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पाकिस्तान में पोलियो से जंग के लिए सेना की मदद क्यों जरूरी है ?

    • आईचौक
    • Updated: 12 जून, 2018 01:27 PM
  • 12 जून, 2018 01:21 PM
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पाकिस्‍तान में जिस तरह आतंकवाद को लेकर दो तरह की मान्‍यताएं हैं, वैसा ही कुछ कनफ्यूजन पोलियो टीकाकरण प्रोग्राम को लेकर है. कुछ लोग इसे पश्चिमी देशों की साजिश के साथ-साथ इस्‍लाम के खिलाफ भी मानते हैं.

पोलियो के हवाले से पाकिस्‍तान से बुरी खबर आई है. पिछले पांच महीने से युद्धस्‍तर पर चले अभियान के बावजूद इस बीमारी पर पाकिस्‍तान में जीत हासिल नहीं की जा सकी है. अब ये जंग कुछ-कुछ पाकिस्‍तान की आतंकवाद से लड़ाई से मिलती-जुलती होती जा रही है. एक तरफ नए-नए मरीज सामने आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ सेना इस बीमारी पर काबू करने का जश्‍न मना रही है.

पाकिस्‍तान के प्रमुख अखबार ट्रिब्‍यून ने खबर दी है कि तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्‍तान में 2016 में बीस, 2017 में आठ और 2018 में अब तक तीन नए पोलियो के मरीज सामने आए हैं. तीनों नए मरीज बलूचिस्‍तान के दुक्‍की जिले के रहने वाले हैं.

अप्रैल महीने में सरकार ने पांच साल से छोटे देश के करीब 4 करोड़ बच्‍चों को पोलियो की खुराक पिलाने का बीड़ा उठाया था. लेकिन अपेक्षित नतीजा सामने नहीं आया.

दो कारण, जिसने पाकिस्‍तान में पोलियो को चुनौती बनाया :

1. पश्चिमी साजिश :

पाकिस्‍तान के पश्चिमी प्रांतों और पूरे मुल्‍क के ग्रामीण तबके में पोलियो के टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर शंका की स्थिति है. कबाइली इलाकों में तो तालिबान और आतंकी संगठनों ने ये अफवाह फैला रखी है कि पोलियो कके टीके के नाम पर बच्‍चों को नामर्द बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं, टीकाकरण करने वाले वॉलेंटियर कोई और नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों के जासूस हैं. आतंकियों की इन अफवाहों को इसलिए भी गंभीर मान लिया जाता है क्‍योंकि ओसामा बिन लादेन को मारने से पहले अमेरिकी सेना ने उसका सुराग लेने के लिए एक डाक्‍टर की मदद ली थी, जो टीकाकरण अधिकारी बनकर एबटाबाद वाले घर पहुंचा था.

पाकिस्‍तान में पोलिया की दवा पिलाने वाले स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को मारे जाने...

पोलियो के हवाले से पाकिस्‍तान से बुरी खबर आई है. पिछले पांच महीने से युद्धस्‍तर पर चले अभियान के बावजूद इस बीमारी पर पाकिस्‍तान में जीत हासिल नहीं की जा सकी है. अब ये जंग कुछ-कुछ पाकिस्‍तान की आतंकवाद से लड़ाई से मिलती-जुलती होती जा रही है. एक तरफ नए-नए मरीज सामने आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ सेना इस बीमारी पर काबू करने का जश्‍न मना रही है.

पाकिस्‍तान के प्रमुख अखबार ट्रिब्‍यून ने खबर दी है कि तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्‍तान में 2016 में बीस, 2017 में आठ और 2018 में अब तक तीन नए पोलियो के मरीज सामने आए हैं. तीनों नए मरीज बलूचिस्‍तान के दुक्‍की जिले के रहने वाले हैं.

अप्रैल महीने में सरकार ने पांच साल से छोटे देश के करीब 4 करोड़ बच्‍चों को पोलियो की खुराक पिलाने का बीड़ा उठाया था. लेकिन अपेक्षित नतीजा सामने नहीं आया.

दो कारण, जिसने पाकिस्‍तान में पोलियो को चुनौती बनाया :

1. पश्चिमी साजिश :

पाकिस्‍तान के पश्चिमी प्रांतों और पूरे मुल्‍क के ग्रामीण तबके में पोलियो के टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर शंका की स्थिति है. कबाइली इलाकों में तो तालिबान और आतंकी संगठनों ने ये अफवाह फैला रखी है कि पोलियो कके टीके के नाम पर बच्‍चों को नामर्द बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं, टीकाकरण करने वाले वॉलेंटियर कोई और नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों के जासूस हैं. आतंकियों की इन अफवाहों को इसलिए भी गंभीर मान लिया जाता है क्‍योंकि ओसामा बिन लादेन को मारने से पहले अमेरिकी सेना ने उसका सुराग लेने के लिए एक डाक्‍टर की मदद ली थी, जो टीकाकरण अधिकारी बनकर एबटाबाद वाले घर पहुंचा था.

पाकिस्‍तान में पोलिया की दवा पिलाने वाले स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को मारे जाने का दौर जारी है.

इसी साल जनवरी में एक बंदूकधारी ने पोलियो की खुराक पिलाने वाली टीम को मौत के घाट उतार दिया था. जिसमें एक मां-बेटी भी शामिल थी. ये टीम बलूचिस्‍तान में काम कर रही थी. तीन साल पहले तालिबान ने एक पोलियो वेक्‍सीनेशन सेंटर के बाहर बम धमाका करके 15 लोगों की जान ले ली थी.

2. कुरआन में टीकाकरण की मनाही है !

पाकिस्‍तान के मुस्लिम समुदाय में टीकाकरण को लेकर इस्‍लाम के हवाले से काफी गलतफहमियां हैं. कई जगहों पर तो कट्टरपंथी इसे हराम तक कह देते हैं. दरअसल, कुरआन में इलाज के लिए तो साफ-साफ शब्‍दों में लिखा है, लेकिन बीमारी से बचने के लिए टीका लगाने लेकर भ्रम की स्थिति है.

एक हदीस है, जिसमें हवाला दिया गया है कि 'अल्‍लाह ने दुनिया में ऐसी कोई बीमारी नहीं दी है, जिसके साथ उसका इलाज न दिया हो. सिवाय एक बीमारी के. जिसका नाम है- बुढ़ापा.'

यानी, इस हदीस में हर तरह के उपचार को अल्‍लाह की ओर से उपलब्‍ध कराया जरिया बताया गया है. लेकिन एक हदीस ऐसी भी है, जिसमें एक महिला के उपचार लेने के बजाए जन्‍नत को चुनने का जिक्र है.

इसमें जिक्र है एक गंभीर बीमारी से परेशान महिला का, जो पैगंबर के पास आती हैं. वह बताती है कि उसे दौर पड़ते हैं, जिससे वह बेपर्दा हो जाती है. मुझे इससे बचने के लिए अल्‍लाह का आशीर्वाद (उपचार) चाहिए. इस पर पैगंबर उस महिला से कहते हैं कि 'या तो तुम धैर्य रखो ताकि तुम्‍हें सीधे जन्‍नत मिले. या फिर यदि तुम चाहे तो मैं तुम्‍हारे इलाज के लिए अल्‍लाह से दुआ करता हूं.' इस पर वह महिला बोली कि वह इलाज के बजाए धैर्य रखकर सीधे जन्‍नत जाना पसंद करेगी.

यह हदीस कई लोगों में भ्रम पैदा करती है कि बीमारी से बचने से बेहतर क्‍या जन्‍नत हो सकती है. कई वेबसाइटों पर इस तरह के सवाल पूछे गए हैं कि यदि आप वो महिला हों, आपके सामने पैगंबर यह विकल्‍प रखें तो आप इलाज को चुनेंगे या जन्‍नत को ?

कई लोगों का तर्क है कि वह महिला इलाज पाकर कुछ दिनों तक इस धरती का आनंद ले पाती, लेकिन उसने धैर्य रखा और अल्‍लाह के घर को चुना.

दुनिया में पाकिस्‍तान शायद इकलौता मुल्‍क होगा, जहां जिंदगी बचाने वालों की रक्षा के लिए भी सेना की जरूरत पड़ती है.

पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान और नाइजीरिया में ऐसी सोच रखने वालों की कमी नहीं है. जिनको समझाइश देने के लिए कई बार मस्जिदों के इमाम ने भी अपील की है. अब पोलियो वैक्‍सीन लगाने वाले दल की सुरक्षा में आर्मी को अपनी सेवाएं देनी पड़ रही हैं. पाकिस्‍तान में अभी कोई खास कामयाबी तो नहीं मिली है, लेकिन जैसा कि आतंकवाद पर काबू पाने का ढिंढोरा पीटते हुए सेना अपनी पीठ थपथपा रही है. वैसा ही कुछ पोलियो के मामले में हुआ है. पाकिस्‍तानी सेना के प्रवक्‍ता मेजर जनरल आसिफ गफूर का ताजा ट्वीट बता रहा है कि बिल गेट्स ने पाक सेनाध्‍यक्ष को फोन करके पाकिस्‍तान आर्मी चीफ की तारीफ की है, जिन्‍होंने देश से पोलियो का उन्‍मूलन करने में सराहनीय सहयोग किया है.

पाकिस्‍तान में सेना के बिना पत्‍ता भी नहीं हिलता है, ये दुनिया जानती है. लेकिन पोलियो से रक्षा करने का जिम्‍मा भी सेना के हवाले होगा, यह थोड़ा अजीब है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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