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PNB से लोन तो प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी लिया था...

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 21 फरवरी, 2018 06:09 PM
  • 21 फरवरी, 2018 06:09 PM
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जिस पीएनबी के एक ग्राहक नीरव मोदी ने उसे 11,400 करोड़ रुपए की चपत लगा दी है, उसी बैंक के ग्राहक लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग भी थे, जिन्होंने एक आम आदमी की तरह बैंक की पाई-पाई चुकाई.

नीरव मोदी - विजय माल्‍या जैसों की चमक धमक, पार्टियां और आस-पास मंडराती खूबसूरत लड़कियां लोगों को भी उसके जैसा बनने के लिए प्रेरित कर सकती हैं. लेकिन शॉर्टकट से कमाई गई ऐसी शोहरत अंदर से एक दम खोखली होती है, जो एक न एक दिन इसी खोखलेपन की वजह से चकनाचूर हो जाती है. इसके बाद नीरव मोदी जैसे लोग अखबारों की सुर्खियां बन जाते हैं और हर ओर थू-थू होने लगती है. इन दिनों न सिर्फ नीरव मोदी की थू-थू हो रही है, बल्कि पीएनबी बैंक को भी लोग ऐसी नजर से देख रहे हैं कि उसमें पैसा रखना सुरक्षित नहीं है. यहां तक कि बैंक को इसे लेकर नोटिस तक लगाना पड़ गया है.

पेंशन से चुकाई लोन की किस्त

जिस पीएनबी के एक ग्राहक नीरव मोदी ने उसे 11,400 करोड़ रुपए की चपत लगा दी है, उसी बैंक के ग्राहक लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग भी थे. किसी को पता नहीं है कि नीरव मोदी बैंक के 11,400 करोड़ रुपए चुकाएंगे या नहीं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के परिवार ने जिस तरह एक छोटा सा लोन चुकाया है, वह सबके लिए प्रेरणा है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अविजीत घोष ने शास्‍त्री जी के इस अनूठे कर्ज की स्‍टोरी की है. शास्‍त्री जी ने एक कार खरीदने के लिए पीएनबी से ही 5000 रुपए का लोन लिया था, जिसे उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन से चुकाया.

निजी कामों के लिए इस्तेमाल नहीं करते थे ऑफिस की कार

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री 1964 के दिनों को याद करते हुए बताते हैं- 'हम सेंट कोलंबस स्कूल एक तांगे से जाया करते थे. कभी-कभी हम स्कूल जाने के लिए पिताजी की ऑफिशियल कार का इस्तेमाल करते थे, जबकि वे निजी काम के लिए ऑफिस की कार का इस्तेमाल करने से रोकते थे. ऐसे में घर में यह बात उठी कि हमें एक कार खरीदनी...

नीरव मोदी - विजय माल्‍या जैसों की चमक धमक, पार्टियां और आस-पास मंडराती खूबसूरत लड़कियां लोगों को भी उसके जैसा बनने के लिए प्रेरित कर सकती हैं. लेकिन शॉर्टकट से कमाई गई ऐसी शोहरत अंदर से एक दम खोखली होती है, जो एक न एक दिन इसी खोखलेपन की वजह से चकनाचूर हो जाती है. इसके बाद नीरव मोदी जैसे लोग अखबारों की सुर्खियां बन जाते हैं और हर ओर थू-थू होने लगती है. इन दिनों न सिर्फ नीरव मोदी की थू-थू हो रही है, बल्कि पीएनबी बैंक को भी लोग ऐसी नजर से देख रहे हैं कि उसमें पैसा रखना सुरक्षित नहीं है. यहां तक कि बैंक को इसे लेकर नोटिस तक लगाना पड़ गया है.

पेंशन से चुकाई लोन की किस्त

जिस पीएनबी के एक ग्राहक नीरव मोदी ने उसे 11,400 करोड़ रुपए की चपत लगा दी है, उसी बैंक के ग्राहक लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग भी थे. किसी को पता नहीं है कि नीरव मोदी बैंक के 11,400 करोड़ रुपए चुकाएंगे या नहीं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के परिवार ने जिस तरह एक छोटा सा लोन चुकाया है, वह सबके लिए प्रेरणा है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अविजीत घोष ने शास्‍त्री जी के इस अनूठे कर्ज की स्‍टोरी की है. शास्‍त्री जी ने एक कार खरीदने के लिए पीएनबी से ही 5000 रुपए का लोन लिया था, जिसे उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन से चुकाया.

निजी कामों के लिए इस्तेमाल नहीं करते थे ऑफिस की कार

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री 1964 के दिनों को याद करते हुए बताते हैं- 'हम सेंट कोलंबस स्कूल एक तांगे से जाया करते थे. कभी-कभी हम स्कूल जाने के लिए पिताजी की ऑफिशियल कार का इस्तेमाल करते थे, जबकि वे निजी काम के लिए ऑफिस की कार का इस्तेमाल करने से रोकते थे. ऐसे में घर में यह बात उठी कि हमें एक कार खरीदनी चाहिए.'

परिवार में काफी विचार-विमर्श आखिर शास्‍त्री जी ने अपने विचार सचिव वीएस. वेंकटरमन से कार की कीमत आदि पता करने के लिए कहा. उस समय फिएट कार 12,000 रुपए की आती थी. लेकिन शास्त्री जी के बैंक खाते में सिर्फ 7000 रुपए ही थे. उन्होंने बाकी 5000 रुपए के लिए पंजाब नेशनल बैंक में कार लोन के लिए आवेदन किया. यह लोन आवेदन एक ही दिन में स्वीकार कर लिया गया. घर में कार तो आ गई, लेकिन 11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मौत हो गई. वे 1965 के भारत-पाक युद्ध के खात्‍मे पर बातचीत के लिए रूस के न्‍यौते पर ताशकंद गए थे. शास्‍त्री जी के निधन पत्नी ने पेंशन की रकम से पीएनबी का लोन चुकता किया.

ये है वो कार

जिस कार की बात यहां की जा रही है वह क्रीम कलर की 1964 मॉडल फिएट कार थी. नंबर भी बेहद खास था- DLE 6. फिलहाल इस कार को दिल्ली के 1, मोतीलाल नेहरू मार्ग पर स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में रखी गई है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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