89वें ऑस्कर अवॉर्ड में 'मूनलाइट' के लिए माहेर्शेला अली को 'बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल' का अवॉर्ड मिला है. माहेर्शेला अली एक्टिंग के लिए ऑस्कर जीतने वाले पहले मुस्लिम बन गए हैं. ऑस्कर मिलते ही हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान ट्विटर पर उतर गया और उनकी तारीफों के पुल बांधने लगा. अब पाकिस्तान की इन मौहतरमा को ही ले लीजिए. ये संयुक्त राष्ट्र की पाकिस्तान की राजदूत हैं. अवॉर्ड मिलते ही उन्होंने भी माहेर्शेला की तारीफ की. लेकिन उनको पता चला कि उनके देश के लिए माहेर्शेला मुस्लिम नहीं तो तुरंत ट्वीट डिलीट कर दिया.
उनका डिलीट करना लाजमी भी था, इसके पीछे की वजह हम आपको बताते हैं. लेकिन, किसी ने इनके ट्वीट का प्रिंट शॉट ले लिया और ट्विटर पर पोस्ट कर दिया.
माहेर्शेला अली को मुसलमान नहीं मानता पाकिस्तान
अली का वास्तविक नाम महेरशलालहरशबाज गिलमोरे है और उन्होंने वर्ष 1999 में इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया था. जिसके बाद उन्होंने अपना नाम माहेर्शेला अली रख लिया. पाकिस्तान की नजर में माहेर्शेला अहमदी हैं. बता दें, पाकिस्तान में 1974 में बनाए गए एक कानून के तहत इन्हें गैर मुसलमान घोषित किया और उनके साथ कानूनी और सामाजिक तौर पर भेदभाव होता है. उस वक्त हज़ारों अहमदी परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया गया और सांप्रदायिक हिंसा में कई लोग मारे गए. इसका सिलसिला अभी भी जारी है. इस्लाम में मोहम्मद को आखिरी पैगंबर माना जाता है जबकि अहमदी लोग कहते हैं कि उनके बाद भी पैगंबर हुए हैं. यही विवाद का बड़ा मुद्दा है. मिर्जा गुलाम अहमद को मानने वाले अहमदी लोगों को कादियानी भी कहा जाता है.
89वें ऑस्कर अवॉर्ड में 'मूनलाइट' के लिए माहेर्शेला अली को 'बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल' का अवॉर्ड मिला है. माहेर्शेला अली एक्टिंग के लिए ऑस्कर जीतने वाले पहले मुस्लिम बन गए हैं. ऑस्कर मिलते ही हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान ट्विटर पर उतर गया और उनकी तारीफों के पुल बांधने लगा. अब पाकिस्तान की इन मौहतरमा को ही ले लीजिए. ये संयुक्त राष्ट्र की पाकिस्तान की राजदूत हैं. अवॉर्ड मिलते ही उन्होंने भी माहेर्शेला की तारीफ की. लेकिन उनको पता चला कि उनके देश के लिए माहेर्शेला मुस्लिम नहीं तो तुरंत ट्वीट डिलीट कर दिया.
उनका डिलीट करना लाजमी भी था, इसके पीछे की वजह हम आपको बताते हैं. लेकिन, किसी ने इनके ट्वीट का प्रिंट शॉट ले लिया और ट्विटर पर पोस्ट कर दिया.
माहेर्शेला अली को मुसलमान नहीं मानता पाकिस्तान
अली का वास्तविक नाम महेरशलालहरशबाज गिलमोरे है और उन्होंने वर्ष 1999 में इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया था. जिसके बाद उन्होंने अपना नाम माहेर्शेला अली रख लिया. पाकिस्तान की नजर में माहेर्शेला अहमदी हैं. बता दें, पाकिस्तान में 1974 में बनाए गए एक कानून के तहत इन्हें गैर मुसलमान घोषित किया और उनके साथ कानूनी और सामाजिक तौर पर भेदभाव होता है. उस वक्त हज़ारों अहमदी परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया गया और सांप्रदायिक हिंसा में कई लोग मारे गए. इसका सिलसिला अभी भी जारी है. इस्लाम में मोहम्मद को आखिरी पैगंबर माना जाता है जबकि अहमदी लोग कहते हैं कि उनके बाद भी पैगंबर हुए हैं. यही विवाद का बड़ा मुद्दा है. मिर्जा गुलाम अहमद को मानने वाले अहमदी लोगों को कादियानी भी कहा जाता है.
1970 के दशक में शुरु हुआ जुल्म का सिलसिला
अहमदियों पर जुल्म की शुरुआत 1970 के दशक में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के दौरान हुई और सैन्य शासक जिया उल हक के दौर में यह खूब परवान चढ़ी. जिया के दौर में अहमदी लोगों के खुद को मुसलमान कहने और मस्जिद बनाने पर रोक लगाई गई. कट्टरपंथियों ने उनके पूजा स्थलों को बंद करवा दिया.
पाकिस्तान पहला देश नहीं
वैसे पाकिस्तान अकेला देश नहीं है जहां अहमदी लोगों को परेशान किया जाता है. दक्षिण एशिया में बांग्लादेश में भी उनके साथ ऐसा सलूक होता है जबकि दक्षिण पूर्व एशिया और खास कर इंडोनेशिया में भी हालात ऐसे ही हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में ज्यादातर सुन्नी मुसलमान ही हैं जबकि शियाओं की आबादी लगभग एक लाख है. बात अहमदी लोगों की करें, तो उनकी संख्या चार लाख के आसपास बताई जाती है जिन्हें 2008 में इंडोनेशिया की सबसे बड़ी इस्लामी संस्था ने "पथभ्रष्ट लोग" करार दिया था.
पाकिस्तानी एक्टर ने जब अहमदियों का सपोर्ट किया था तो पूरा पाकिस्तान उन पर चढ गया था. लोगों ने उनको मारने तक की धमकी दे दी थी. अब वही पाकिस्तान माहेर्शेला अली के तारीफों के पुल बांध रहा है जो अहमदी हैं.
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