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प्यारे देशवासियों! पीएम ने दीया जलाने को कहा है न कि 'जीया' खुश रहिये

    • अनु रॉय
    • Updated: 05 अप्रिल, 2020 03:51 PM
  • 05 अप्रिल, 2020 03:51 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनजर पीएम मोदी (PM Modi) ने 5 अप्रैल को लोगों को अपने अपने घरों में दीया या मोमबत्ती (Diya And Candles) जलाने को कहा है जिसका लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है जो कि कई मायनों में दुर्भाग्य पूर्ण है.

वो लोग जो बिल्ली के रास्ता काट देने पर रुक कर किसी और के उस रास्ते को क्रॉस करने का इंतज़ार करते हैं, कि कहीं उनके साथ कोई अपशगुन न हो जाए आज वो भी पीएम मोदी (Prime Minister narendra Modi) के दीया (Diya) जलाने वाली बात पर अंगुली उठा रहे हैं. इस पहल को अंधविश्वासी ठहरा रहें हैं. बहुत ख़ूब. सवाल उठाइए मगर कुछ सवालों के जवाब दीजिये.

क्या पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में एक बार भी कहा कि दीया जलाने से कोरोना ख़त्म हो जाएगा?

कैसे दीया जलाना हिंदुत्व को बढ़ावा देना हो गया?

क्या दीया या मोमबत्ती सिर्फ़ हिंदू जलाते हैं?

मोबाइल का टौर्च किस धर्म को दर्शाने लगा है?

लोग अगर एक साथ दीया और मोमबत्ती जलाते हैं तो शायद इससे सकारात्मक ऊर्जा मिले 

नहीं मतलब सच में, लगता है लोगों ने लॉजिक बेच खायें हैं. पीएम मोदी ने कहा कि देश एक-जुट है इस लड़ाई में इसलिए हम एक-एक दिया जलाएं या मोमबत्ती या टॉर्च. अब इसमें हिंदुत्व कहां से ढूंढ लाए आप? फिर ऊपर से ये कह रहें कि सरकार कोरोना के रोकथाम और देश के किसानों के लिए कुछ करने के बदले कभी थाली तो कभी ताली और अब दीया जलवा रही.

बॉस, सुनिए. सरकार की औक़ात में जो है वो कर रही है. पहली बात. इलाज हो रहा. आइसोलेशन सेंटर तैयार किए जा रहें हैं. ग़रीबों को खाना और राशन दिया जा रहा है. पुलिस एक कॉल पर लोगों की मदद के लिए पहुंच रही है.

किसानों की फसल बर्बाद न हो इसलिए खेती से जुड़ी दुकानें खोली जा रहीं हैं. ट्रकों को अपने गंतव्य तक भेजा जा रहा है. अब जितना बन सकता है उतना हो रहा है. क्या देश की आंतरिक स्वास्थ्य सुविधाओं के...

वो लोग जो बिल्ली के रास्ता काट देने पर रुक कर किसी और के उस रास्ते को क्रॉस करने का इंतज़ार करते हैं, कि कहीं उनके साथ कोई अपशगुन न हो जाए आज वो भी पीएम मोदी (Prime Minister narendra Modi) के दीया (Diya) जलाने वाली बात पर अंगुली उठा रहे हैं. इस पहल को अंधविश्वासी ठहरा रहें हैं. बहुत ख़ूब. सवाल उठाइए मगर कुछ सवालों के जवाब दीजिये.

क्या पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में एक बार भी कहा कि दीया जलाने से कोरोना ख़त्म हो जाएगा?

कैसे दीया जलाना हिंदुत्व को बढ़ावा देना हो गया?

क्या दीया या मोमबत्ती सिर्फ़ हिंदू जलाते हैं?

मोबाइल का टौर्च किस धर्म को दर्शाने लगा है?

लोग अगर एक साथ दीया और मोमबत्ती जलाते हैं तो शायद इससे सकारात्मक ऊर्जा मिले 

नहीं मतलब सच में, लगता है लोगों ने लॉजिक बेच खायें हैं. पीएम मोदी ने कहा कि देश एक-जुट है इस लड़ाई में इसलिए हम एक-एक दिया जलाएं या मोमबत्ती या टॉर्च. अब इसमें हिंदुत्व कहां से ढूंढ लाए आप? फिर ऊपर से ये कह रहें कि सरकार कोरोना के रोकथाम और देश के किसानों के लिए कुछ करने के बदले कभी थाली तो कभी ताली और अब दीया जलवा रही.

बॉस, सुनिए. सरकार की औक़ात में जो है वो कर रही है. पहली बात. इलाज हो रहा. आइसोलेशन सेंटर तैयार किए जा रहें हैं. ग़रीबों को खाना और राशन दिया जा रहा है. पुलिस एक कॉल पर लोगों की मदद के लिए पहुंच रही है.

किसानों की फसल बर्बाद न हो इसलिए खेती से जुड़ी दुकानें खोली जा रहीं हैं. ट्रकों को अपने गंतव्य तक भेजा जा रहा है. अब जितना बन सकता है उतना हो रहा है. क्या देश की आंतरिक स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में आपको जानकारी नहीं है कि हमारी स्थिति क्या है? अब धीरे-धीरे ही सही कोशिश की जा रही लेकिन आपको आंख मूंद कर विरोध करना है देश के प्रधानमंत्री मोदी का.

मैं ये नहीं करने वाली. मैं पहले भी सरकार को उसके सही कामों के लिए सराहती थी और नाकामयाबी पर कोसती आयी हूं. अब भी वही कर रही हूं. कोरोना को लेकर सरकार जितना कर रही उसकी सराहना करनी ही चाहिए. हमारे पास लिमिटेड रिसोर्स हैं उसमें जो हो रहा वो बेस्ट है. सरकार को यहां सिर्फ़ कोरोना नहीं ग़रीबी, भुखमरी और तब्लीग़ी जमात जैसी चीजों का भी सामना करना पड़ रहा है. तो अगर सराह नहीं सकते तो बकवास मत ही कीजिए. पर्फ़ेक्शन की उम्मीद करना मूर्खता है इस वक़्त में सरकार से.

और हां, नहीं जलाना हो दीया न जलाइए. मैंने नहीं बजाई थी ताली. लोगों को देखा और देख कर ख़ुश हुई. जो मन को न भाए वो न कीजिए. कोई ज़बरदस्ती करने पीएम मोदी नहीं आएंगे और भक्त लोग जो लॉजिक दे रहें कि दीया जलाने से कोरोना भाग जाएगा वो बकवास है.

दीया जलाना मुझे पसंद है और मैं जलाउंगी क्योंकि वो मुझे मेरे दादा जी के गांव की याद दिलाएगा. वहां अब भी हर दिन सांझ में घी या सरसों के तेल का दीया लोग जलाते हैं अपने दरवाज़े पर. ख़ुश रहिए. दीया जलाने को कहा है न कि जीया.

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