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ज्यादा कमाने वाला पार्टनर धोखा तो दे सकता है लेकिन भारत में?

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 06 अप्रिल, 2017 09:17 PM
  • 06 अप्रिल, 2017 09:17 PM
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जो भी स्त्री या पुरुष अपने पार्टनर से ज्यादा कमाते हैं उनका साथी को धोखा देने का चांस ज्यादा है. खासकर तब, जब आपके साथी को लगता है कि उसे वो इज्जत नहीं मिल रही जिसका वो हकदार है.

अपने साथी को धोखा देना आज के समय में कोई बड़ी बात नहीं है. अगर आप भी चिंतित हैं और इस डर में हैं कि कहीं आपका साथी भी धोखा तो नहीं दे देगा. तो फिर इसका बड़ा कारण उसके पॉकेट से जुड़ा है. अगर आपको ये जानना है कि आपका पार्टनर आपके साथ धोखा तो नहीं करेगा तो सबसे पहले उसकी सैलेरी देखें.

जो भी स्त्री या पुरुष अपने पार्टनर से ज्यादा कमाते हैं उनका साथी को धोखा देने का चांस ज्यादा है. खासकर तब, जब आपके साथी को लगता है कि उसे वो इज्जत नहीं मिल रही जिसका वो हकदार है. कम कमाने वाले साथी को ज्यादा कमाने वाले साथी के प्रति कृतज्ञता और आभार का भाव रखना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर साथी धोखा दे सकता है.

भारत में आकर ये सर्वे ध्वस्त हो जाता है

लेकिन भारत में आते ही ये रिसर्च धाराशायी हो जाती है. हमारे यहां का सामाजिक ढांचा महिलाओं के घर संभालने और पुरुषों को पैसा कमाने की जिम्मेदारी देता है. इसमें जाहिर है महिलाएं हमेशा से ही कम या फिर नहीं कमाने वालों की लिस्ट में होंगी. लेकिन फिर भी हमारे यहां पर बेवफाई की घटनाओं की संख्या उतनी नहीं है जितनी पश्चिमी देशों में देखी जाती है.

यही नहीं 2014 में एशले मैडीसन ने एक सर्वे किया. 10 शहरों में किए गए इस सर्वे में 75,321 लोगों ने भाग लिया था जिसमें से 80 प्रतिशत विवाहित लोग थे. इस सर्वे में पाया गया कि 76 प्रतिशत महिलाओं और 61 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि बेवफाई या किसी और से रिश्ते रखना कोई पाप नहीं है. सर्वे में 81 प्रतिशत पुरुषों और 68 प्रतिशत महिलाओं ने यहां तक माना कि किसी और से अफेयर रखने का उनकी पारिवारिक जिंदगी पर एक पॉजिटिव ही असर हुआ है. यहां तक की कुछ केसों में अफेयर एक रिमांइडर की तरह काम करता है जिससे रिश्ते सुधारने की प्रेरणा मिलती है.

अपने साथी को धोखा देना आज के समय में कोई बड़ी बात नहीं है. अगर आप भी चिंतित हैं और इस डर में हैं कि कहीं आपका साथी भी धोखा तो नहीं दे देगा. तो फिर इसका बड़ा कारण उसके पॉकेट से जुड़ा है. अगर आपको ये जानना है कि आपका पार्टनर आपके साथ धोखा तो नहीं करेगा तो सबसे पहले उसकी सैलेरी देखें.

जो भी स्त्री या पुरुष अपने पार्टनर से ज्यादा कमाते हैं उनका साथी को धोखा देने का चांस ज्यादा है. खासकर तब, जब आपके साथी को लगता है कि उसे वो इज्जत नहीं मिल रही जिसका वो हकदार है. कम कमाने वाले साथी को ज्यादा कमाने वाले साथी के प्रति कृतज्ञता और आभार का भाव रखना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर साथी धोखा दे सकता है.

भारत में आकर ये सर्वे ध्वस्त हो जाता है

लेकिन भारत में आते ही ये रिसर्च धाराशायी हो जाती है. हमारे यहां का सामाजिक ढांचा महिलाओं के घर संभालने और पुरुषों को पैसा कमाने की जिम्मेदारी देता है. इसमें जाहिर है महिलाएं हमेशा से ही कम या फिर नहीं कमाने वालों की लिस्ट में होंगी. लेकिन फिर भी हमारे यहां पर बेवफाई की घटनाओं की संख्या उतनी नहीं है जितनी पश्चिमी देशों में देखी जाती है.

यही नहीं 2014 में एशले मैडीसन ने एक सर्वे किया. 10 शहरों में किए गए इस सर्वे में 75,321 लोगों ने भाग लिया था जिसमें से 80 प्रतिशत विवाहित लोग थे. इस सर्वे में पाया गया कि 76 प्रतिशत महिलाओं और 61 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि बेवफाई या किसी और से रिश्ते रखना कोई पाप नहीं है. सर्वे में 81 प्रतिशत पुरुषों और 68 प्रतिशत महिलाओं ने यहां तक माना कि किसी और से अफेयर रखने का उनकी पारिवारिक जिंदगी पर एक पॉजिटिव ही असर हुआ है. यहां तक की कुछ केसों में अफेयर एक रिमांइडर की तरह काम करता है जिससे रिश्ते सुधारने की प्रेरणा मिलती है.

पार्टनर को धोखा देना ठीक नहीं

सर्वे में 80 प्रतिशत जोड़ों की शादी अरेंज मैरेज थी. महिलाओं की औसत आयु 31 साल और पुरुषों के लिए 45 साल थी. इससे माना जा सकता है कि अरेंज मैरेज में जोड़ों के बीच शादी के बाहर भी संबंध रखना अब एक नॉर्मल चीज बनती जा रही है. इसमें 48 प्रतिशत महिलाओं ने पति-पत्नी के संबंधों में अंतरंग पलों और प्यार की कमी को मुख्य कारण बताया थो तो 36 प्रतिशत पुरुषों ने सेक्स ना होने को अपनी बेवफाई का कारण बताया.

हालांकि ऐसा नहीं है कि पार्टनर से चीटिंग करके लोगों को किसी तरह का मलाल नहीं होता. सर्वे में 64 प्रतिशत पुरुषों और 88 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि किसी गैर से रिश्ता रखने के बाद उन्हें खुद ही गिल्ट महसूस होता है. इस लिहाज से देखें तो हमारे देश में बेवफाई का संबंध साथी की सैलेरी से नहीं होता है.

हालांकि बेवफाई किसी भी सूरत में न्यायसंगत नहीं है लेकिन फिर भी इसके आंकड़े समाज में इनकी मौजूदगी की गवाही देते हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि बुरे वक्त का इंतजार करने से अच्छा है रिश्ते को बनाकर रखने में ही ध्यान दे लें. क्या पता बेवफाई की टेंशन लेने का मौका ही ना आए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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