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जिसकी वजह से ये ठंड दोबारा लौटी है, उसका भी तो हाल देख लीजिए

    • आईचौक
    • Updated: 02 फरवरी, 2019 06:33 PM
  • 02 फरवरी, 2019 06:33 PM
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अमेरिका के कुछ हिस्से इस वक्त अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडे हैं. इसका कारण है पोलर वोर्टेक्स जिसका असर भारत पर भी हो रहा है.

ये सभी जानते हैं कि दुनिया का सबसे बर्फीला और ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिका है. उस जगह की आबादी बहुत कम है, लेकिन अगर अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडे घनी आबादी वाले शहर होने लगें तो? कुछ ऐसा ही हाल हो रहा है अमेरिका और कनाडा का. नॉर्थ अमेरिका महाद्वीप की हालत ऐसी है कि उसके कुछ रिहायशी हिस्से अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडे हो गए हैं. आलम ये है कि अमेरिका में लोग कनेडियन कोट के लिए चोरी कर रहे हैं क्योंकि वो अमेरिकी कोट के मुकाबले ज्यादा ठंडे होते हैं.

सोशल मीडिया पर लोगों ने एक-एक कर अपने फोटो-वीडियो शेयर करने शुरू कर दिए हैं जो बताते हैं कि वहां कितनी ठंड है.

क्यों पड़ रही है इतनी ठंड?

अमेरिका में अति में सर्दी पड़ने का कारण है पोलर वोर्टेक्स (polar vortex) इसे अंटार्कटिका ब्लास्ट भी कह सकते हैं. ये अक्सर ध्रुवीय क्षेत्रों में होता है, जहां हवा का दबाव कम रहता है और आस-पास की हवा इस कम दबाव वाले इलाके में बेहद ठंडी हो जाती है. गर्मियों में ये ढीला पड़ जाता है और सर्दियों में जानलेवा हो जाता है. वोर्टेक्स का मतलब है काउंटर-क्लाकवाइज यानी दक्षिणावर्त की ओर बहती हवाओं का दबाव जो ध्रुवीय इलाके के माहौल को बेहद ठंडा कर देता है. सर्दियों में कई बार ये हवाएं अपना क्षेत्र बढ़ा लेती हैं और ये दूसरे क्षेत्र की ओर बढ़ जाती हैं.

शिकागो में लेक मिशिगन पूरी तरह से जम गया है

यही कारण है कि इनके रास्ते में आने वाले शहर, देश सभी भयंकर ठंड की चपेट में आ जाते हैं. यही हो रहा है अमेरिका के साथ जहां शिकागो और आस-पास के इलाकों का तापमान -30 से -50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. 1977, 1982, 1985, 1989, 2014 जैसे कई पोलर वोर्टेक्स अमेरिका के लिए बर्दाश्त से बाहर ठंड लेकर आए हैं और यही हो रहा है 2019 में भी.

ये ऐसी...

ये सभी जानते हैं कि दुनिया का सबसे बर्फीला और ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिका है. उस जगह की आबादी बहुत कम है, लेकिन अगर अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडे घनी आबादी वाले शहर होने लगें तो? कुछ ऐसा ही हाल हो रहा है अमेरिका और कनाडा का. नॉर्थ अमेरिका महाद्वीप की हालत ऐसी है कि उसके कुछ रिहायशी हिस्से अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडे हो गए हैं. आलम ये है कि अमेरिका में लोग कनेडियन कोट के लिए चोरी कर रहे हैं क्योंकि वो अमेरिकी कोट के मुकाबले ज्यादा ठंडे होते हैं.

सोशल मीडिया पर लोगों ने एक-एक कर अपने फोटो-वीडियो शेयर करने शुरू कर दिए हैं जो बताते हैं कि वहां कितनी ठंड है.

क्यों पड़ रही है इतनी ठंड?

अमेरिका में अति में सर्दी पड़ने का कारण है पोलर वोर्टेक्स (polar vortex) इसे अंटार्कटिका ब्लास्ट भी कह सकते हैं. ये अक्सर ध्रुवीय क्षेत्रों में होता है, जहां हवा का दबाव कम रहता है और आस-पास की हवा इस कम दबाव वाले इलाके में बेहद ठंडी हो जाती है. गर्मियों में ये ढीला पड़ जाता है और सर्दियों में जानलेवा हो जाता है. वोर्टेक्स का मतलब है काउंटर-क्लाकवाइज यानी दक्षिणावर्त की ओर बहती हवाओं का दबाव जो ध्रुवीय इलाके के माहौल को बेहद ठंडा कर देता है. सर्दियों में कई बार ये हवाएं अपना क्षेत्र बढ़ा लेती हैं और ये दूसरे क्षेत्र की ओर बढ़ जाती हैं.

शिकागो में लेक मिशिगन पूरी तरह से जम गया है

यही कारण है कि इनके रास्ते में आने वाले शहर, देश सभी भयंकर ठंड की चपेट में आ जाते हैं. यही हो रहा है अमेरिका के साथ जहां शिकागो और आस-पास के इलाकों का तापमान -30 से -50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. 1977, 1982, 1985, 1989, 2014 जैसे कई पोलर वोर्टेक्स अमेरिका के लिए बर्दाश्त से बाहर ठंड लेकर आए हैं और यही हो रहा है 2019 में भी.

ये ऐसी कंडीशन भी नहीं जो पृथ्वी की सतह के करीब हो. पोलर वोर्टेक्स असल में स्ट्रेटोस्फियर के पास होते हैं. यानी पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर ऊपर.

क्या ये सिर्फ अमेरिका में परेशान कर रहा है?

नहीं ये सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं है. यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में भी पोलर वोर्टेक्स का असर है और ये उन कई कारणों में से एक है जो बताते हैं कि इस साल सर्दी ज्यादा क्यों पड़ रही है.

जहां तक इसके असर की बात है तो ये कहना मुश्किल रहता है कि आखिर किस इलाके में कितनी ज्यादा ठंड पड़ेगी. जरा सोचिए कि अगर आपके शहर में ऐसे हालात हो जाएं कि 0 से ऊपर 24 घंटे में एक बार भी तापमान न जाए और साथ ही साथ ऐसा कई दिनों तक लगातार रहे तो क्या हाल होगा? कुछ ऐसा ही हो रहा है अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी.

भारत में भी ठंड पर असर-

उत्तर अमेरिका और यूरोप के कई हिस्सों में बेहद ठंड है और इसका असर कुछ हद तक भारत में भी हो रहा है. यही वजह है कि बार-बार ठंड लौट कर वापस आ रही है. भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि यही आर्कटिक ब्लास्ट वजह है भारत की सर्दियों की. इस साल दिल्ली में दिसंबर-जनवरी पिछले 13 सालों के मुकाबले सबसे ठंडे रहे. फरवरी आने तक जहां मौसम गुनगुनी धूप वाला हो जाता है अभी भी भारत में बर्फीली हवाएं चल रही हैं.

सोशल मीडिया पर भी ठंड का प्रकोप-

अमेरिका में इतनी ठंड है कि लोग सोशल मीडिया पर वीडियो और फोटो शेयर करने लगे है. ठंड के हालात ये हैं कि लोग अगर घर के बाहर बाल सुखाएं तो बाल हवा में ही जम जा रहे हैं. यकीन नहीं होता तो ये वीडियो देख लीजिए-

गर्म पानी को हवा में उछाल रहे हैं तो वो सीधे बर्फ बन जा रहा है. ऐसा अक्सर ध्रुवीय इलाकों में होता था, लेकिन अब अमेरिका में भी हो रहा है.

साबुन के गुब्बारे बनाने पर उनकी हालत क्या होती है ये इस वीडियो में देख लीजिए.

लोग ठंड को लेकर काफी क्रिएटिव हो गए हैं और अपने कपड़ों का कुछ इस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि आलम क्या है. इस जगह लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं और बाहर निकलते हैं तो भी बहुत जरूरत पड़ने पर. पर इतनी ठंड के बाद भी लोगों का जज्बा कम नहीं हुआ और वो बेहद जिंदादिली से अपना काम कर रहे हैं. अब कम से कम अपने शहर की सर्दी थोड़ी कम लगने लगी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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