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नेताओं का 'हिंदू कार्ड', लोगों को लुभाने के लिए किए जा रहे सारे जतन

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 09 जनवरी, 2018 05:54 PM
  • 09 जनवरी, 2018 05:54 PM
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जो ट्रेंड कांग्रेस के राहुल गांधी ने शुरू किया, उसे अब दूसरी पार्टियों के नेता भी अपनाने लगे हैं. हिंदुओं को रिझाने के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं.

चुनावी मौसम आते ही जनता की 'परवाह' करने वाले नेता भी सामने आने लगते हैं. वो तरह-तरह के काम करते हुए यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें जनता की बहुत फिक्र है. चुनावी मौसम में हिंदुओं और मुस्लिमों को रिझाने के लिए भी तरह-तरह के जतन शुरू हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही पिछले कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है. हाल ही में गुजरात चुनाव के दौरान एक ट्रेंड देखने को मिला कि नेता हिंदुओं को लुभाने के लिए काफी कुछ कर रहे थे. जो ट्रेंड कांग्रेस के राहुल गांधी ने शुरू किया, उसे अब दूसरी पार्टियों के नेता भी अपनाने लगे हैं. राहुल गांधी के बाद दिग्विजय सिंह उनके पदचिन्हों पर चले और अब लग रहा है कि वही रास्ता ममता बनर्जी ने भी चुन लिया है.

टीएमसी ने बांटी भागवत गीता

सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की तरफ से पश्चिम बंगाल के बीरभूम में एक ब्राह्मण सम्मेलन कराया गया. इसमें पार्टी की ओर से 8000 पुरोहितों को गीता और उपहार दिए गए. जहां एक ओर इस कार्यक्रम में ममता बनर्जी के करीबी कहे जाने वाले अनुब्रत मंडल ने भाजपा पर निशाना साधा, वहीं भाजपा ने टीएमसी के इस कदम को मुस्लिम तुष्टिकरण के बाद अब हिंदुओं का तुष्टीकरण करने की कोशिश कहा है. टीएमसी का कहना है कि वह हिंदू धर्म को लेकर भाजपा की तरफ से फैलाए गए भ्रम को दूर करने की कोशिश कर रही है. राजनीति में किसी एक धर्म के लोगों को लुभाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाना कोई नई बात नहीं है. कभी हिंदू तो कभी मुस्लिम जनता को वोटबैंक की तरह खूब इस्तेमाल किया जाता है. भाजपा शुरुआत से ही हिंदू छवि वाली पार्टी रही है, लेकिन अब अन्य पार्टियां भी हिंदुओं के प्रति अपनी छवि सुधारने में लगी हुई हैं.

कांग्रेस ने पकड़ा 'भगवा' झंडा

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी छवि को बदलने के लिए भगवा झंडा उठा लिया है. पूर्व...

चुनावी मौसम आते ही जनता की 'परवाह' करने वाले नेता भी सामने आने लगते हैं. वो तरह-तरह के काम करते हुए यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें जनता की बहुत फिक्र है. चुनावी मौसम में हिंदुओं और मुस्लिमों को रिझाने के लिए भी तरह-तरह के जतन शुरू हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही पिछले कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है. हाल ही में गुजरात चुनाव के दौरान एक ट्रेंड देखने को मिला कि नेता हिंदुओं को लुभाने के लिए काफी कुछ कर रहे थे. जो ट्रेंड कांग्रेस के राहुल गांधी ने शुरू किया, उसे अब दूसरी पार्टियों के नेता भी अपनाने लगे हैं. राहुल गांधी के बाद दिग्विजय सिंह उनके पदचिन्हों पर चले और अब लग रहा है कि वही रास्ता ममता बनर्जी ने भी चुन लिया है.

टीएमसी ने बांटी भागवत गीता

सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की तरफ से पश्चिम बंगाल के बीरभूम में एक ब्राह्मण सम्मेलन कराया गया. इसमें पार्टी की ओर से 8000 पुरोहितों को गीता और उपहार दिए गए. जहां एक ओर इस कार्यक्रम में ममता बनर्जी के करीबी कहे जाने वाले अनुब्रत मंडल ने भाजपा पर निशाना साधा, वहीं भाजपा ने टीएमसी के इस कदम को मुस्लिम तुष्टिकरण के बाद अब हिंदुओं का तुष्टीकरण करने की कोशिश कहा है. टीएमसी का कहना है कि वह हिंदू धर्म को लेकर भाजपा की तरफ से फैलाए गए भ्रम को दूर करने की कोशिश कर रही है. राजनीति में किसी एक धर्म के लोगों को लुभाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाना कोई नई बात नहीं है. कभी हिंदू तो कभी मुस्लिम जनता को वोटबैंक की तरह खूब इस्तेमाल किया जाता है. भाजपा शुरुआत से ही हिंदू छवि वाली पार्टी रही है, लेकिन अब अन्य पार्टियां भी हिंदुओं के प्रति अपनी छवि सुधारने में लगी हुई हैं.

कांग्रेस ने पकड़ा 'भगवा' झंडा

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी छवि को बदलने के लिए भगवा झंडा उठा लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पत्नी अमृता दोनों ही 3300 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा पर पैदल ही चल पड़े हैं. करीब 1600 किलोमीटर की परिक्रमा वह पूरी भी कर चुके हैं. करीब 3 महीने से दिग्विजय सिंह न तो किसी गाड़ी में बैठे हैं, ना ही कोई राजनीतिक बयान दिया है. बस भगवा झंडा हाथ में लिए परिक्रमा कर रहे हैं. उनके इस कदम का हिंदू संगठन तो स्वागत कर ही रहे हैं, भाजपा भी उनका विरोध नहीं कर पा रही है. उनका कहना है- 'हमें तो भगवा ध्वज से मतलब है कोई भी उठाए.' हिंदुओं के बीच अपनी छवि को बदलने के लिए कांग्रेस का ये कदम अपना असर भी दिखा रहा है, जिससे भाजपा को टेंशन हो रही है.

जनेऊधारी राहुल

गुजरात चुनाव के दौरान हिंदुओं को खुश करने के लिए राहुल गांधी ने कई मंदिरों में माथा टेका. अपनी छवि सुधारने की कांग्रेस की यह कोशिश रंग भी लाई. गुजरात चुनाव में भले ही भाजपा जीत गई, लेकिन कांग्रेस ने पीएम मोदी के गढ़ में जाकर उन्हें जैसी टक्कर दी, उससे भाजपा को तगड़ा झटका लगा. चुनाव प्रचार के दौरान जब राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. वहां पर गैर हिंदू लोगों के लिए रखे गए रजिस्टर में राहुल गांधी का नाम होने को लेकर सियासी घमासान मच गया था. मामला इतना बढ़ा कि इसे लेकर कांग्रेस को राहुल गांधी की कुछ जनेऊधारी तस्वीरें भी जारी करनी पड़ीं. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- राहुल गांधी सिर्फ हिंदू नहीं, बल्कि जनेऊधारी हिंदू हैं. खुद को हिंदुओं के पक्ष में दिखाने में कांग्रेस सफल तो रही, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाई.

भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही हिंदु छवि वाली पार्टी रही है. अब भाजपा ने देश के 19 राज्यों में अपनी सरकार बना ली है. ऐसे में अन्य पार्टियां भी अपनी छवि को हिंदुमय करना चाहती हैं, ताकि उसका चुनावी फायदा उठा सकें. खैर, ये सिर्फ कांग्रेस या टीएमसी नहीं हैं जो हिंदुओं को लुभाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रही हैं, बल्कि खुद भाजपा भी ऐसे कई काम कर चुकी है. कभी गाय का मुद्दा उठाना तो कभी गंगा का, भाजपा भी अपने तरीके से हिंदुओं को लुभाती है, लेकिन दूसरों पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती है. देखा जाए तो हर राजनीतिक पार्टी अपने हिसाब से अलग-अलग धर्मों के लोगों को लुभाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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