• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

मोदी जी, अब राष्‍ट्रीय समस्‍या बन गया है PUBG गेम!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 29 जनवरी, 2019 08:37 PM
  • 29 जनवरी, 2019 08:37 PM
offline
बच्‍चों में ऑनलाइन गेम की लत को लेकर शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी पहुंची हैं. लेकिन, उन्‍होंने इस जटिल समस्‍या का जितनी सरलता से निदान बताया है, मामला उतना सरल है नहीं.

युवाओं में PBG जैसा ऑनलाइन गेम एक सनसनी है, तो उनके माता-पिता के लिए ये एक समस्‍या. बच्‍चों में इस गेम की लत को लेकर बात इतनी बढ़ गई है कि शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची है. दिल्ली में 'परीक्षा पर चर्चा' के दौरान एक महिला ने पीएम मोदी से कहा कि 9वीं में पढ़ने वाला उनका बेटा पहले पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन अब वह ऑनलाइन गेम्स में फंस गया है. इस पर पीएम ने चुटीले अंदाज में कहा- 'ये पबजी वाला है क्या? ये समस्या भी है, समाधान भी है, हम चाहें कि हमारे बच्चे तकनीक से दूर चले जाएं तो फिर वो एक प्रकार से पीछे जाना शुरू हो जाएंगे.'

कार्यक्रम में पीएम मोदी बच्चों और अभिभावकों को संबोधित कर रहे थे. जब PBG का जिक्र हुआ तो उन्‍होंने इसे पूरी तरह तकनीक से जोड़ते हुए बता दिया. और इस गेम को लेकर सवाल पूछने वाली महिला को तकनीक के फायदे-नुकसान समझा डाले. ये सब उस समय हो रहा है, जब गुजरात में इस गेम को बैन किया जा चुका है और जम्मू-कश्मीर में भी गेम को बैन करनी की मांग हो रही है. अब ये समझना जरूरी है कि PBG सिर्फ एक खेल नहीं रह गया, बल्कि कइयों की लत बन चुका है, या यूं कहें कि राष्‍ट्रीय समस्‍या.

प्रधानमंत्री मोदी ने माता-पिता को, बच्चों को तकनीक के सही इस्तेमाल के बारे में सिखाने की नसीहत भी दी. ये भी कहा कि कभी-कभी बच्चों से इस बात पर चर्चा करें कि इंटरनेट पर कौन से नए ऐप आए हैं तो बच्चों को लगेगा कि माता-पिता उनकी मदद कर सकते हैं. खैर, ये सब बातें कहने-सुनने में तो अच्छी हैं, लेकिन PBG कितनी खतरनाक चीज बन चुका है, ये वही माता-पिता जानते हैं. खासतौर पर उन्‍हें, जिनके बच्चों को इसकी लत लग गई है. बच्चे अक्सर अपनी इन आदतों को मां-बाप से छुपाते हैं और इसका खुलासा तब होता है जब उन्हें इसकी लत लग जाती है.

कुछ समय पहले ही जम्मू में एक फिटनेस ट्रेनर ऑनलाइन गेम के...

युवाओं में PBG जैसा ऑनलाइन गेम एक सनसनी है, तो उनके माता-पिता के लिए ये एक समस्‍या. बच्‍चों में इस गेम की लत को लेकर बात इतनी बढ़ गई है कि शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची है. दिल्ली में 'परीक्षा पर चर्चा' के दौरान एक महिला ने पीएम मोदी से कहा कि 9वीं में पढ़ने वाला उनका बेटा पहले पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन अब वह ऑनलाइन गेम्स में फंस गया है. इस पर पीएम ने चुटीले अंदाज में कहा- 'ये पबजी वाला है क्या? ये समस्या भी है, समाधान भी है, हम चाहें कि हमारे बच्चे तकनीक से दूर चले जाएं तो फिर वो एक प्रकार से पीछे जाना शुरू हो जाएंगे.'

कार्यक्रम में पीएम मोदी बच्चों और अभिभावकों को संबोधित कर रहे थे. जब PBG का जिक्र हुआ तो उन्‍होंने इसे पूरी तरह तकनीक से जोड़ते हुए बता दिया. और इस गेम को लेकर सवाल पूछने वाली महिला को तकनीक के फायदे-नुकसान समझा डाले. ये सब उस समय हो रहा है, जब गुजरात में इस गेम को बैन किया जा चुका है और जम्मू-कश्मीर में भी गेम को बैन करनी की मांग हो रही है. अब ये समझना जरूरी है कि PBG सिर्फ एक खेल नहीं रह गया, बल्कि कइयों की लत बन चुका है, या यूं कहें कि राष्‍ट्रीय समस्‍या.

प्रधानमंत्री मोदी ने माता-पिता को, बच्चों को तकनीक के सही इस्तेमाल के बारे में सिखाने की नसीहत भी दी. ये भी कहा कि कभी-कभी बच्चों से इस बात पर चर्चा करें कि इंटरनेट पर कौन से नए ऐप आए हैं तो बच्चों को लगेगा कि माता-पिता उनकी मदद कर सकते हैं. खैर, ये सब बातें कहने-सुनने में तो अच्छी हैं, लेकिन PBG कितनी खतरनाक चीज बन चुका है, ये वही माता-पिता जानते हैं. खासतौर पर उन्‍हें, जिनके बच्चों को इसकी लत लग गई है. बच्चे अक्सर अपनी इन आदतों को मां-बाप से छुपाते हैं और इसका खुलासा तब होता है जब उन्हें इसकी लत लग जाती है.

कुछ समय पहले ही जम्मू में एक फिटनेस ट्रेनर ऑनलाइन गेम के चक्कर में अपनी सुध-बुध तक खो बैठा, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाना पड़ा. ऐसे ही अमृतसर के दो निजी अस्पतालों में भी गेमिंग की लत के शिकार बच्चे भर्ती किए जाने की खबर आई थी. ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के मुताबिक भारत में करीब 12 करोड़ गेम खेलने वाले हैं और पिछले तीन सालों से इनकी संख्या में 30 फीसदी से भी अधिक की ग्रोथ देखी जा रही है. यहां आपको बता दें कि लॉ कमीशन ऑफ इंडिया की 276वीं रिपोर्ट के अनुसार भारत में गेमिंग इंडस्ट्री 2021 तक करीब 7100 करोड़ रुपए की हो जाएगी. मौजूदा समय में इसकी वैल्यू करीब 2570 करोड़ रुपए है. अब आप ही सोचिए, जिसमें इतना पैसा है, उसमें बहुत सारे लोग लगे हुए हैं, जो बच्चों को बिगाड़ने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दे रहे हैं.

गेम की लत लगना एक बीमारी

भले ही परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक ऑनलाइन गेम्स की लत पर पूछे सवाल को तकनीक से जोड़ दिया, लेकिन ऑनलाइन या वीडियो गेम्स की लत लगने को जून 2018 में WHO भी एक बीमारी मान चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज ICD में डिजिटल और वीडियो गेम की लत को मानसिक बीमारी की श्रेणी में रखा है. यूं ही नहीं भारत से लेकर दुनियाभर में इस लत से निपटने के लिए रीहैबिलिटेशन सेंटर बनाए गए हैं.

ये समझना जरूरी है कि PBG सिर्फ एक खेल नहीं रह गया, बल्कि कइयों की लत बन चुका है.

गेम की लत लगने पर दिखते हैं ये लक्षण

अगर किसी बच्चे या बड़े को गेम की लत लगती है तो सबसे पहले उसके व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है. इसके साथ-साथ कई लक्षण होते हैं, जिन्हें देखकर ये कहा जा सकता है कि उस शख्स को गेम की लत लग गई है.

- हर वक्त थकान और चिड़चिड़ापन.

- झूठ बोलने की आदत और बातें छुपाना.

- स्कूल से होमवर्क न करने की शिकायतें आना या ऑफिस में काम करने के बजाय सोने की शिकायत.

- आंखें लाल रहना और पीठ-कंधे आदि में दर्द रहना.

- लोगों से मिलने जुलने के बजाय अकेले में समय बिताना.

बहुत से बच्चे घर से निकलते हैं स्कूल जाने के लिए लेकिन उनकी मंजिल होती है नुक्कड़ के पास वाली गेम की दुकान. पूरा-पूरा दिन गेम खेलना किसी नशे से कम नहीं है. मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज के काउंसलिंग साइकोलॉजी की फैकल्टी बताते हैं कि ये कोई शराब या कोकीन के नशे जैसा नहीं है, जिसे एक मात्रा में लेने के बाद व्यक्ति रुके, बल्कि इसमें एक ऐसी आदत बन जाती है जिसमें गेम खेलते रहने का मन होता है और रुकना पसंद नहीं होता. ऐसे में कभी इंटरनेट या मोबाइल ना चले तो गुस्सा भी आता है.

ऑनलाइन गेम्स की लत लगना कितनी बड़ी समस्या है, इसका अंदाजा तो इसी बात से लगता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसे बीमारी मान चुका है. इससे निजात पाने के लिए देश-दुनिया में रीहैबिलिटेशन सेंटर खुले हैं. प्रधानमंत्री मोदी को तकनीक और गेमिंग की लत को अलग-अलग कर के देखना होगा, क्योंकि तकनीक बहुत कुछ देती है, लेकिन ऑनलाइन गेम्स देते बहुत कम हैं, और लेते बहुत ज्यादा हैं. कई बार तो इसकी लत लगने पर स्वभाव आक्रामक भी हो जाता है. ऐसे में ऑनलाइन गेम्स से होने वाले नुकसान को नजरअंदाज करना या उसे हल्के में लेना आगे चलकर बहुत भारी पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें-

जियो जानता है भारतीयों के दिलों तक पहुंचने का माध्यम 'ट्रेन' हैं

आम ट्रेन और बुलेट ट्रेन के लेट होने का फर्क जानिए...

Tata Harrier का भी वही हश्र हो सकता है, जो Hexa का हुआ!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲