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भारत-चीन के दम की पोल खोलती एक खबर...

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 16 अगस्त, 2017 07:48 PM
  • 16 अगस्त, 2017 07:48 PM
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डोकलाम के लिए चीन और भारत दोनों ही देश दम दिखा रहे हों. लेकिन पीछे की कहानी देखें तो बिलकुल अलग ही है. एक परेशानी दोनों ही देश को सता रही है.

चीन जहां डोकलाम को अपना बताकर और हथियारों की धौस दे रहा है, वहीं भारत इन्ही के लिए भी दम दिखा रहा है. लेकिन दोनों एक चीज से परेशान है जिससे साबित हो जाएगा कि दोनों ही देश जो दावे कर रहे हैं वो खोखले हैं और ये परेशानी है गरीबी और अनाथ बच्चों की.

ताजा खबर आई है चीन के फुजोऊ से. मानवता को झकझोर देने वाली इस घटना में यहां रहने वाली एक मां ने अपनी नवजात बच्ची को कुरियर कर अनाथालय भेज दिया. इस घटना का खुलासा उस समय हुआ जब कुरियर की डिलवरी करने गए कुरियर बॉय को अचानक से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी. कुरियर खोलने के बाद युवक को एक नवजात बच्ची दिखाई दी.

ये मामला चीन का है जिसकी जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है. ऐसा नहीं है कि ये कोई नई घटना है. भारत में भी कई ऐसी खबरें आ चुकी हैं जहां मां बच्चे को कचरे के कूड़े में डालकर चली जाती हैं. इस मां ने फिर भी अनाथालय में छोड़ना ठीक समझा. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ये चीज आम हो चली है. लेकिन चीन और भारत में ज्यादा है. भारत और चीन को जंग को साइड में रखकर इस मामले को देखना होगा. एक तरफ जहां मां की ममता के कई उधारण दिए जाते हैं वहीं ऐसी खबरें भी आती हैं जो दिल तोड़ देती हैं. बच्चों के खिलाफ दोनों ही देशों में कई घटनाएं होती हैं. आइए थोड़ा नजर डालते हैं.

अनाथ बच्चों की तादाद

2011 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल PIL के मुताबिक भारत में कुल 2 करोड़ अनाथ या अकेला छोड़ दिए बच्चों की तादाद है. वहीं चीन की बात करें तो चीनी सरकार ने बताया है कि चीम में करीब 6 लाख अनाथ बच्चे सरकारी अनाथालय में रह रहे हैं और बाकी संस्थाओं में रह रहे बेसहारा...

चीन जहां डोकलाम को अपना बताकर और हथियारों की धौस दे रहा है, वहीं भारत इन्ही के लिए भी दम दिखा रहा है. लेकिन दोनों एक चीज से परेशान है जिससे साबित हो जाएगा कि दोनों ही देश जो दावे कर रहे हैं वो खोखले हैं और ये परेशानी है गरीबी और अनाथ बच्चों की.

ताजा खबर आई है चीन के फुजोऊ से. मानवता को झकझोर देने वाली इस घटना में यहां रहने वाली एक मां ने अपनी नवजात बच्ची को कुरियर कर अनाथालय भेज दिया. इस घटना का खुलासा उस समय हुआ जब कुरियर की डिलवरी करने गए कुरियर बॉय को अचानक से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी. कुरियर खोलने के बाद युवक को एक नवजात बच्ची दिखाई दी.

ये मामला चीन का है जिसकी जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है. ऐसा नहीं है कि ये कोई नई घटना है. भारत में भी कई ऐसी खबरें आ चुकी हैं जहां मां बच्चे को कचरे के कूड़े में डालकर चली जाती हैं. इस मां ने फिर भी अनाथालय में छोड़ना ठीक समझा. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ये चीज आम हो चली है. लेकिन चीन और भारत में ज्यादा है. भारत और चीन को जंग को साइड में रखकर इस मामले को देखना होगा. एक तरफ जहां मां की ममता के कई उधारण दिए जाते हैं वहीं ऐसी खबरें भी आती हैं जो दिल तोड़ देती हैं. बच्चों के खिलाफ दोनों ही देशों में कई घटनाएं होती हैं. आइए थोड़ा नजर डालते हैं.

अनाथ बच्चों की तादाद

2011 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल PIL के मुताबिक भारत में कुल 2 करोड़ अनाथ या अकेला छोड़ दिए बच्चों की तादाद है. वहीं चीन की बात करें तो चीनी सरकार ने बताया है कि चीम में करीब 6 लाख अनाथ बच्चे सरकारी अनाथालय में रह रहे हैं और बाकी संस्थाओं में रह रहे बेसहारा बच्चों को भी जोड़ लिया जाए तो संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है.

गर्भपात से भी दोनों ही देश परेशान

चीन में प्रति वर्ष 1.30 करोड़ से अधिक गर्भपात किए जाते हैं. गर्भपात कराने वाली महिलाओं में युवतियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. युवा वर्ग में अवांछित गर्भ को खत्म करने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. वहीं भारत की बात करें तो हर साल 1.50 करोड़ महिलाएं गर्भपात कराती हैं और भारत में ये संख्या बढ़ती जा रही है. जो काफी चिंता का विषय है क्योंकि गर्भपात से भारत में हर साल 20 लाख महिलाओं की जान जा रही है. दोनों ही देशों में महिलाएं शादी से पहले प्रेग्नेंट होने की वजह से या फिर गरीबी की वजह से गर्भपात कराती हैं.

गरीबी में भारत आगे

वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की मानें तो भारत दुनिया में करीब 76 करोड़ गरीब हैं. दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब अफ्रीका में हैं. भारत मे यह संख्या करीब 22 करोड़ है. वहीं चीन की बात की जाए तो लगभग 3.6 करोड़ लोग बहुत गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं. चीन अधिकारियों ने कहना है कि बीते तीन दशकों में बड़े पैमाने पर विकास के चलते 60 करोड़ लोगों के गरीबी दायरे से बाहर आने के बावजूद चीन में गरीबी मौजूद है.

देखा जाए तो भारत और चीन दोनों भले ही युद्ध के स्वर छेड़ रहे हों. लेकिन देश के अंदर काफी परेशानियां मौजूद हैं. जिसे कम करने की जरूरत है. ऐसे में चीन और भारत दोनों को ही साथ मिलकर गरीबी से निपटना होगा. क्योंकि पूरा मामला जनसंख्या का है. सबसे ज्यादा आबादी की बात करें तो चीन पहले नंबर पर है और भारत दूसरे. ऐसे में उनको मिलकर इसका समाधान निकालना होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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