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नोएडा: वन-वे का फायदा तो आॅटो चालक उठा रहे हैं

    • करुणेश कैथल
    • Updated: 04 फरवरी, 2016 02:34 PM
  • 04 फरवरी, 2016 02:34 PM
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नोएडा में मार्गों को वन-वे करने का फायदा जनता को कम आॅटो चालकों को ज्यादा मिल रहा है. दो भागों में बंटी सड़कों पर आधी में सारी जनता रेंगती हुई नजर आएगी तो आधी में केवल आॅटो वाले फर्राते भरते नजर आएंगे.

नोएडा में मार्गों को वन-वे करने का फायदा जनता को कम आॅटो चालकों को ज्यादा मिल रहा है. दो भागों में बंटी सड़कों पर आधी में सारी जनता रेंगती हुई नजर आएगी तो आधी में केवल आॅटो वाले फर्राते भरते नजर आएंगे. हालांकि नोएडा के इन मार्गों से अक्सर गुजरने वाले लोग इस तरह के प्रयासों की तारीफ करते नजर आते हैं. लेकिन आॅटो वालों की इन हरकतों से परेशान भी रहते हैं.

गौरतलब है कि प्राधिकरण-प्रशासन को आए दिन हरोला-नयाबांस वाले मार्ग पर अतिक्रमण व ट्रैफिक जाम की समस्या की खबरें मिलती रहती थी. पहले तो यहां सड़क के किनारे अस्थाई दुकानें, सब्जी के ठेले, रेहड़ी-पटरी आदि द्वारा अतिक्रमण करने वालों पर जमकर कार्रवाई की गई. फिर भी हालात जस के तस थे.

आखिरकार प्राधिकरण-प्रशासन को इस मार्ग से ट्रैफिक की समस्या को सुलझाने के लिए एक कड़ा कदम लेना पड़ा. इसके तहत हरोला-नयाबांस व सेक्टर-15 मेट्रो से सेक्टर-8 की तरफ जाने वाले मार्गों को वन-वे करने का निर्णय लिया गया. प्राधिकरण-प्रशासन के आलाअधिकारियों ने अपनी मौजूदगी में पूरे दल-बल के साथ दोनों मार्गों को सबसे पहले अतिक्रमणमुक्त कराया. फिर दोनों मार्गों के शुरू एवं अंत में बैरिकेटिंग कर सिर्फ एक तरफ से गाडि़यां जाने दी जाने लगी. दोनों मार्गों के बीच-बीच में जितने भी कट थे सभी जगहों पर पुलिस की तैनाती कर दी गई ताकि एक भी वाहन वन-वे नियम को तोड़ न पाए.

हालांकि पुलिस-प्रशासन व प्राधिकरण के इन प्रयासों की जमकर तारीफें हो रही हैं. लेकिन अब इनमें दोनों मार्गों के बीच का पार्टिशन आड़े आ रहा है. सेक्टर-15 मेट्रो से सेक्टर-8 की तरफ जाने वाले मार्ग पर बायें तरफ से तो पब्लिक को जाने की आजादी है लेकिन दाहिनें तरफ की एंट्री पर केवल आॅटो ही आॅटो नजर आएंगे जहां से आप अपना वाहन लेकर घुस ही नहीं सकते. आलम यह है कि बाईं ओर से जाने वाली गाडि़यां धीमी गति से पहली रेड लाईट तक पहुंच पाती है. जबकि दाईं तरफ से आॅटो वाले फर्राटे भरते हुए जा रहे होते हैं. यही हाल हरोला-नयाबांस वाले मार्ग का है.

इन कारणों से ऐसा लग...

नोएडा में मार्गों को वन-वे करने का फायदा जनता को कम आॅटो चालकों को ज्यादा मिल रहा है. दो भागों में बंटी सड़कों पर आधी में सारी जनता रेंगती हुई नजर आएगी तो आधी में केवल आॅटो वाले फर्राते भरते नजर आएंगे. हालांकि नोएडा के इन मार्गों से अक्सर गुजरने वाले लोग इस तरह के प्रयासों की तारीफ करते नजर आते हैं. लेकिन आॅटो वालों की इन हरकतों से परेशान भी रहते हैं.

गौरतलब है कि प्राधिकरण-प्रशासन को आए दिन हरोला-नयाबांस वाले मार्ग पर अतिक्रमण व ट्रैफिक जाम की समस्या की खबरें मिलती रहती थी. पहले तो यहां सड़क के किनारे अस्थाई दुकानें, सब्जी के ठेले, रेहड़ी-पटरी आदि द्वारा अतिक्रमण करने वालों पर जमकर कार्रवाई की गई. फिर भी हालात जस के तस थे.

आखिरकार प्राधिकरण-प्रशासन को इस मार्ग से ट्रैफिक की समस्या को सुलझाने के लिए एक कड़ा कदम लेना पड़ा. इसके तहत हरोला-नयाबांस व सेक्टर-15 मेट्रो से सेक्टर-8 की तरफ जाने वाले मार्गों को वन-वे करने का निर्णय लिया गया. प्राधिकरण-प्रशासन के आलाअधिकारियों ने अपनी मौजूदगी में पूरे दल-बल के साथ दोनों मार्गों को सबसे पहले अतिक्रमणमुक्त कराया. फिर दोनों मार्गों के शुरू एवं अंत में बैरिकेटिंग कर सिर्फ एक तरफ से गाडि़यां जाने दी जाने लगी. दोनों मार्गों के बीच-बीच में जितने भी कट थे सभी जगहों पर पुलिस की तैनाती कर दी गई ताकि एक भी वाहन वन-वे नियम को तोड़ न पाए.

हालांकि पुलिस-प्रशासन व प्राधिकरण के इन प्रयासों की जमकर तारीफें हो रही हैं. लेकिन अब इनमें दोनों मार्गों के बीच का पार्टिशन आड़े आ रहा है. सेक्टर-15 मेट्रो से सेक्टर-8 की तरफ जाने वाले मार्ग पर बायें तरफ से तो पब्लिक को जाने की आजादी है लेकिन दाहिनें तरफ की एंट्री पर केवल आॅटो ही आॅटो नजर आएंगे जहां से आप अपना वाहन लेकर घुस ही नहीं सकते. आलम यह है कि बाईं ओर से जाने वाली गाडि़यां धीमी गति से पहली रेड लाईट तक पहुंच पाती है. जबकि दाईं तरफ से आॅटो वाले फर्राटे भरते हुए जा रहे होते हैं. यही हाल हरोला-नयाबांस वाले मार्ग का है.

इन कारणों से ऐसा लग रहा है मानों वन-वे पर शुरूआत में पुलिस-प्रशासन जितनी सख्त थी, अब कहा जा सकता है कि इस मुहिम को उतना ही ढीला छोड़ दिया गया है. जिन आॅटो वालों के अतिक्रमण से जनता को राहत दिलाने का काम शुरू किया गया था उनका तो अभी भी मौज है पिस रही है तो केवल जनता. पुलिस-प्रशासन व प्राधिकरण को इन दिक्कतों का हल निकालने की अभी भी जरूरत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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