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जल्द अपनी पसंद, नाम, कलर की वैक्सीन लगवा सकेंगे भारतीय!

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 29 मई, 2021 10:19 PM
  • 29 मई, 2021 10:19 PM
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अगले कुछ महीनों के बाद कई कंपनियों के कोरोना वैक्सीन के उपलब्ध होने का अनुमान है जिससे भारत साल के खत्म होते होते शायद वैक्सीनेशन के सफर को तय कर लेगा.

भारत में जब कोरोना वायरस से युद्ध लड़ते हुए 16 जनवरी 2021 से वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हुई तब से ही सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि आखिर यह वैक्सीनेशन कितनी तेज़ गति से हो सकेगा और पूरे देश में वैक्सीनेशन करने में कितना वक्त लग जाएगा. भारत की लगभग 130 करोड़ की आबादी को वैक्सीन लगाना एक विशाल युद्ध लड़ने जैसा है. विश्व के अन्य देशों की बात की जाए तो चीन को छोड़कर सारे ही देशों की जनसंख्या भारत की जनसंख्या के आगे कहीं भी नहीं टिकती हैं. भारत उन खास देशों में भी शामिल है जिन्होंने कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन का निर्माण किया है. अबतक देश में कुल 20.50 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज लोगों को दी जा चुकी है. भारत से पहले 20 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज केवल अमेरिका दे पाया था जबकि अन्य देश अभी इस आंकड़े से दूर हैं. यह एक पहलू है जिसको जानकर सुकून मिलता है लेकिन अगर इसी आंकड़े को हम जनसंख्या के आधार पर तौलें तो भारत अभी कई देशों से कोसों दूर है.

वैक्सीन की संख्या के आधार पर विश्व में सबसे अधिक टीकाकरण जहां अमेरिका (29 करोड़) में हुआ है तो वहीं जनसंख्या के आधार पर सबसे अधिक वैक्सीनेशन इजराइल में हुआ है जहां अबतक लगभग 70 प्रतिशत लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है. अमेरिका में कुल आबादी के लगभग 50 प्रतिशत लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी गई है जबकि भारत में अभी तक कुल 11 प्रतिशत ही वैक्सीनेशन का कार्य हो सका है. भारत में तकरीबन 16 करोड़ लोगों में 20.50 करोड़ के करीब वैक्सीन की डोज दी गई है. 4.50 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली है.

आने वाले समय में भारतीयों के पास कोविड वैक्सीन के ढेरों विकल्प मौजूद होंगे

भारत में फिलहाल कोविशील्ड और कोवैक्सीन की डोज ही उपलब्ध है और इसे ही सरकारी...

भारत में जब कोरोना वायरस से युद्ध लड़ते हुए 16 जनवरी 2021 से वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हुई तब से ही सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि आखिर यह वैक्सीनेशन कितनी तेज़ गति से हो सकेगा और पूरे देश में वैक्सीनेशन करने में कितना वक्त लग जाएगा. भारत की लगभग 130 करोड़ की आबादी को वैक्सीन लगाना एक विशाल युद्ध लड़ने जैसा है. विश्व के अन्य देशों की बात की जाए तो चीन को छोड़कर सारे ही देशों की जनसंख्या भारत की जनसंख्या के आगे कहीं भी नहीं टिकती हैं. भारत उन खास देशों में भी शामिल है जिन्होंने कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन का निर्माण किया है. अबतक देश में कुल 20.50 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज लोगों को दी जा चुकी है. भारत से पहले 20 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज केवल अमेरिका दे पाया था जबकि अन्य देश अभी इस आंकड़े से दूर हैं. यह एक पहलू है जिसको जानकर सुकून मिलता है लेकिन अगर इसी आंकड़े को हम जनसंख्या के आधार पर तौलें तो भारत अभी कई देशों से कोसों दूर है.

वैक्सीन की संख्या के आधार पर विश्व में सबसे अधिक टीकाकरण जहां अमेरिका (29 करोड़) में हुआ है तो वहीं जनसंख्या के आधार पर सबसे अधिक वैक्सीनेशन इजराइल में हुआ है जहां अबतक लगभग 70 प्रतिशत लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है. अमेरिका में कुल आबादी के लगभग 50 प्रतिशत लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी गई है जबकि भारत में अभी तक कुल 11 प्रतिशत ही वैक्सीनेशन का कार्य हो सका है. भारत में तकरीबन 16 करोड़ लोगों में 20.50 करोड़ के करीब वैक्सीन की डोज दी गई है. 4.50 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली है.

आने वाले समय में भारतीयों के पास कोविड वैक्सीन के ढेरों विकल्प मौजूद होंगे

भारत में फिलहाल कोविशील्ड और कोवैक्सीन की डोज ही उपलब्ध है और इसे ही सरकारी अस्पताल या फिर टीकाकरण केन्द्रों पर लगाया जा रहा है. देश में अगले कुछ ही दिनों में रूस के द्वारा निर्मित की गई स्पूतनिक वैक्सीन भी उपलब्ध होने की उम्मीद है. इस वैक्सीन का निर्माण भी भारत में शुरू हो चुका है जिसके बाद ये अनुमान लगाया जा रहा है कि जुलाई के महीने से स्पूतनिक भारत में अच्छी संख्या में टीका उपलब्ध कराने लगेगा. साथ ही अन्य वैक्सीन निर्माताओं से भी भारत सरकार संपर्क साधे हुए है जिसमें फाइजर वैक्सीन के साथ लगभग करार होने की स्थिति बन चुकी है और ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि यह वैक्सीन भी जुलाई के महीने तक भारत में उपलब्ध हो सकती है.

वैक्सीन की अन्य कंपनी मार्डाना के साथ भी संपर्क किया गया है जिसके बारे में अभी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है. भारत सरकार इन कंपनियों से भारत में ही वैक्सीन निर्मित किए जाने को लेकर बातचीत कर रही है जिसपर अभी तक केवल स्पूनतिक ही राज़ी हो पाई है जबकि अन्य कंपनियों से अभी बातचीत लंबित है, अगर ये कंपनी भारत में वैक्सीन बनाने को लेकर तैयार नहीं होती हैं तो भारत सरकार इन कंपनियों से वैक्सीन का इंपोर्ट करेगी जिसपर खासतौर पर फाइजर कंपनी तैयार भी हो गई है.

भारत सरकार ने अपनी स्पष्ट नीति पर काम करते हुए उन तमाम वैक्सीनों को मंजूरी दे दिया है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से मान्यता दी जा चुकी है. इससे भारत में आने वाली किसी भी वैक्सीन को अलग से अप्रूवल लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और इसे भारत सरकार की ओर से फौरन ही मान्यता मिल जाएगी, जिससे किसी भी देश की कंपनी भारत में अपनी वैक्सीन आसानी के साथ उपलब्ध करा सकेगी बस शर्त यही है कि वैक्सीन WHO से अप्रूवल पा चुकी हो.

भारत में फिलहाल तो सिर्फ दो कोरोना वैक्सीन ही लगाई जा रही है, ये वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन है. स्पूनतिक, फाइजर और मार्डना अगले महीने से उपलब्ध होने के संकेत मिल रहे हैं. वहीं भारत में अभी कई ऐसी वैक्सीन भी हैं जो ट्रायल के चरण में हैं और उन्हें भी ट्रायल के पूरा होते ही इमेरजेंसी अप्रूवल दिया जा सकता है. इनमें सबसे प्रमुख नाम ZYVoV-D का है, ये कैडिला हेल्थकेयर कंपनी द्वारा बनाई जा रही है जिसे बेहद कारगर माना जा रहा है.इसे जल्दी ही अप्रूवल मिलने की संभावना है.

भारत में सीरम यूनिवर्सिटी एक और कोरोना वैक्सीन पर कार्य कर रही है जिसका नाम NVH-CoV2373 है ये भी ट्रायल पर है. जिनोवा नामक कंपनी अमेरिका के साथ मिलकर HGCO 19 वैक्सीन का निर्माण कर रही है. भारत की आरोबिन्दो फार्मा नामक कंपनी अमेरिका के आरोवैक्सीन के साथ मिलकर एक वैक्सीन का निर्माम कर रही है साथ ही भारत बायोटेक भी एक वैक्सीन का ट्रायल कर रही है.

यानी अगर देखा जाए तो अगले कुछ महीनों के बाद भारत में दर्जनों की संख्या में वैक्सीन होंगी. कौन सी वैक्सीन लगवानी है यह नागरिकों के ऊपर निर्भर करेगा. ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाला समय भारत के लिए बेहतर होगा और अधिक संख्या में वैक्सीन उपलब्ध हो जाने पर देश में वैक्सीनेशन का कार्य बहुत ही जल्द पूरा हो सकेगा और भारत एक नए सवेरे के साथ कोरोना वायरस को अधमरा कर चुका होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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