• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

निर्भया के बलात्कारी की आखिरी उम्‍मीद का अंत, लेकिन कई सवाल जिंदा हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 दिसम्बर, 2019 06:16 PM
  • 18 दिसम्बर, 2019 06:16 PM
offline
Nirbhaya Gangrape मामले में Supreme Court का आरोपी Akshay Kumar Singh की याचिका खारिज करना और ये साफ़ हो जाना कि जल्द ही इस 7 साल पुराने मामले में फांसी हो जाएगी. बताता है कि इस पूरी प्रक्रिया में न्याय की जीत हुई है.

सत्यमेव जयते यानी सत्य की सदैव ही विजय होती है. मामला दिसंबर 2012 का है. 18 दिसंबर 2019 यानी घटना के करीब 7 सालों बाद, जो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हुआ, उसने उन लोगों को हौसला दिया है. जिन्हें यकीन है कि भले देर से ही सही लेकिन न्याय मिलता जरूर है. दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया बलात्कार मामले (Nirbhaya Gangrape Case) के 4 दोषियों में से एक अक्षय की रिव्यू पिटीशन (Nirbhaya Gangrape Case Review Petition) को देश की सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया गया है. पूरे देश की नजरें अब पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court On Nirbhaya Gangrape case) हैं, जो जल्द ही मामले पर अंतिम फैसला देते हुए चारों दोषियों के मौत का फरमान यानी डेथवारंट (Death Warrant) जारी कर सकता है. एक महत्वपूर्ण समय में कोर्ट का ये फैसला बताता है कि निर्भया के मां बाप से लेकर दोषियों तक मौका सबको दिया गया है और जो हुआ है वो एक ईमानदार प्रक्रिया का हिस्सा है. 

निर्भय गैंगरेप के 4 आरोपी पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय कुमार और मुकेश सिंह जिन्हें जल्द ही फांसी की सजा हो सकती हैन्‍याय की जीत हुई

निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ भी हुआ यदि उसपर गौर करें तो मिलता है कि ये न्यायतंत्र की जीत है. भले ही इस मामले में 7 साल लगे हो मगर अदालत ने निर्भया के माता पिता के अलावा चारों दोषियों को भी पेटीशन, रिव्यू पेटीशन, मर्सी पेटीशन इत्यादि डालने और न्याय का दरवाजा खटखटाने का पूरा मौका दिया. पीड़ित से लेकर आरोपी तक को कोर्ट ने बराबरी से देखा है और सन्देश दिया है कि न्याय व्यवस्था सबके लिए है.

बीते हुए इन 7 सालों में ऐसे तमाम मौके आए जब निर्भया के परिवार को लगा कि अब उन्हें इंसाफ मिलने ही वाला है. तो वहीं  निर्भया मामले के इन चारों दोषियों ने...

सत्यमेव जयते यानी सत्य की सदैव ही विजय होती है. मामला दिसंबर 2012 का है. 18 दिसंबर 2019 यानी घटना के करीब 7 सालों बाद, जो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हुआ, उसने उन लोगों को हौसला दिया है. जिन्हें यकीन है कि भले देर से ही सही लेकिन न्याय मिलता जरूर है. दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया बलात्कार मामले (Nirbhaya Gangrape Case) के 4 दोषियों में से एक अक्षय की रिव्यू पिटीशन (Nirbhaya Gangrape Case Review Petition) को देश की सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया गया है. पूरे देश की नजरें अब पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court On Nirbhaya Gangrape case) हैं, जो जल्द ही मामले पर अंतिम फैसला देते हुए चारों दोषियों के मौत का फरमान यानी डेथवारंट (Death Warrant) जारी कर सकता है. एक महत्वपूर्ण समय में कोर्ट का ये फैसला बताता है कि निर्भया के मां बाप से लेकर दोषियों तक मौका सबको दिया गया है और जो हुआ है वो एक ईमानदार प्रक्रिया का हिस्सा है. 

निर्भय गैंगरेप के 4 आरोपी पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय कुमार और मुकेश सिंह जिन्हें जल्द ही फांसी की सजा हो सकती हैन्‍याय की जीत हुई

निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ भी हुआ यदि उसपर गौर करें तो मिलता है कि ये न्यायतंत्र की जीत है. भले ही इस मामले में 7 साल लगे हो मगर अदालत ने निर्भया के माता पिता के अलावा चारों दोषियों को भी पेटीशन, रिव्यू पेटीशन, मर्सी पेटीशन इत्यादि डालने और न्याय का दरवाजा खटखटाने का पूरा मौका दिया. पीड़ित से लेकर आरोपी तक को कोर्ट ने बराबरी से देखा है और सन्देश दिया है कि न्याय व्यवस्था सबके लिए है.

बीते हुए इन 7 सालों में ऐसे तमाम मौके आए जब निर्भया के परिवार को लगा कि अब उन्हें इंसाफ मिलने ही वाला है. तो वहीं  निर्भया मामले के इन चारों दोषियों ने भी अपने तरफ से हर वो जतन किये जिससे इनकी जान बची रहे. सांसें कुछ देर और चलती रहें.

बात निर्भया मामले में इंसाफ के मद्देनजर चली है तो हमें ये ही याद रखना होगा कि न्याय एक प्रक्रिया है. और चूंकि इन दोषियों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया है तो ये अपने आप ही सिद्ध हो जाता है कि इन दोषियों के साथ बदले की भावना के तहत कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

लेकिन, क्‍या इंसाफ मिला?

निर्भया मामले में फैसला होते होते 7 साल लग गए हैं. दोषी अक्षय कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, इस मामले में सभी तर्कों को सुना जा चुका है, याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई भी ऐसी दलील नहीं दी गई जिसके आधार पर रिव्यू पिटीशन को स्वीकार किया जाए. इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट में पहले ही जांच को पूरी तरह से परखा जा चुका है. इन दलीलों में कुछ नया नहीं है,इसलिए इस पुनर्विचार याचिका को खारिज किया जाता है.

सवाल हो रहा है कि क्या इन 7 सालों में इंसाफ मिला? जवाब है हां. 2012 में हुए निर्भया मामले में फैसला तो उसी दिन हो चुका था जब पुलिस ने घटना का संज्ञान लिया और इन दोषियों को पकड़ा. बात सीधी और साफ़ है. फैसला घटना के दिन ही इनके भाग्य में लिख दिया गया था और अब जो हो रहा है वो समानता का वो अधिकार है जो इस देश का संविधान और कानून इस देश के प्रत्येक नागरिक को देता है.

जिसे रहना था वो अब हमारे बीच नहीं है. उसे मिटा देने वाले अब भी जीवित हैं. बात अगर इसके पीछे की वजह की हो तो इसका भी कारण न्याय को ही माना जा सकता है जो इन्हें लगातार मौका दे रहा था. अब क्योंकि ये अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं इसलिए जल्द ही देश इन्हें फांसी के तख्ते पर देखेगा.

इसके अलावा बात अगर निर्भया के माता पिता की हो या फिर उसके परिवार की हो तो वो लोग 7 साल से अदालत पर टकटकी लगाए हैं और ये देख रहे हैं तमाम सबूतों और गवाहों के मद्देनजर अदालत उनके मामले में क्या फैसला देती है. वाकई 7 साल एक लंबा वक़्त है जिसका हिसाब केवल वही लगा सकता है जिसने इसे भोगा है. 7 सालों ने निर्भया के माता पिता प्रयास कर रहे हैं कि दोषियों को फांसी हो जाए वहीं दोषी भी इसी जुगत में हैं कि कैसे भी करके वो अपनी जिंदगी बचा लें.

सारी जगहों से होकर अब मामला वापस पटियाला हाउस कोर्ट में आ गया है. जिस तरह के कयास  लग रहे हैं माना यही जा रहा है कि जल्द ही पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वॉरंट जारी कर निर्भया के परिवार को इंसाफ और चारों दोषियों को फांसी दे देगा.

क्‍या जुर्म रुकेगा, या रेपिस्‍ट रुकेंगे?

निर्भया मामला अपने अंतिम पड़ाव में है. किसी भी पल दोषियों को फांसी हो सकती है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद कुछ सवाल अब भी हमारे सामने हैं. सबसे बड़ा सवाल जो हमारे सामने खड़ा है वो ये कि क्या जुर्म रुकेगा ? क्या रेपिस्ट रुकेंगे ? दोनों ही सवालों के जवाब हैं नहीं. ये वाकई अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्भया मामले के बाद आज तक यानी इन 7 वर्षों में बलात्कार के मामलों में कोई कमी नहीं आई है.

भले ही निर्भया फंड बना हो, मामलों के जल्द से जल्द निपटारे के लिए फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट का निर्माण हुआ हो. देश की जनता ऐसे अपराधों के खिलाफ दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने के लिए सड़क पर प्रदर्शन कर रही हो जुर्म की संख्या में कोई गिरावट दर्ज नहीं हुई है. जुर्म आज भी बदस्तूर जारी है.

चाहे अख़बार और टीवी खोल लिया जाए या सोशल मीडिया को खंगाल लिया जाए पूरे दिन में देश भर में रेप के कई मामलों को अंजाम दिया जाता है. सवाल ये है कि रेप जैसे घिनौने कृत्य और उसपर इतने सख्त कानून के बावजूद आखिर रेपिस्ट रुक क्यों नहीं रहे हैं? एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि इसकी वजह कानून है. लोगों का मत है कि अदालतों में ऐसे मामले लंबित पड़े रहते हैं जो उन लोगों के इरादों को बल देते हैं जिंक दिमाग में ऐसी किसी भी घटना का अपना अपने सबसे छोटे रूप में होता है.

बात रेप और फ़ास्ट ट्रैक की चल रही है. तो बता दें कि रेप और रेप पर फ़ास्ट ट्रैक का सबसे हालिया मामला हैदराबाद का है. जहां 4 युवकों ने पहले एक डॉक्टर, दिशा के साथ बलात्कार किया फिर उसे जला दिया. इस मामले में फ़ास्ट ट्रैक ये हुआ कि पुलिस ने घटना में शामिल चारों युवकों को मौका ए वारदात पर ले जाकर गोली मार दी. पुलिस का ये एनकाउंटर सवालों के घेरे में है और इसे कहीं से भी न्याय नहीं माना जा सकता.

बहरहाल बात निर्भया मामले के मद्देनजर हो रही है तो बता दें कि भले ही दोषियों को फांसी हो जाए मगर ऐसी घटनाएं रुक जाएं ये थोड़ा मुश्किल है. हां इस फैसले का असर या ये कहें कि इस फांसी का असर बस इतना होगा कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग दो बार सोचने को मजबूर जरूर होंगे और शायद रेप का वो ग्राफ जो तेजी से ऊपर जा रहा है वो नीचे आए.

ये भी पढ़ें -

फांसी से बचने के लिए निर्भया के बलात्‍कारी की एक और बेशर्मी

निर्भया के बलात्कारियों को फांसी देने के लिए एक महिला बनना चाहती है जल्लाद!

कुसंगति ही सही, पवन से गलती हुई है निर्भया मामले में फांसी लाजमी है!

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲