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उरी से बड़ा Pulwama attack, देश मांगे और बड़ी सर्जिकल स्‍ट्राइक!

    • आईचौक
    • Updated: 14 फरवरी, 2019 06:55 PM
  • 14 फरवरी, 2019 06:18 PM
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पुलवामा में आत्‍मघाती हमले (Pulwama IED terror attack) में 30 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए गए हैं. और करीब 50 के घायल होने की खबर है. जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकी ने विस्‍फोटकों से भरे वाहन के जरिए ये फिदाइन हमला किया है.

देश एक तरफ सबसे बड़े चुनाव की तैयारी कर रहा है, कश्‍मीर में आतंकियों ने अपना काम कर दिया है. 2016 में एक फिदाइन हमले में उरी में आतंकियों ने सेना के 17 जवानों को मौत के घाट उतार दिया था. कुछ-कुछ वैसी ही वारदात गुरुवार को पुलवामा में हुई. (Pulwama IED terror attack). जम्‍मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले में आतंकियों ने विस्‍फोटकों से भरी कार घुसा दी. 30 जवानों के शहीद होने की खबर आ रही है. और ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. सेना को ज्‍यादा से ज्‍यादा नुकसान पहुंचाने के लिए ये हमला काफिले के बीच में चल रहे वाहन को निशाना बनाकर किया गया.

हमले के तुरंत बाद जैश-ए-मोहम्‍मद की ओर से कथित रूप से उस आतंकी का वीडियो जारी किया गया है, जिसे फिदाइन हमलावर बताया जा रहा है. कश्‍मीर में फिदाइन हमलों में किसी वाहन का इस्‍तेमाल बम की तरह संभवत: पहली बार किया गया है.

कैसे किया Pulwama IED terror attack

आतंकियों ने CRPF पर हमले के लिए काफी पहले से तैयार की थी. उनके पास काफिले के गुजरने की पहले से जानकारी थी. सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने हमले के लिए एक एसयूवी का इस्‍तेमाल किया है. उसमें विस्‍फोटक लगाने के लिए कुछ सीटें भी हटाईं. जब सीआरपीएफ का काफिला वहां से गुजरा तो उन्‍होंने कुछ ट्रक और बसें गुजर जाने दीं. और उस बस पर हमला किया, जिसमें सबसे ज्‍यादा जवान सवार थे. बताया जा रहा है कि जिस बस में आतंकी ने एसयूवी घुसाई, उसमें 39 जवान बैठे थे.

कौन है आतंकी अादिल अहमद डार

जैश ने इस हमले के लिए जिस कश्‍मीरी युवक को कथित रूप से चुना, उसका नाम अादिल अहमद डार बताया जा रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इंटेलिजेंस एजेंसी को इस आतंकी के बारे में शुरुआती जानकारी मिल गई है. उसे कहां ले जाकर ब्रेनवॉश किया गया. उसका ब्रेनवॉश करने के पीछे किसका हाथ था. खबरें तो यहां तक हैं कि इसे आदिल को ब्रेनवॉश करने के लिए अफगानिस्‍तान ले जाया गया...

देश एक तरफ सबसे बड़े चुनाव की तैयारी कर रहा है, कश्‍मीर में आतंकियों ने अपना काम कर दिया है. 2016 में एक फिदाइन हमले में उरी में आतंकियों ने सेना के 17 जवानों को मौत के घाट उतार दिया था. कुछ-कुछ वैसी ही वारदात गुरुवार को पुलवामा में हुई. (Pulwama IED terror attack). जम्‍मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले में आतंकियों ने विस्‍फोटकों से भरी कार घुसा दी. 30 जवानों के शहीद होने की खबर आ रही है. और ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. सेना को ज्‍यादा से ज्‍यादा नुकसान पहुंचाने के लिए ये हमला काफिले के बीच में चल रहे वाहन को निशाना बनाकर किया गया.

हमले के तुरंत बाद जैश-ए-मोहम्‍मद की ओर से कथित रूप से उस आतंकी का वीडियो जारी किया गया है, जिसे फिदाइन हमलावर बताया जा रहा है. कश्‍मीर में फिदाइन हमलों में किसी वाहन का इस्‍तेमाल बम की तरह संभवत: पहली बार किया गया है.

कैसे किया Pulwama IED terror attack

आतंकियों ने CRPF पर हमले के लिए काफी पहले से तैयार की थी. उनके पास काफिले के गुजरने की पहले से जानकारी थी. सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने हमले के लिए एक एसयूवी का इस्‍तेमाल किया है. उसमें विस्‍फोटक लगाने के लिए कुछ सीटें भी हटाईं. जब सीआरपीएफ का काफिला वहां से गुजरा तो उन्‍होंने कुछ ट्रक और बसें गुजर जाने दीं. और उस बस पर हमला किया, जिसमें सबसे ज्‍यादा जवान सवार थे. बताया जा रहा है कि जिस बस में आतंकी ने एसयूवी घुसाई, उसमें 39 जवान बैठे थे.

कौन है आतंकी अादिल अहमद डार

जैश ने इस हमले के लिए जिस कश्‍मीरी युवक को कथित रूप से चुना, उसका नाम अादिल अहमद डार बताया जा रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इंटेलिजेंस एजेंसी को इस आतंकी के बारे में शुरुआती जानकारी मिल गई है. उसे कहां ले जाकर ब्रेनवॉश किया गया. उसका ब्रेनवॉश करने के पीछे किसका हाथ था. खबरें तो यहां तक हैं कि इसे आदिल को ब्रेनवॉश करने के लिए अफगानिस्‍तान ले जाया गया था.

 

आदिल अहमद डार ने आत्‍मघाती हमले को अंजाम दिया, जिसमें CRPF के 30 जवान शहीद हुए हैं. अभी भी कई जवान मौत से लड़ रहे हैं.

Pulwama attack के पीछे कश्‍मीरी सियासत का दोष

कश्‍मीर के राजनीतिक दलों और अलगाववादी तंजीमों को आतंकियों के लिए खाद पानी बताया जा रहा है. कश्‍मीर में राष्‍ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद से नेशनल कान्‍फ्रेंस और पीडीपी लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रही हैं. खासतौर पर घाटी में आतंकियों के खिलाफ चल रहे सेना के ऑपरेशन को लेकर. इंडिया टुडे के शो पर बात करते हुए जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि यदि कश्‍मीर के राजनीतिक दल आतंकियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक रवैया नहीं रखते, तो शायद उनका इतना मनोबल नहीं बढ़ता.

Pulwama attack पर खून खौल उठा देश का

जम्मू-कश्मीर में जवानों के काफिले पर हमला करने वाला ये आतंकी संगठन पाकिस्तानी है और इस पाकिस्तानी संगठन ने कई बार भारत में आतंक फैलाने की कोशिश की है. सेना के 18 जवान शहीद हो गए हैं और अभी भी पूरी जानकारी सामने नहीं आई है. ऐसे में किसी भी भारतीय का खून खौलना वाजिब है. ट्विटर पर जिस तरह के रिएक्शन आ रहे हैं उन्हें देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत एक और सर्जिकल स्ट्राइक चाहता है.

लोग यही चाहते हैं कि पाकिस्तान से बदला लिया जाए. एक और सर्जिकल स्ट्राइक हो जो वहां मौजूद आतंकियों को सबक सिखा सके.

न सिर्फ आम लोग बल्कि नेताओं ने भी इस अटैक पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है. ये हमला न सिर्फ हमारी सेना पर हुआ है बल्कि हर भारतीय के दिल पर भी हुआ है. लेकिन कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसमें भी राजनीति ढूंढ ली. वे इस हमले के लिए मोदी सरकार को जिम्‍मेदार बताते हुए कह रहे हैं कि यह राष्‍ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का नतीजा है.

कांग्रेस MLA रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस हमले की निंदा की है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस हमले की निंदा की है. और इसकी तुलना 2004-05 के आतंकवाद वाले दिनों से की है.

अब्दुल्लाह ने 2004-05 के दिन याद किए जब इसी संगठन का आतंक कश्मीर में चरम पर था.

कश्मीर के मामले में ट्विटर पर वीडियो शेयर होने लगे हैं.

ये वीडियो बताता है कि हमला कितना खतरनाक था. अभी भी कई जवान घायल हैं और इस मामले में शहीदों की संख्या बढ़ सकती है.

न सिर्फ वीडियो बल्कि तस्वीरें भी इस आतंकी हमले के खौफ की गवाही दे रही हैं.

गुजरात से अहमद पटेल ने भी इस हमले की निंदा की है.

हमले को कायरता बताते हुए अहमद पटेल ने भी इस हमले की निंदा की है.

पर नेता सिर्फ निंदा ही कर सकते हैं. इसी बीच आम जनता कश्मीर के इस हमले की सिर्फ निंदा नहीं कर रही बल्कि एक्शन लेने की मांग कर रही है. जनता को लगता है कि कश्मीर मामले में उन्हें एक और सर्जिकल स्ट्राइक चाहिए.

ट्विटर पर लगभग हर जगह से ऐसी ही ट्वीट्स आ रही हैं जो कह रही हैं कि कश्मीर के हमले का बदला लेना जरूरी है.

ये हमला वाकई निंदनीय है और इस तरह के हमले को लेकर मोदी सरकार को कड़े से कड़ा कदम उठाना चाहिए. हर गुजरते मिनट के साथ शहीदों की संख्या भी बढ़ती चली जा रही है और पूरा देश जवानों के लिए दुआएं मांग रहा है. इस हाल में शहीदों को याद कर मोदी सरकार से कड़े कदम की उम्मीद रखना गलत नहीं होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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