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एटीएम लूट के आरोपी जब पुलिस के लिए 'एटीएम' बन गए!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 दिसम्बर, 2021 04:01 PM
  • 02 दिसम्बर, 2021 04:01 PM
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घूस के नाम पर कैश तक तो ठीक था मगर नोएडा पुलिस के अधिकारी जब रिश्वत में मंहगी कार ले रहे हों खुद ब खुद साबित हो जाता है कि अगर देश में कहीं सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है तो वो महकमा सिर्फ और सिर्फ पुलिस का है.

पुलिस का काम क्या है? उस पर भी यूपी पुलिस का काम क्या है? जैसे हालात हैं. इस सवाल के जवाब गंभीर हैं. मतलब एनकाउंटर के नाम पर गन्ने के खेत में खड़े होकर मुंह से ठाएं ठाएं करने से लेकर नाके पर खड़े होकर किसी चमगादड़ की तरह बाइक की चाभी निकालने और मोबाइल चोरी की एप्लीकेशन की रिसीविंग पर 100 रुपए मांगने तक पुलिस के कामों की फेहरिस्त लंबी है. लेकिन जो पुलिस मैन्यूल है यदि उसपर नजर डालें तो उसमें यही लिखा है कि पुलिस का असली काम सुशासन, जनता की सुरक्षा, अपराधियों का सफाया और अपराध का नियंत्रण है. जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं आज पुलिस, मैन्यूल में लिखी बातों के अलावा हर वो काम कर रही है जो उसे सूट नहीं करता लेकिन इसे मजबूरी कहें या विभागीय डिमांड अब 3 का 13 करना है तो बस करना है. लेकिन कभी कभी इधर का उधर कितना भारी पड़ जाता है गर जो इस बात को समझना हो तो नोएडा पुलिस का रुख कीजिये जिसने एटीएम लूटने वालों से 20 लाख रुपए तो लूटे ही साथ ही उनकी क्रेटा गाड़ी पर भी हाथ साफ कर लिया. मामले की पड़ताल हुई तो ऐसी कई बातें निकल कर सामने आईं जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं.

नोएडा पुलिस ने तो घूस लेने के मामले में हद ही कर दी और ऐसा बहुत कुछ कर दिया जिसकी आलोचना हर सूरत में होनी चाहिए

दरअसल हुआ कुछ यूं है कि नोएडा स्वॉट (SWAT) टीम के एक इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल को पुलिस कमिश्नर ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. दिलचस्प ये है कि एटीएम चोरों की गैंग से कार और 20 लाख रुपए लेने के मामले में पुलिसकर्मियों पर यह कार्रवाई की गई है. बताया ये भी जा रहा है कि गाजियाबाद पुलिस की पूछताछ में गैंग मेंबर्स ने नोएडा पुलिस के लेन-देन का खुलासा किया था.

पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर आलोक कुमार सिंह ने क्राइम ब्रांच...

पुलिस का काम क्या है? उस पर भी यूपी पुलिस का काम क्या है? जैसे हालात हैं. इस सवाल के जवाब गंभीर हैं. मतलब एनकाउंटर के नाम पर गन्ने के खेत में खड़े होकर मुंह से ठाएं ठाएं करने से लेकर नाके पर खड़े होकर किसी चमगादड़ की तरह बाइक की चाभी निकालने और मोबाइल चोरी की एप्लीकेशन की रिसीविंग पर 100 रुपए मांगने तक पुलिस के कामों की फेहरिस्त लंबी है. लेकिन जो पुलिस मैन्यूल है यदि उसपर नजर डालें तो उसमें यही लिखा है कि पुलिस का असली काम सुशासन, जनता की सुरक्षा, अपराधियों का सफाया और अपराध का नियंत्रण है. जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं आज पुलिस, मैन्यूल में लिखी बातों के अलावा हर वो काम कर रही है जो उसे सूट नहीं करता लेकिन इसे मजबूरी कहें या विभागीय डिमांड अब 3 का 13 करना है तो बस करना है. लेकिन कभी कभी इधर का उधर कितना भारी पड़ जाता है गर जो इस बात को समझना हो तो नोएडा पुलिस का रुख कीजिये जिसने एटीएम लूटने वालों से 20 लाख रुपए तो लूटे ही साथ ही उनकी क्रेटा गाड़ी पर भी हाथ साफ कर लिया. मामले की पड़ताल हुई तो ऐसी कई बातें निकल कर सामने आईं जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं.

नोएडा पुलिस ने तो घूस लेने के मामले में हद ही कर दी और ऐसा बहुत कुछ कर दिया जिसकी आलोचना हर सूरत में होनी चाहिए

दरअसल हुआ कुछ यूं है कि नोएडा स्वॉट (SWAT) टीम के एक इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल को पुलिस कमिश्नर ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. दिलचस्प ये है कि एटीएम चोरों की गैंग से कार और 20 लाख रुपए लेने के मामले में पुलिसकर्मियों पर यह कार्रवाई की गई है. बताया ये भी जा रहा है कि गाजियाबाद पुलिस की पूछताछ में गैंग मेंबर्स ने नोएडा पुलिस के लेन-देन का खुलासा किया था.

पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर आलोक कुमार सिंह ने क्राइम ब्रांच के प्रभारी इंस्पेक्टर सावेज खान के साथ कॉन्स्टेबल अमरीश यादव को बर्खास्त किया है. इन दोनों और इनकी टीम पर एटीएम लूट कांड के आरोपियों को 20 लाख रुपए और क्रेटा कार लेकर छोड़ देने का आरोप सिद्ध हुआ है.

गौरतलब है कि अभी बीते दिनों ही गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना पुलिस से हुई पूछताछ में एटीएम लूटने वाले गैंग ने कई ऐसे खुलासे किए हैं जो कई मायनों में विचलित करने वाले हैं. जब पुलिस कमिश्नर को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने भी तत्काल प्रभाव में एक्शन लिया और जांच बैठा दी. जांच में दोषी पाए जाने पर इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को बर्खास्त किया गया है. साथ ही पुलिस कमिश्नर द्वारा स्वाट टीम को भंग कर इस प्रकरण में अन्य कर्मियों को नोटिस भी जारी किया है.

बताते चलें कि गाजियाबाद के थाना इंदिरापुरम पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने एटीएम हैकर गिरोह के 5 सदस्यों को अरेस्ट किया था. उनके बारे में जानकारी जुटाने के लिए पूछताछ चल रही थी, तभी हैकर गिरोह से सीसीटीवी में कैद एक क्रेटा कार के बारे में पूछा, तो बताया कि यह क्रेटा कार नोएडा पुलिस की एसओजी की टीम के पास है.

अपराधियों ने इस बात को भी स्वीकार किया कि उन्हें करीब 3 माह पहले एसओजी नोएडा की टीम ने पकड़ा था, उस दौरान उनके पास 10 लाख रुपये नकद थे, जो एसओजी टीम ने ले लिए थे. उसके बाद बदमाशों से और 10 लाख रुपये लेने के लिए एसओजी की एक टीम उनके घर गई थी. पुलिस टीम वहां से 10 लाख रुपए और क्रेटा कार ले आई.

चूंकि हैकर्स ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे और उन आरोपों की पुष्टि भी बहुत जरूरी थी. ऐसे में इंदिरापुरम पुलिस ने हैकर को उनके घर ले जाकर वहां से एसओजी टीम द्वारा क्रेटा कार ले जाने की सीसीटीवी फुटेज भी बरामद की. और पूरी रिपोर्ट बनाकर डीजीपी मुख्यालय को भेजी.

मामले के बाद भले ही नोएडा पुलिस सवालों के घेरे में हो. मगर हमें हैरत में इसलिए भी नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि पुलिस की तरफ से इसमें नया कुछ नहीं है. ये होता रहा है. ये होता रहेगा. होने को तो ये शर्मनाक है मगर इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि जिस तरह की कार्यप्रणाली पुलिस की है साफ़ है कि अगर देश में कहीं सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार व्याप्त है तो वो सिर्फ और सिर्फ पुलिस विभाग है. 

बाकी अब जबकि खुलासा हो गया है तमाम पुलिस वाले इस बात को समझ गए होंगे कि लालच बुरी बला है. बाकी जिस तरह एटीएम लूट के आरोपी पुलिस के लिए 'एटीएम' बने डिपार्टमेंट को समझना चाहिए कि कभी कभी एटीएम में तकनीकी खराबी होती है और व्यक्ति मुसीबत में पड़ जाता है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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