी चांद पर घर का सपना देखा और उसके चक्कर में वो 50 हज़ार का नुकसान करवा बैठी. राधिका डाटे वैकर के लिए ये सपना बहुत महंगा साबित हुआ. उन्होंने 2005 में ये जमीन खरीदी थी और अब जाकर उन्हें पता चला है कि उनके साथ ठगी हो गई थी.

कैसे खरीदी जमीन?

राधिका का कहना है कि उन्होंने ये जमीन एक टेलिविजन विज्ञापन को देखकर खरीदी थी. राधिका ने विज्ञापन देखने के बाद कंपनी को कॉल किया और कंपनी वालों ने राधिका को अकाउंट डिटेल्स भेज दीं. उन्होंने 50 हज़ार ट्रांसफर किए और कंपनी की तरफ से एक लेटर आया जिसमें लिखा था कि अब वो चांद पर 1 एकड़ जमीन की मालकिन हैं.

अब राधिका ने फिर से हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके देखा और उस कंपनी के सभी हेल्पलाइन नंबर बंद हो चुके हैं. राधिका अब अपने बेटे की पढ़ाई के लिए वो पैसा वापस चाहती हैं और पुने सिटी पुलिस से संपर्क करना चाहती हैं कि उन्हें उनके पैसे वापस दिलाए जाएं.

राधिका का केस सुनकर बेहद अजीब लगता है. आखिर कैसे कोई इतनी आसानी से बिना जांच-परख किए चांद पर जमीन खरीदने के लिए पैसे दे सकता है?

एक गूगल सर्च करेंगे तो कई कंपनियों की लिस्ट सामने आएगी जो चांद पर जमीन बेचने की बात करती हैं.

एक इंटरनेट सर्च आपके सामने ऐसी कई कंपनियों के नाम लेकर आएगी जो चांद पर जमीन खरीदने और यहां तक कि मंगल पर जमीन खरीदने की बात भी करते हैं. पर इन सब कंपनियों पर पैसा लगाने से पहले ये जान लेना चाहिए कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है?

अंतरिक्ष किसी की प्रॉपर्टी नहीं

चांद पर एक घर हो ये ख्याल शायद कहीं फिल्मी गीतों में सुना होगा, लेकिन असलियत इससे कोसों दूर है. ये सही है कि चंद्रमा पर जमीन खरीदने वाले दुनिया में कई लोग हैं, लेकिन क्या ये असलियत है या फिर सिर्फ हम अपने दिल को बहला रहे हैं?

चांद पर जमीन खरीदना कानूनी तौर पर मान्य नहीं है

अगर आप भी चंद्रमा पर जमीन खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो ये जान लीजिए कि ये भारत में गैरकानूनी है. जी हां, गैर कानूनी. ये असल में आउटर स्पेस ट्रीटी (Outer Space Treaty) के कारण हो रहा है. ये ट्रिटी 104 देशों द्वारा 1967 में साइन की गई थी इसमें भारत भी एक देश था.

इसके मुताबिक अंतरिक्ष किसी भी देश या किसी इंसान के अधीन नहीं आता. इसमें चांद, सितारे और अन्य अंतरिक्ष की वस्तुएं शामिल हैं. कोई भी इंसान इसमें अपना दावा नहीं कर सकता है. अब यकीनन चांद पर प्रॉपर्टी खरीदने की बात सुनना बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन असलियत तो कोसों दूर होती है.

तो उन लोगों का क्या जो जमीन खरीद चुके हैं?

उनके लिए चांद पर जमीन खरीदना और कुछ नहीं बल्कि सिर्फ एक कागज के टुकड़े के लिए बहुत सारे पैसे देने जैसा है. उनके पास और कुछ नहीं है सिवाए एक सर्टिफिकेट के. न तो वो अपनी जमीन का निरीक्षण करने जा सकते हैं न ही किसी तरह से वहां पर रह सकते हैं. बस ये सोचकर ही खुश होते रहिए कि आपके पास चांद पर एक जमीन है.

आखिर क्यों सरकार कुछ नहीं करती इसके बारे में?

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी नई दिल्ली, की लीगल स्टडीज की प्रोफेसर डॉक्टर स्टेलिना जॉली कहती हैं कि सरकार इसपर कोई कदम नहीं उठाना चाहती. कारण ये है कि इस तरह की डील्स का कोई भी कानूनी प्रमाण नहीं होता है और इसे दुनिया का कोई भी देश नहीं मानेगा. चाहें चांद पर जमीन भारतीय कंपनी से खरीदी हो या किसी और देश की कंपनी से लेकिन इसकी मान्यता नहीं होगी. अगर कानूनी तौर पर ये वैध्य नहीं है तो सरकार लोगों की गलती को लेकर कोई कदम नहीं उठा सकती है.

जो लोग भी जमीन बेच रहे हैं वो मालिक नहीं हैं. अगर कोई मालिक नहीं है तो फिर वो कैसे किसी को जमीन बेच सकता है. ये तो सोचने वाली बात है कि न ही इसके लिए कोई कानून है, न ही कानून की जरूरत क्योंकि चांद पर या किसी अन्य ग्रह पर इंसान इतनी आसानी से नहीं पहुंच सकता है.

ऐसे में किसी भी ऐसी बात पर यकीन करना सही नहीं है. उम्मीद है कि लोग ये सोचेंगे कि उन्हें कहां निवेश करना है कहां नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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