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निरोगी काया ही नहीं पैसा भी देता है योग

    • सिद्धार्थ झा
    • Updated: 21 जून, 2018 10:45 AM
  • 21 जून, 2018 10:45 AM
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अगर आपके पास योग का ज्ञान है तो निसंदेह आपको कहीं नौकरी मांगने की जरूरत नहीं होगी. इससे आप खुद निरोगी रहते हुए न सिर्फ समाज को निरोगी रखेंगे बल्कि ये आपकी आमदनी का भी हिस्सा बन जाएगा.

इस बार 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस देहरादून में एक बार फिर बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है. ये चौथा योग दिवस है, लेकिन लगता नहीं है कि ये दिन मनाते हुए हमें सिर्फ चार साल हुए हैं, क्योंकि योग और ध्यान हमारी ज़िंदगियों में रच बस गए हैं.

देश-विदेश में लोगों पर योगध्यान का ऐसा जादू चढ़ा है कि यह अब एक बड़ी इंडस्ट्री की शक्ल अख्तियार कर चुका है. भारत के सामने योग का एक बहुत बड़ा बाज़ार है. किसी भी बीमारी में दवाओं के साथ योग आपको जल्द स्वस्थ करने में बड़ी भूमिका निभाता है और योग के इसी गुण के कारण आज ज्यादातर सरकारी और निजी अस्पतालों में योग प्रशिक्षकों की भारी मांग है. उनके लिए बाकायदा अलग विभाग भी बनाये गए हैं.

योग अब एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुका है

अगर आपके पास योग का ज्ञान है और आपके लिए योग एक व्यवसाय से बढ़कर जिंदगी का अहम हिस्सा है तो निसंदेह आपको कहीं नौकरी मांगने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि उस ज्ञान का आप घर बैठे हुए भी सदुपयोग कर सकते हैं जिससे आप खुद निरोगी रहते हुए न सिर्फ समाज को निरोगी रखेंगे बल्कि ये आपकी आमदनी का भी हिस्सा बन जाएगा.

योग ने महिला सशक्तिकरण मे अहम् भूमिका निभाई है. ऐसी महिलाएं जो घर से बाहर काम करने नहीं जा सकतीं और सम्मान जनक काम करने के लिए जमापूंजी भी नहीं है, उनके लिए योग का ज्ञान निसंदेह रामबाण है. दक्षिणी दिल्ली में अपना योग सेंटर चलाने वाली काजल चौधरी कुछ समय पहले तक आम ग्रहणी का जीवन जी रही थीं. कुछ समय पहले तक इनकी जिंदगी भी आम घरेलू महिलाओं की भांति ही थी लेकिन योग ने उनके जीवन की दशा ही बादल दी. उन्होंने आसपास रहने वाली महिलाओं को योग के लिए प्रेरित किया और आज अच्छी खासी संख्या में महिलाएं उनके पास योगाभ्यास के लिए आती हैं.

इस बार 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस देहरादून में एक बार फिर बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है. ये चौथा योग दिवस है, लेकिन लगता नहीं है कि ये दिन मनाते हुए हमें सिर्फ चार साल हुए हैं, क्योंकि योग और ध्यान हमारी ज़िंदगियों में रच बस गए हैं.

देश-विदेश में लोगों पर योगध्यान का ऐसा जादू चढ़ा है कि यह अब एक बड़ी इंडस्ट्री की शक्ल अख्तियार कर चुका है. भारत के सामने योग का एक बहुत बड़ा बाज़ार है. किसी भी बीमारी में दवाओं के साथ योग आपको जल्द स्वस्थ करने में बड़ी भूमिका निभाता है और योग के इसी गुण के कारण आज ज्यादातर सरकारी और निजी अस्पतालों में योग प्रशिक्षकों की भारी मांग है. उनके लिए बाकायदा अलग विभाग भी बनाये गए हैं.

योग अब एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुका है

अगर आपके पास योग का ज्ञान है और आपके लिए योग एक व्यवसाय से बढ़कर जिंदगी का अहम हिस्सा है तो निसंदेह आपको कहीं नौकरी मांगने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि उस ज्ञान का आप घर बैठे हुए भी सदुपयोग कर सकते हैं जिससे आप खुद निरोगी रहते हुए न सिर्फ समाज को निरोगी रखेंगे बल्कि ये आपकी आमदनी का भी हिस्सा बन जाएगा.

योग ने महिला सशक्तिकरण मे अहम् भूमिका निभाई है. ऐसी महिलाएं जो घर से बाहर काम करने नहीं जा सकतीं और सम्मान जनक काम करने के लिए जमापूंजी भी नहीं है, उनके लिए योग का ज्ञान निसंदेह रामबाण है. दक्षिणी दिल्ली में अपना योग सेंटर चलाने वाली काजल चौधरी कुछ समय पहले तक आम ग्रहणी का जीवन जी रही थीं. कुछ समय पहले तक इनकी जिंदगी भी आम घरेलू महिलाओं की भांति ही थी लेकिन योग ने उनके जीवन की दशा ही बादल दी. उन्होंने आसपास रहने वाली महिलाओं को योग के लिए प्रेरित किया और आज अच्छी खासी संख्या में महिलाएं उनके पास योगाभ्यास के लिए आती हैं.

योग से महिलाओं को भी आजीविका चलाने की नई दिशा मिली

आज योग का बहुत बड़ा बाज़ार है जिससे लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में योग सीखने वाले लोगों की संख्या करीब 20 करोड़ है. इसके साथ ही योग टीचर्स की मांग सालाना 35 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. देश में योग ट्रेनिंग का कारोबार करीब 2.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है. इसमें लगाए जाने वाले योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है. योग टीचर प्रति घंटे 400-2000 रुपये तक फीस लेते हैं.

देश विदेश में योग प्रशिक्षकों की बहुत मांग है

बीते कुछ सालों में योग शिक्षकों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है. योग सीखने के लिए योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक की जरूरत होती है. जिसकी वज़ह से देश और विदेशों में योग शिक्षकों की मांग में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ अमेरिका में 76,000 रजिस्टर्ड योग शिक्षक हैं और इसके साथ 7000 योग के स्कूल हैं. Yoga Alliance से 2014 से 2016 के बीच 14,000 नये योग शिक्षक जुड़े. एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार देश में योग की मांग आने वाले वर्षों में 30-40 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है. एसोचैम की इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि योग की शिक्षा देने वालों की मांग 30-35 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है.

योग के ब्रांड अम्बेसडर बाबा रामदेव की बात न की जाये तो बात अधूरी है निसंदेह बाबा रामदेव का बहुत बड़ा योगदान है योग को विश्व पटल पर लाने का. आज बाबा लाखों नौजवानों की प्रेरणा हैं. कल तक जिस योग को दुनिया करतब और सरकर्स कहने से नहीं झिझकती थी आज उन सबकी नजरें हमारी तरफ एक उम्मीद से देख रही हैं कि कैसे योग के माध्यम से हम संसार को तनाव मुक्त और निरोगी काया दे रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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