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महिलाओं के जीवन को इस एक तस्वीर से समझ लीजिए

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 16 मार्च, 2019 04:45 PM
  • 16 मार्च, 2019 04:45 PM
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एक बहुत ही पॉवरफुल तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. महिला के जीवन और उसके रोजमर्रा के छोट-बड़े संघर्षों को दिखा रही ये तस्वीर दूसरे ही पल उसके बेहद सशक्त होने का भी सबूत दे रही है.

कहते हैं एक तस्वीर 1000 शब्दों के बराबर होती है. हम और आप भले ही एक महिला के जीवन को शब्दों में बयां न कर पाएं लेकिन उसे एक फ्रेम में कैद जरूर कर सकते हैं.

एक बहुत ही पॉवरफुल पिक्चर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जिसे देखकर सिर्फ आगे बढ़ जाना न सिर्फ उस तस्वीर के साथ बल्कि हर महिला के साथ अन्याय होगा. एक महिला के जीवन और उसके रोजमर्रा के छोट-बड़े संघर्षों को दिखा रही ये तस्वीर दूसरे ही पल उसके बेहद सशक्त होने का भी सबूत दे रही है.

ये तस्वीर कैलीफोर्निया में रहने वाली चार बच्चों की एक मां जैज़माइन फुट्रेल की है. तस्वीर में दिख रहा है वो किस तरह इतने सारे रोल एकसाथ निभा रही हैं. वो खाना भी बना रही हैं, गोद में अपने 7 महीने के बच्चे को दूध भी पिला रही हैं, 7 साल का बेटे को होमवर्क में मदद कर रही हैं जो उनकी शर्ट खींच रहा है. और दो बच्चों का ध्यान भी रख रही हैं जो उनके पास ही बैठे खेल रहे हैं.

इस तस्वीर में क्या आपको अपने घर की महिला नजर नहीं आती?

ये तस्वीर उनके पति ने खींची थी. और उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर इसलिए किया जिससे बाकी माएं भी ये समझ सकें कि वो इन संघर्षों के साथ अकेले नहीं जूझ रही हैं. जैज़माइन एक ब्लॉगर हैं जो मातृत्व पर अपने विचार लोगों से बांटती हैं. वो पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी पीड़ित रही थीं. उनके पति भी कभी कभी सपोर्ट करने के लिए वो काम कर लेते हैं जो एक मां से ही अपेक्षित होते हैं. लेकिन हर महिला की तरह जैज़माइन भी संतुष्ट नहीं हैं. वो भी यही कहती हैं कि समाज पुरुषों से उम्मीद नहीं करता. पुरुषों को अपने ही बच्चे संभालने के लिए शायद कानून की जरूरत है.

अब जहां लोग इसे पसंद कर रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें इसमें भी खामी नजर आ रही है. कुछ लोगों का कहना है कि एक ही फ्रेम में...

कहते हैं एक तस्वीर 1000 शब्दों के बराबर होती है. हम और आप भले ही एक महिला के जीवन को शब्दों में बयां न कर पाएं लेकिन उसे एक फ्रेम में कैद जरूर कर सकते हैं.

एक बहुत ही पॉवरफुल पिक्चर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जिसे देखकर सिर्फ आगे बढ़ जाना न सिर्फ उस तस्वीर के साथ बल्कि हर महिला के साथ अन्याय होगा. एक महिला के जीवन और उसके रोजमर्रा के छोट-बड़े संघर्षों को दिखा रही ये तस्वीर दूसरे ही पल उसके बेहद सशक्त होने का भी सबूत दे रही है.

ये तस्वीर कैलीफोर्निया में रहने वाली चार बच्चों की एक मां जैज़माइन फुट्रेल की है. तस्वीर में दिख रहा है वो किस तरह इतने सारे रोल एकसाथ निभा रही हैं. वो खाना भी बना रही हैं, गोद में अपने 7 महीने के बच्चे को दूध भी पिला रही हैं, 7 साल का बेटे को होमवर्क में मदद कर रही हैं जो उनकी शर्ट खींच रहा है. और दो बच्चों का ध्यान भी रख रही हैं जो उनके पास ही बैठे खेल रहे हैं.

इस तस्वीर में क्या आपको अपने घर की महिला नजर नहीं आती?

ये तस्वीर उनके पति ने खींची थी. और उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर इसलिए किया जिससे बाकी माएं भी ये समझ सकें कि वो इन संघर्षों के साथ अकेले नहीं जूझ रही हैं. जैज़माइन एक ब्लॉगर हैं जो मातृत्व पर अपने विचार लोगों से बांटती हैं. वो पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी पीड़ित रही थीं. उनके पति भी कभी कभी सपोर्ट करने के लिए वो काम कर लेते हैं जो एक मां से ही अपेक्षित होते हैं. लेकिन हर महिला की तरह जैज़माइन भी संतुष्ट नहीं हैं. वो भी यही कहती हैं कि समाज पुरुषों से उम्मीद नहीं करता. पुरुषों को अपने ही बच्चे संभालने के लिए शायद कानून की जरूरत है.

अब जहां लोग इसे पसंद कर रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें इसमें भी खामी नजर आ रही है. कुछ लोगों का कहना है कि एक ही फ्रेम में ये सब कुछ कैद करना मुश्किल है इसलिए इसे जानबूझकर पोज़ किया गया है. तो माना कि ये जानबूझकर ली गई तस्वीर हो, पर इस बात को जरा भी नहीं नकारा जा सकता कि ये सारे काम वो महिला करती ही है. भले ही अलग-अलग समय पर करे, लेकिन करती तो वही है.

मां और पिता के काम अलग हो सकते हैं, लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी तो दोनों पर होनी चाहिए

ये तस्वीर हर महिला की तस्वीर है. फर्क बस इतना है कि सबके पति उनकी तस्वीरें नहीं लेते. और ज्यादातर तो ऐसे हैं जो न कामों को अहमियत देते हैं और न इन्हें करने वाली को. पुरुष इन बातों का लोड लेते ही नहीं है कि घर में क्या चल रहा है, किचिन में कौन सी चीच खत्म हो गई, बच्चे को टेस्ट में कितने नंबर मिले, बच्चे को सर्दी हो तो कौन सी दवाई दें. सामान्य सोच यही है कि ये काम तो महिलाओं के ही है, ये उन्हीं को करना चाहिए. घर संभालना, बच्चे संभालना, खाना बनाना, कपड़े धोना, साफ-सफाई करना, बर्तन धोना, बच्चों को पढ़ाना न जाने कितने ही काम औरत के जिम्मे होते हैं, लेकिन ये सारे काम एक महिला की जिंदगी में इतने नॉर्मल हैं कि इन्हें समाज ने गंभीरता से लेना ही बंद कर दिया है. 

पति जब ऑफिस से थके-हारे घर लौटते हैं, उसे सब कुछ रेडी मिलता है. चाय का प्याला हाथ में, खाना टेबल पर और बिस्तर लगा हुआ. पुरुषों के लिए घर जन्नत होता है. लेकिन उसे जन्नत बनाने के लिए एक महिला सुबह से शाम तक बस दौड़ती रहती है.

विज्ञान कहता है कि महिलाएं मल्टीटास्कर होती हैं यानी एक साथ कई काम कर सकती हैं. ये महिलाओं के लिए तारीफ की बात हो सकती है लेकिन ऐसी तस्वीरें पुरुषों के लिए शर्म की बात हैं, खासकर पिताओं के लिए. क्या महिलाएं इंसान न होकर मशीन हैं? महिला अगर एक मां भी हो और घर और बच्चों की जिम्मेदारी संभाल रही हो, तो पति को चाहिए कि कंधे से कंधा मिलाकर पत्नी का साथ दे. क्योंकि बच्चे अगर दोनों के हैं तो उन्हें बड़ा करना भी दोनों की ही जिम्मेदारी है. लेकिन ये कहने में जरा भी संकोच नहीं होता कि इस मामले में ज्यादातर पुरुष अपनी जिम्मेदारियों से भागते ही आए हैं और समाज चुप रहकर उन्हें सिर्फ बढ़ावा दे रहा है.

हालांकि ये तस्वीर हर घर की कहानी है, लेकिन ऐसी तस्वीरें सामने आती रहनी चाहिए क्योंकि ये समाज का आईना होती हैं, शायद इन्हें ही देखकर लोगों को शर्म आ जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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