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फ्रांस विरोध में कट्टरपंथ का लबादा ओढ़कर इन बच्चों ने तो कठमुल्लाओं के कान काट दिए हैं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 नवम्बर, 2020 02:44 PM
  • 03 नवम्बर, 2020 02:44 PM
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फ्रांस विरोध (France ) में दो वीडियो इंटरनेट पर बहुत तेजी से वायरल हो रहे हैं. दोनों ही वीडियो में बच्चे हैं और जैसी इनकी बातें हैं ये कट्टरपंथी मुल्लाओं से ज्यादा खतरनाक हैं. सवाल इनकी परवरिश पर है. बच्चे जो बचपन में ऐसे हैं आगे चलकर क्या करेंगे ये सोचने मात्र से दहशत होती है.

'बच्चे मन के सच्चे होते हैं' और जब बच्चे सच्चे हों यो लाजमी है कि उनके मुंह से सच ही निकलेगा और ये सच तब और प्रभावी होगा जब मामला और बच्चे दोनों ही पाकिस्तान (Pakistan) से जुड़े हों. प्रायः ये देखा गया है कि बाल मन सबसे अबोध. सबसे पवित्र होता है. लेकिन जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हो रहा है उसके बाद कहा यही जा सकता है कि इन अबोध मनों में बचपन से ही इतना जहर भर दिया गया है कि जब ये बच्चे बड़े होंगे तो स्थिति क्या होगी? सोच कर डर लगता है. शरीर में सिरहन होती है. मामला वही है जो फ्रांस में चल रहा है. फ्रांस (France) में स्कूली बच्चों को रसूल (Prophet Mohammad Cartoon) का कार्टून दिखाने के बाद टीचर का सिर कलम कर दिया गया. विरोध कुछ इस तरह भड़का कि वर्तमान में इस्लाम (Islam), मुसलमान (Muslims) और रसूल तीनों ही निशाने पर हैं और फ्रांस में तीनों के ही खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. वहीं मामले ने सऊदी, टर्की, मलेशिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत भारत के मुसलमानों को एकजुट कर दिया है. इसी क्रम में दो वीडियो पाकिस्तान से आए हैं जो बेहद डरावने हैं.

फ्रांस विरोध के मद्देनजर पाकिस्तान से आए  बच्चों के दो वीडियो इंटरनेट पर खलबली मचाते नजर आ रहे हैं

इंटरनेट पर वायरल हो रहे ये वीडियो न केवल बच्चे और उसकी परवरिश पर सवाल खड़े कर रहे हैं बल्कि ये भी बता रहे हैं कि इस मामले के मद्देनजर अबोध बच्चे भी जहर की फैक्ट्री में तब्दील हो रहे हैं जोकि समाज चाहे हिंदुस्तान का हो या फिर पाकिस्तान का किसी के लिए भी अच्छा नहीं है.

बात पहले वीडियो की. इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस वीडियो पर यदि नजर...

'बच्चे मन के सच्चे होते हैं' और जब बच्चे सच्चे हों यो लाजमी है कि उनके मुंह से सच ही निकलेगा और ये सच तब और प्रभावी होगा जब मामला और बच्चे दोनों ही पाकिस्तान (Pakistan) से जुड़े हों. प्रायः ये देखा गया है कि बाल मन सबसे अबोध. सबसे पवित्र होता है. लेकिन जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हो रहा है उसके बाद कहा यही जा सकता है कि इन अबोध मनों में बचपन से ही इतना जहर भर दिया गया है कि जब ये बच्चे बड़े होंगे तो स्थिति क्या होगी? सोच कर डर लगता है. शरीर में सिरहन होती है. मामला वही है जो फ्रांस में चल रहा है. फ्रांस (France) में स्कूली बच्चों को रसूल (Prophet Mohammad Cartoon) का कार्टून दिखाने के बाद टीचर का सिर कलम कर दिया गया. विरोध कुछ इस तरह भड़का कि वर्तमान में इस्लाम (Islam), मुसलमान (Muslims) और रसूल तीनों ही निशाने पर हैं और फ्रांस में तीनों के ही खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. वहीं मामले ने सऊदी, टर्की, मलेशिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत भारत के मुसलमानों को एकजुट कर दिया है. इसी क्रम में दो वीडियो पाकिस्तान से आए हैं जो बेहद डरावने हैं.

फ्रांस विरोध के मद्देनजर पाकिस्तान से आए  बच्चों के दो वीडियो इंटरनेट पर खलबली मचाते नजर आ रहे हैं

इंटरनेट पर वायरल हो रहे ये वीडियो न केवल बच्चे और उसकी परवरिश पर सवाल खड़े कर रहे हैं बल्कि ये भी बता रहे हैं कि इस मामले के मद्देनजर अबोध बच्चे भी जहर की फैक्ट्री में तब्दील हो रहे हैं जोकि समाज चाहे हिंदुस्तान का हो या फिर पाकिस्तान का किसी के लिए भी अच्छा नहीं है.

बात पहले वीडियो की. इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस वीडियो पर यदि नजर डाली जाए तो मिलता है कि एक बच्चा उग्र तेवरों में पाकिस्तान के प्रधाममंत्री इमरान खान से अपील कर रहा है कि रसूल की शान में गुस्ताखी करने वाले मुल्क फ्रांस पर परमाणु बम गिराए जाएं ताकि उसे पता चले कि उसने क्या गुनाह किया है.

मुद्दा विरोध नहीं है. हम फिर इस बात को क्लियर करना चाहेंगे कि यहां बात सिर्फ और सिर्फ बच्चे पर है. जिस बच्चे के अंदर अभी से इतनी कट्टरता भर दी गयी है वो भविष्य में क्या कर सकता है सोचने मात्र से ही रौंगटे खड़े हो जाएंगे. बाक़ी जिस मुल्क में बचपन से ही बच्चे को धर्म की रक्षा के लिए चोला पहना दिया जाए उस मुल्क का क्या भला होगा न ये हमसे छुपा है न आपसे.

अब बात दूसरे वीडियो की. ये वीडियो पहले वीडियो से ज्यादा खौफनाक इसलिए है क्यों कि इसमें महिलाएं और बच्चियां हैं. ये वीडियो इसलिए दहशत देता है क्यों कि महिलाओं को ममता और स्नेह की मूरत कहा जाता है. सोचिये क्या इनके अंदर नाममात्र की ममता या फिर स्नेह है.

खुद सोचिए कि ऐसी औरतें जो इस तरह हाथ में तलवारें पकड़े हैं और इस्लाम परस्त नारे लगाते हुए एक पुतले की गर्दनें काट रही हैं आने वाली नस्लों या ये कहें कि जिस स्कूल में ये प्रोटेस्ट हो रहा है उस स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को क्या शिक्षा देंगी?

अगर टीचर ऐसे हैं तो अबोध बच्चियों का मुस्तकबिल किन हाथों में है आप ख़ुद कल्पना कर लीजिए. वाक़ई हैरत होती है कि कोई कैसे नफरत में इस हद तक अंधा हो जाए कि मासूम बच्चे बच्चियों के भविष्य के अलावा वर्तमान से इस तरह का खिलवाड़ करे. ये बात वाक़ई सोच सोच के व्यथित करती है कि आखिर कट्टरता का कैंसर लिए ये बच्चे इस समाज में सर्वाइव करेंगे तो करेंगे कैसे?

अंत में बस इतना ही कि जिस कौम का वर्तमान ऐसा है उसका भविष्य वाक़ई डरावना है और दहशत पैदा करता है. बात एकदम सीधी और साफ़ है हुक्मरानों के अलावा कौम के उलेमाओं को इन बच्चों को देखना चाहिए और हो सके तो समझाना चाहिए वरना जगहंसाई तो हो ही रही है आगे और होगी तब इस्लामोफोबिया की बातें एक झूठ  एक प्रोपोगेंडा से ज्यादा और कुछ नहीं होंगी.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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