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तो क्या ये है बेरोजगारी की समस्या का अचूक उपाय?

    • आईचौक
    • Updated: 02 जून, 2017 03:39 PM
  • 02 जून, 2017 03:39 PM
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आईटी कंपनियों में युवा इंजीनियरों की वर्तमान हालत से दुखी नारायणमूर्ति ने अन्य कंपनियों के आला अधिकारीयों से बहुत भावुक अपील करी है.

महंगाई के इस दौर में किसी भी मां बाप के लिए अपने बच्चे को पढ़ाना सबसे मुश्किल काम है. हर मां - बाप की यही इच्छा होती है कि उनका बच्चा डॉक्टर इंजीनियर बन सफलता के नए आयाम छुए और घरवालों का नाम रौशन करे. खैर अब हम जो आपको बताने जा रहे हैं वो थोड़ा विचलित करने वाला है. खबर है कि ग्लोबल मार्केट में बढ़ती अस्थिरता के अलावा नयी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न कर पाने के चलते भारतीय इंजीनियरों के भविष्य पर जबरदस्त संकट छा चुका है. इस संकट के मद्देनज़र इस साल तकरीबन 56,000 सॉफ्टवेर इंजीनियरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

कहा ये भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में स्थिति बद से बदतर होने जा रही है जहां अगले तीन सालों में प्रति वर्ष 2 लाख सॉफ्टवेर इंजीनियरों को नौकरी से निकाला जायगा. बहरहाल इस खबर से जहां एक तरफ देश के सॉफ्टवेर इंजीनियर परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ खुद इनफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति के माथे पर चिंता के बल पड़ गए हैं.

आईटी कंपनियों में युवा इंजीनियरों की वर्तमान हालत से दुखी नारायणमूर्ति ने अन्य कंपनियों के आला अधिकारीयों से बहुत भावुक अपील करी है.

नारायणमूर्ति ने करी है एक भावुक अपील

नारायणमूर्ति ने अलग - अलग कंपनियों के अधिकारीयों से अनुरोध करते हुए कहा है कि, यदि अधिकारी अपनी - अपनी सैलरी में कुछ कटौती करें तो वो आईटी कंपनियों में मौजूद युवा इंजीनियरों की नौकरी बचा सकते हैं और इस संकट को आसानी से पार लगाया जा सकता है. अपनी अपील में नारायणमूर्ति ने आईटी इंडस्ट्री की तारीफ करते हुए कहा है कि इंडस्ट्री पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुकी है और इस घटनाक्रम को संभालना भली प्रकार जानती है.

गौरतलब है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब सॉफ्टवेर इंजीनियरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है. इससे पहले...

महंगाई के इस दौर में किसी भी मां बाप के लिए अपने बच्चे को पढ़ाना सबसे मुश्किल काम है. हर मां - बाप की यही इच्छा होती है कि उनका बच्चा डॉक्टर इंजीनियर बन सफलता के नए आयाम छुए और घरवालों का नाम रौशन करे. खैर अब हम जो आपको बताने जा रहे हैं वो थोड़ा विचलित करने वाला है. खबर है कि ग्लोबल मार्केट में बढ़ती अस्थिरता के अलावा नयी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न कर पाने के चलते भारतीय इंजीनियरों के भविष्य पर जबरदस्त संकट छा चुका है. इस संकट के मद्देनज़र इस साल तकरीबन 56,000 सॉफ्टवेर इंजीनियरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

कहा ये भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में स्थिति बद से बदतर होने जा रही है जहां अगले तीन सालों में प्रति वर्ष 2 लाख सॉफ्टवेर इंजीनियरों को नौकरी से निकाला जायगा. बहरहाल इस खबर से जहां एक तरफ देश के सॉफ्टवेर इंजीनियर परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ खुद इनफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति के माथे पर चिंता के बल पड़ गए हैं.

आईटी कंपनियों में युवा इंजीनियरों की वर्तमान हालत से दुखी नारायणमूर्ति ने अन्य कंपनियों के आला अधिकारीयों से बहुत भावुक अपील करी है.

नारायणमूर्ति ने करी है एक भावुक अपील

नारायणमूर्ति ने अलग - अलग कंपनियों के अधिकारीयों से अनुरोध करते हुए कहा है कि, यदि अधिकारी अपनी - अपनी सैलरी में कुछ कटौती करें तो वो आईटी कंपनियों में मौजूद युवा इंजीनियरों की नौकरी बचा सकते हैं और इस संकट को आसानी से पार लगाया जा सकता है. अपनी अपील में नारायणमूर्ति ने आईटी इंडस्ट्री की तारीफ करते हुए कहा है कि इंडस्ट्री पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुकी है और इस घटनाक्रम को संभालना भली प्रकार जानती है.

गौरतलब है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब सॉफ्टवेर इंजीनियरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है. इससे पहले 2001 और 2008 में भी हालात कुछ ऐसे ही थे तब भी भिन्न - भिन्न कंपनियों ने एक साथ कई लोगों का ले-ऑफ किया था. उस दौर में केवल इंफोसिस ऐसी कंपनी थी जिसने अपने आला अधिकारीयों के वेतन में कटौती कर के एक साथ कई यंग इंजी‍नियर्स की नौकरी को बचाया था.

ज्ञात हो कि अभी कुछ दिनों पूर्व ही विप्रो, टीसीएस, कॉग्निजेंट, फ्लिप्कार्ट और पूर्व में एलएनटी जैसी कंपनियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के अपने यहां मौजूद इंजीनियरों कि एक बड़ी संख्या का ले-ऑफ करके इस बात को बता दिया था कि आने वाले वक्त में इंजीनियरों के अच्छे दिन लद गए हैं और स्थिति बेहद गंभीर होने वाली है.

अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए आपसे बस यही कहेंगे कि यदि आप डिग्री या पेशे के हिसाब से सॉफ्टवेर इंजीनियर हैं तो जल्द ही नई टेक्नोलॉजी पर अपना हाथ साफ कर लीजिये अन्यथा अपनी नौकरी जाने और बेरोजगार होने के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे.          

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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