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Nirbhaya justice: 4 वायरस तो गए लेकिन संभावनाओं से भरी निर्भया की जान लेकर

    • आईचौक
    • Updated: 23 मार्च, 2020 09:28 PM
  • 20 मार्च, 2020 10:57 PM
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अगर आज निर्भया (Nirbhaya) जिंदा होती तो शायद वो कोरोना वायरस (Coronavirus)से लड़ाई में हमारी मदद ही कर रही होती. निर्भया पैरामेडिकल की छात्रा थी. ऐसी भयंकर महामारी के दौरान लोगों की सेवा कैसे करनी है ? ये सब उसके कोर्स में था. स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए उसने बाकायदा पढ़ाई की थी.

सत्यमेव जयते ! कोरोना वायरस (Corona Virus) के इस दौर में 20 मार्च 2020 यानी सात साल तीन महीने और तीन दिन के बाद आखिरकार न्याय (Justice) हुआ. पूरे देश ने तड़के साढ़े पांच बजे निर्भया मामले (Nirbhaya Convicts) में दोषी पवन (Pawan), मुकेश (Mukesh), विनय (Vinay) और अक्षय (Akshay) को फांसी (Nirbhaya Convicts Hanged) के तख्ते पर झूलते देखा. इन दरिंदों की ये फांसी कहीं से भी आसान नहीं थी. चाहे वो पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) रही हो या फिर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi Highcourt) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तमाम चुनौतियां थीं जिनका सामना निर्भया के वकील और उसके घरवालों ने किया. वहीं जैसा रवैया इस पूरे मामले पर दोषियों के वकील एपी सिंह (Nirbhaya Accused Lawyer AP Singh) का रहा एक नहीं गुज़रे 4 महीनों में तमाम मौके आए जब महसूस हुआ कि अपनी तिकड़म से वकील साहब फांसी रुकवा देंगे. पटियाला हाउस कोर्ट से डेथ वारंट (Death Warrant) के एक नहीं चार बार कैंसिल होने से देश की जनता को भी ये लग गया कि अब ये फांसी नहीं होगी और इंसाफ की उम्मीद करना पूरी तरह से व्यर्थ है.

दोषियों को मिली फांसी के बाद प्रसन्न मुद्रा में निर्भया की मां और उसकी वकील

जब जब ये फांसी याद की जाएगी लोग 19 मार्च 2020 का जिक्र जरूर करेंगे. दोषियों को बचाने के लिए उनके वकील दिल्ली हाई कोर्ट की शरण में गए थे मगर उनके तर्क इतने हल्के और सतही थे कि कोर्ट ने तमाम बातों को खारिज किया और फैसला बरकरार रखा.

निर्भया मामले में दोषियों और उनके वकील के लिए ये बड़ा झटका था. हाई कोर्ट से मिली शिकस्त के बाद ये लोग सुप्रीम कोर्ट की क्षरण में आए. स्थिति तनावपूर्ण थी पूरे देश की नजर इस मामले पर थी. मामले को लेकर यहां भी देर रात तक कोर्ट में सुनवाई चली और आखिरकार रात...

सत्यमेव जयते ! कोरोना वायरस (Corona Virus) के इस दौर में 20 मार्च 2020 यानी सात साल तीन महीने और तीन दिन के बाद आखिरकार न्याय (Justice) हुआ. पूरे देश ने तड़के साढ़े पांच बजे निर्भया मामले (Nirbhaya Convicts) में दोषी पवन (Pawan), मुकेश (Mukesh), विनय (Vinay) और अक्षय (Akshay) को फांसी (Nirbhaya Convicts Hanged) के तख्ते पर झूलते देखा. इन दरिंदों की ये फांसी कहीं से भी आसान नहीं थी. चाहे वो पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) रही हो या फिर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi Highcourt) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तमाम चुनौतियां थीं जिनका सामना निर्भया के वकील और उसके घरवालों ने किया. वहीं जैसा रवैया इस पूरे मामले पर दोषियों के वकील एपी सिंह (Nirbhaya Accused Lawyer AP Singh) का रहा एक नहीं गुज़रे 4 महीनों में तमाम मौके आए जब महसूस हुआ कि अपनी तिकड़म से वकील साहब फांसी रुकवा देंगे. पटियाला हाउस कोर्ट से डेथ वारंट (Death Warrant) के एक नहीं चार बार कैंसिल होने से देश की जनता को भी ये लग गया कि अब ये फांसी नहीं होगी और इंसाफ की उम्मीद करना पूरी तरह से व्यर्थ है.

दोषियों को मिली फांसी के बाद प्रसन्न मुद्रा में निर्भया की मां और उसकी वकील

जब जब ये फांसी याद की जाएगी लोग 19 मार्च 2020 का जिक्र जरूर करेंगे. दोषियों को बचाने के लिए उनके वकील दिल्ली हाई कोर्ट की शरण में गए थे मगर उनके तर्क इतने हल्के और सतही थे कि कोर्ट ने तमाम बातों को खारिज किया और फैसला बरकरार रखा.

निर्भया मामले में दोषियों और उनके वकील के लिए ये बड़ा झटका था. हाई कोर्ट से मिली शिकस्त के बाद ये लोग सुप्रीम कोर्ट की क्षरण में आए. स्थिति तनावपूर्ण थी पूरे देश की नजर इस मामले पर थी. मामले को लेकर यहां भी देर रात तक कोर्ट में सुनवाई चली और आखिरकार रात 3.30 पर सुप्रीम कोर्ट में भी सारे तर्क खारिज किये और मामले में दोषी चारों आरोपियों को फांसी हुई.

फांसी के तख्ते पर चढ़े और अब दुनिया छोड़ चुके ये चार दरिंदे हमारे समाज के लिए किसी वायरस की तरह थे जिन्होंने उसे न सिर्फ दूषित किया बल्कि एक साथ कई जिंदगियों को प्रभावित भी किया. ये भले ही मर के नरक जा चुके हों लेकिन क्या निर्भया की मां को, उसके पिता को, उसके दोस्तों को, रिश्तेदारों को सुकून मिलेगा. कुछ राहत मिलेगी? सीधा जवाब है नहीं. जिसे जाना था वो जा चुका है और अब बस उसकी यादें हैं.

निर्भया मामले में जैसे उसकी अस्मत लूटने वाले 4 वायरस मुकेश, विनय, पवन और अक्षय कोर्ट के आदेश के बाद जिस तरह नरक गए हैं हमें यकीन है कोरोना भी जाएगा और देश के लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस करेंगे.

अंत में हम बस ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि भले ही आज सात साल 3 महीने और तीन दिन पुराने इस मामले में दोषियों की मौत से लोगों को सुकून मिला हो मगर वो परिवार आज भी गमजदा है जिसनें निर्भया के रूप में अपना सबकुछ खो दिया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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